बहराइच 13 फरवरी। जिलाधिकारी माला श्रीवास्तव ने जिले के समस्त उप जिलाधिकारियों को निर्देश दिया है कि है थाई माॅगुर मछली के पालन, मत्स्य बीज आयात, संचय, मछली का परिवहन एवं इनको खिलाये जाने वाले स्लाॅटर हाउस माॅस के अवशेष/अपशिष्ट की आपूर्ति को पूर्णतयः रोकने के लिए तहसील क्षेत्रान्तर्गत मत्स्य विभाग के कर्मचारियों एवं लेखपालों के माध्यम से प्रतिबन्धित मत्स्य प्रजाति का पालन कर रहे मत्स्य पालकों को चिन्हाॅकन कर नोटिस निर्गत करने की कार्यवाही करें। एसडीएम को यह भी निर्देश दिया गया है कि प्रतिबन्धित प्रजाति की मछलियों के पालन, विक्रय, आयात, निर्यात अथवा स्टाक की उपलब्धता होने पर अथवा संज्ञान में आने पर नियमानुसार विनिष्टीकरण आदेश जारी कराते हुए मत्स्य एवं पुलिस विभाग के साथ विनिष्टीकरण की कार्यवाही की जाये तथा विनिष्टीकरण में व्यय की गयी धनराशि की वसूली सम्बन्धित मत्स्य पालक/विक्रेता से वसूल की जाय। उप जिलाधिकारियों का उत्तरदायित्व होगा कि ऐसे मत्स्य पालकों/विक्रेतओं की सूची तथा विनिष्टीकरण के सम्बन्ध में की गयी कार्यवाही का विवरण जिलाधिकारी के समक्ष प्रस्तुत करेंगे।
उल्लेखनीय है कि योजित ओ.ए. सं. 435/2018 हुसैन खान बनाम मत्स्य विभाग, तेलंगाना व अन्य के साथ ओ.ए. सं. 486/2018 चाॅदपासा बनाम तहसीलदार होसकोट, तालुक बैंगलोर व अन्य ओ.ए. सं. 496/2018 मो. नाज़िम बनाम मुख्य कार्यकारी अधिकारी, मत्स्य पालक विकास अभिकरण हापुड़ व अन्य ओ.ए. सं. 382/2018 संदीप अंकुश जाधव, पुणे बनाम जल संसाधन मंत्रालय, भारत सरकार नई दिल्ली व अन्य पर सुनवाई करते हुए मा. राष्ट्रीय हरित न्यायाधिक, नई दिल्ली द्वारा पारित निर्णय में निर्देश दिये गये हैं कि (देशी माॅगुर) की आड़ में प्रतिबन्धित क्लेरिअस गेरीपिनस (विदेशी थाई/हब्शी माॅगुर) मछली का पालन किया जा रहा है। जबकि थाई माॅगुर मछली की प्रजाति का पालन देश के सभी राज्यों में पूर्णतयः प्रतिबन्धित है। चूॅकि यह मछलियाॅ मांसाहारी प्रवृत्ति की होने के कारण इनके पालने से स्थानीय मत्स्य सम्पदा को छति पहुॅचाने के साथ-साथ जलीय पर्यावरण को असन्तुलन एवं जनस्वास्थ्य को खतरा होने की सम्भावना बनी रहती है साथ ही उक्त प्रजातियों की मछलियां को सड़ा-गला माॅस खिलाने से आस-पास का वातावरण भी प्रदूषित होता है।
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