बहराइच। जहां पूर्व में आए दिन गोकशी की घटनाएं सुन सुनकर आवाम के कान पके जा रहे थे वहीं योगी सरकार बनते ही गायों की दशा व दुर्दशा पर विशेष ध्यान तो दिया गया लेकिन सरकार के अधीनस्थ अधिकारियों द्वारा विशेष दिलचस्पी न लिए जाने के कारण गायों की सुरक्षा पर करोड़ों रुपया पानी की तरह बहाने के बाद भी समस्या में कोई सुधार होता नहीं दिख रहा है। गौ सेवा को लेकर सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का धरातल पर मानो पोस्टमार्टम किया जा रहा है, जहां संचालित गौ सेवा स्थलों पर गायों की असमय मृत्यू पर जिम्मेदारों पर मुकदमा दर्ज करवाने के साथ-साथ गौरक्षा मंच द्वारा नारेबाजी की जाती है वही सैकड़ों गायों की मौतों पर चुप्पी साधने के साथ-साथ गौशाला स्थापना के नाम पर आये लाखों रुपयों के बाद भी निर्धारित स्थल पर कार्यों को अंजाम न दिए जाने के बाद भी कहीं से कोई नारेबाजी सुनाई नहीं पडती। आपको बताते चलें कि छुट्टा जानवरों से त्रस्त यह जनपद भी जानवरों की बहुतायत समस्या से पिछले कई वर्षों से पीड़ित रहा है, जिसमें अब तक किसानों के लाखों रुपयों के नुकसान के साथ-साथ कई लोगों के घायल होने व मरने की खबरें समय समय पर प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की सुर्खियां बनती रही हैं। अभी हाल ही में गायों की सुरक्षा को लेकर जिलाधिकारी शंभू कुमार द्वारा भी एक बैठक कर सभी खंड विकास अधिकारियों को निर्देश दिया गया था कि विकासखंड क्षेत्र में कम से कम पांच अस्थाई आश्रम स्थल का निर्माण सुनिश्चित करवाने के साथ गोवंश के लिए चारे,पानी, छाया, प्रकाश एवं सुरक्षा की न्यूनतम मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं। लेकिन धरातल पर गौर करें तो जहां जिला मुख्यालय में देहात कोतवाली के पीछे करोड़ों की लागत से बनवाई गई बुत की तरह निर्जीव खड़ी पानी टंकी की परिधि को छुट्टा जानवरों का आश्रम स्थल बना रखा गया है वहीं दूसरी ओर गौ सेवा समिति बहराइच के तत्वाधान में विकासखंड फखरपुर के ग्राम प्यारेपुर दतौली में गौशाला स्थापना हेतु शासन द्वारा भेजे गए लाखों रुपयों के बाद भी भूमि पूजन के सिवा वहां कोई भी हलचल होती नहीं दिखाई दे रही है। मामला जनवरी 2018 का बताया जा रहा है जहां महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण योजना अंतर्गत निर्धारित क्षेत्र में लगभग 10.64, लाख रुपयों की लागत से गौ सेवा स्थल हेतु दिनांक 26.01. 2018 को पूर्व जिलाधिकारी अजयदीप सिंह द्वारा सिद्धनाथ पीठाधीश्वर बहराइच,की गरिमामयी उपस्थित में भूमि पूजन किया गया था। जिसमें गो सेवा समिति बहराइच सचिव बलवंत सिंह, उपाध्यक्ष हनुमान प्रसाद, कोषाध्यक्ष अतुल टेकड़ीवाल सहित कई लोगों की उपस्थिति रही। जिसे 6068 मानव दिवसो में 175/-दैनिक मजदूरी प्रतिदिन की दर से संपन्न करवाये जाने के साथ साथ चारागाह के चारों तरफ खाई खुदाई एवं समतलीकरण, वृक्षारोपण कार्य आदि किया जाना था, लेकिन हाल यह है कि आज भी वहां भूमि पूजन के आगे की प्रक्रिया का इंतजार ग्राम वासियों की सूखी आंखो द्वारा किया जा रहा है। जब तरुण मित्र अयोध्या संस्करण द्वारा मौके पर जाकर मामले की पड़ताल की गई तो पता चला भूमि पूजन के 1 वर्ष से ऊपर गुजर जाने के बाद भी मौके पर कहीं कुछ होता दिखाई नहीं दे रहा है। आई हुई ईंटें भी जमीन में धंस कर बाहर आने के लिए सरकारी क्रियाकलापों की बाट जोह रही हैं। जबकि मौके पर मौजूद ग्रामवासी देशराज यादव,इंद्रपाल सिंह, व वासुदेव आदि ने बताया कि यहां गौशाला निर्माण हेतु मेला लगाया गया था जहाँ गायों,बैलों के साथ साथ सांडों को भी हांक दिया गया था, जिसमें कई लोग चोटिल हुए, किसानों को भी भारी नुकसान हुआ। काफी कुरेदने पर ग्रामवासियों ने बताया कि पूर्व जिला अधिकारी अजयदीप सिंह, कैबिनेट मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा, राज्यमंत्री श्रीमती अनुपमा जायसवाल व थानाध्यक्ष आदि की मौजूदगी में इसका शिलान्यास किया गया था लेकिन इसके बाद यहां कोई दिखाई नहीं दिया। किसानों का कहना था कि लोग तीन-चार किलोमीटर दूर से यहां पशुओं को छोड़ जा रहे हैं जिनके पास 1व 2 बीघे फसल थी वह भी नष्ट हो गई बावजूद प्रशासन आज भी हाथ पर हाथ धरे बैठा है। ग्रामवासियों ने बताया कि यहां रात जानवरों को दौड़ते दौड़ते बीत जाता है, जिससे यहां के लोगों को और अधिक मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। आवारा पशु अकेले दौड़ाने पर भीषण हमला करने से भी बाज नहीं आते हैं। जिनमे कुछ लोगों के मारे जाने की बात भी बताई जा रही है। ऐसे में प्रशाशन का हाथ पर हाथ रखकर बैठना अनायास ही कई सवालों को जन्म देता नजर आ रहा है। यहां रखी ईंटें ग्राम वासियों को मुंह चिढ़ाने का ही कार्य कर रही हैं। उन्होंने यह भी बताया कि न उधर ही कुछ पैदावार हुआ और न इधर ही पैदावार हो हो पा रही है। ऐसे में शाशन व प्रशासन की खामोशी से हम किसान बहुत मुसीबत में हैं। भूमि पूजन के बाद खड़े सिलापट को देख देख कर हम लोगों की आंखें सूख चुकी है। लेकिन हम ग्राम वासियों की समस्याओं को सुनने के लिए भी कोई तैयार नहीं हो रहा है। अब सवाल यह भी है कि ऐसे में इसे क्या नाम दिया जाए? जहां मोदी और योगी द्वारा गायों की दशा,दुर्दशा व सुरक्षा हेतु तमाम इंतजामात व योजनाएं लागू करने के बाद भी समस्या जस की तस बरकरार नजर आ रही है। आखिर क्या कारण है कि गायों की सुरक्षा स्थल के लिए शासन द्वारा इतनी बड़ी रकम भेजे जाने के बाद भी जिम्मेदार अब तक हाथ पर हाथ धरे क्यों बैठे हैं? आखिर किन कारणों से रुपया होते हुए भी मौके पर निर्माण कार्य शुरू नहीं कराया जा सका?जिम्मेदारों के गुनाह की सजा गायों के साथ साथ ग्रामवासी व किसान आखिर कब तक भुगतते रहेंगे?
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