बहराइच 28 मार्च। लोकसभा सामान्य निर्वाचन-2019 तथा साथ-साथ होने वाले राज्य विधान सभाओं के साधारण निर्वाचन एवं उप निर्वाचन के आगामी निर्वाचनों में निर्वाचकों की पहचान के सम्बन्ध में आयोग की ओर से जारी आदेश के अनुसार फोटो मतदाता पर्ची को मतदाता की पहचान के लिए मतदाता पहचान-पत्र के विकल्प के रूप में प्रस्तुत नहीं किया जा सकेगा।
इस सम्बन्ध में आयोग की ओर स्पष्ट किया गया है कि पूर्व के अवसरों पर आयोग ने फोटो मतदाता पर्ची को पहचान के लिए एक दस्तावेज के रूप में अनुमति दी थी। हालांकि, इसके दुरूपयोग के आधार पर स्टैंड-अलोन पहचान दस्तावेज के रूप में इसके उपयोग के विरूद्व अभ्यावेदन प्राप्त हुए हैं क्योंकि ये नामावली को अंतिम रूप देने के पश्चात मुद्रित होती है और बूथ स्तरीय अधिकारियों के माध्यम से मतदान के नजदीक वितरित की जाती है। फोटो मतदाता पर्ची के डिजाइन में किसी भी प्रकार का सुरक्षा लक्षण शामिल नही है। वास्तव में फोटो मतदाता पर्ची को एक वैकल्पिक दस्तावेज के रूप में शुरू किया गया था क्योंकि निर्वाचक फोटो पहचान पत्र का कवरेज पूरा नही हुआ था।
आयोग की ओर से कहा गया है कि उपलब्ध जानकारी के अनुसार, वर्तमान में 99 प्रतिशत से अधिक मतदाताओं के पास निर्वाचक फोटो पहचान पत्र है और 99 प्रतिशत से अधिक वयस्कों को आधार कार्ड जारी किए जा चुके हंै। इन सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए आयोग ने अब यह निर्णय लिया है कि इसके पश्चात से मतदान के लिए फोटो मतदाता पर्ची को स्टैंड-अलोन पहचान दस्तावेज के रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा। हालांकि फोटो मतदाता पर्ची को तैयार करना जारी रखा जाएगा और जागरूकता बढ़ाने के प्रयास के एक हिस्से के रूप में मतदाताओं को जारी भी किया जाएगा।
आयोग द्वारा व्यवस्था दी गयी है कि मतदाताओं को यह स्पष्ट करने के लिए कि मतदान के लिए फोटो मतदाता पर्ची एक स्टैंड-अलोन पहचान दस्तावेज के रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा, बड़े अक्षरों में फोटो मतदाता पर्ची यह सूचना मुद्रित करायी जायेगी कि ‘‘इस पर्ची को मतदान केन्द्र में पहचान के उद्देश्य के लिए स्वीकार नहीं किया जाएगा। मतदाताओं से अपेक्षा की गयी है कि मतदान के लिए निर्वाचक फोटो पहचान पत्र या आयोग द्वारा निर्दिष्ट 11 वैकल्पिक दस्तावेजों में से एक अपने साथ आवश्य लाएं। फोटो मतदाता पर्ची का मुद्रण बदस्तूर जारी रहेगा। जबकि प्रवासी निर्वाचकों को अपनी पहचान के लिए केवल अपना मूल पासपोर्ट प्रस्तुत करना होगा।
भारत निर्वाचन आयोग द्वारा लिये गये निर्णय के अनुसार मतदान के दिन, मतदान में प्रतिरूपण को रोकने की दृष्टि से सभी मतदाताओं को अपनी पहचान सिद्ध करने के लिए अपना मतदाता फोटो पहचान पत्र प्रस्तुत करना होगा, परन्तु ऐसे मतदाता जो अपना मतदाता फोटो पहचान पत्र प्रस्तुत नहीं कर पाते हैं, उन्हें अपनी पहचान स्थापित करने के लिए निर्धारित किये गये 11 वैकल्पिक फोटो पहचान दस्तावेज़ों में से कोई एक प्रस्तुत करना होगा।
आयोग की ओर से जारी आदेश के अनुसार वैकल्पिक फोटो पहचान दस्तावेज़ों के रूप में पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेन्स, राज्य/केन्द्र सरकार के लोक उपक्रम, पब्लिक लिमिटेड कम्पनियों द्वारा अपने कर्मचारियों को जारी किए गए फोटोयुक्त सेवा पहचान-पत्र, बैंकों/डाकघर द्वारा जारी फोटोयुक्त पासबुक, पैन कार्ड, एनपीआर के अन्तर्गत आरजीआई द्वारा जारी किये गये स्मार्ट कार्ड, मनरेगा जाब कार्ड, श्रम मंत्रालय की योजना अन्तर्गत जारी स्वास्थ्य बीमा स्मार्ट कार्ड, फोटोयुक्त पेंशन दस्तावेज़, सांसदों, विधायकों/विधान परिषद सदस्यों को जारी किये गये सरकारी पहचान पत्र एवं आधार कार्ड प्रस्तुत किये जा सकेंगे।
आयोग की ओर से यह भी सुझाव प्राप्त हुआ है कि एपिक के मामले में, उसमें प्रविष्टियों की मामूली विसंगतियां नजर अंदाज कर दी जानी चाहिए बशर्ते एपिक द्वारा निर्वाचक की पहचान स्थापित की जा सके। अगर निर्वाचक कोई ऐसा फोटो पहचान कार्ड प्रस्तुत करते हैं जो दूसरे विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र के निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी द्वारा जारी किया गया हो तो ऐसे कार्ड भी पहचान के लिए स्वीकृत किए जाएंगें बशर्ते उस निर्वाचक का नाम उस मतदान केन्द्र से सम्बन्धित निर्वाचक नामावली में मौजूद हो जहां निर्वाचक मतदान करने उपस्थित हुए है। अगर फोटोग्राफ, आदि के बेमेल होने की बजह से निर्वाचक की पहचान स्थापित करना संभव नहीं हो तो निर्वाचक को आयोग द्वारा सुझाये गये वैकल्पिक फोटो दस्तावेजों में से कोई एक पेश करना होगा।
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