Breaking News

आवश्यकता है “बेखौफ खबर” हिन्दी वेब न्यूज़ चैनल को रिपोटर्स और विज्ञापन प्रतिनिधियों की इच्छुक व्यक्ति जुड़ने के लिए सम्पर्क करे –Email : [email protected] , [email protected] whatsapp : 9451304748 * निःशुल्क ज्वाइनिंग शुरू * १- आपको मिलेगा खबरों को तुरंत लाइव करने के लिए user id /password * २- आपकी बेस्ट रिपोर्ट पर मिलेगी प्रोत्साहन धनराशि * ३- आपकी रिपोर्ट पर दर्शक हिट्स के अनुसार भी मिलेगी प्रोत्साहन धनराशि * ४- आपकी रिपोर्ट पर होगा आपका फोटो और नाम *५- विज्ञापन पर मिलेगा 50 प्रतिशत प्रोत्साहन धनराशि *जल्द ही आपकी टेलीविजन स्क्रीन पर होंगी हमारी टीम की “स्पेशल रिपोर्ट”

Sunday, April 27, 2025 4:27:35 AM

वीडियो देखें

सिद्धार्थनगर। इस्लाम धर्म मे बकरीद का महत्व

सिद्धार्थनगर। इस्लाम धर्म मे बकरीद का महत्व
/ से बेखौफ खबर के लिए स्वतंत्र पत्रकार अम्बिका पाठक की रिपोर्ट

इस्लाम धर्म के मुताबिक इस त्यौहार में जानवरों की कुर्बानी दी जाती है. साथ ही इस महीने हज किया जाता है. ईद-उल-जुहा का चांद जिस रोज नजर आता है उसके 10वें दिन बकरीद मनाई जाती है.

ईद-उल-फितर के बाद इस्लाम धर्म का यह दूसरा प्रमुख त्यौहार है. इसे बकरीद के नाम से भी जाना जाता है. बता दें कि ईद-उल-जुहा हजरत इब्राहिम की कुर्बानी की याद के तौर पर मनाया जाता है. इस मौके पर जानवरों की कुर्बानी तीन दिनों तक चलती है. यानी ईद-उल-जुहा के मौके पर अब 12 से लेकर 14 अगस्त सूर्यास्त से पहले तक कुर्बानी दी जाएगी.

ईद-उल-जुहा के मौके पर हज़रत इब्राहिम अल्लाह के हुक्म पर अल्लाह के प्रति अपनी वफादारी दिखाने के लिए अपने बेटे हजरत इस्माइल को कुर्बान करने पर राजी हुए थे. इस त्यौहार का मुख्य उद्देश्य लोगों में जनसेवा और अल्लाह की सेवा का भाव जगाना है.

ईद-उल-जुहा के मौके पर इस्लाम के प्रमुख सिद्धांत हज भी किया जाता है. हज के लिए दुनिया भर के मुसलमान सऊदी अरब के मक्का जाते हैं, जिसे अल्लाह का घर भी कहा जाता है. सऊदी अरब में ईद-उल-जुहा का चांद गुरुवार को ही नजर आ गया है. इस तरह सऊदी समेत तमाम अरब देशों में 11 अगस्त को बकरीद मनाई जाएगी.

ईद-उल-जुहा के दिन मुसलमान भाई किसी जानवर जैसे बकरा, भेड़, ऊंट आदि की कुर्बानी देते हैं. बकरीद के मौके पर मुस्लिम समुदाय के लोग साफ-पाक होकर नए कपड़े पहनकर नमाज पढ़ते हैं. मर्द मस्जिद व ईदगाह में नमाज अदा करते हैं तो औरतें घरों में ही नमाज पढ़ती हैं. नमाज़ के बाद ही जानवरों की कुर्बानी की प्रक्रिया शुरू की जाती है.

व्हाट्सएप पर शेयर करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *