बहराइच 03 फरवरी। प्रदेश में व्याप्त कुपोषण की दरों में कमी लाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा 25 अगस्त 2018 से पोषण अभियान का शुभारम्भ किया गया है। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य जन्म के समय कम वज़न, बच्चांे में व्याप्त कुपोषण व सभी आयु वर्गों में एनीमिया की दरों में कमी लाना है। उल्लेखनीय है कि कुपोषण के दृष्टिगत महिलाओं एवं बच्चों में कुपोषण की रोकथाम मल्टी सेक्टोरल एप्रोच से ही संभव है, इसको मद्देनज़र रखते हुए ही पूर्व में 06 विभागों के मध्य कन्वर्जेन्स का शासनादेश प्रेषित किया गया है, जिसके अन्तर्गत पोषण विशिष्ट (गर्भावस्था के दौरान देख-भाल, स्तनपान, एनीमिया, कुपोषित बच्चों/सैम/मैम बच्चों की देख-भाल) तथा पोषण संवेदनशील (स्वच्छता, रोज़गार, अतिरिक्त खाद्य पदार्थ) हस्तक्षेपों को समाहित करते हुए सभी जनपदों में कार्य किया जा रहा है। शासन द्वारा प्रदेश में कुपोषण की रोकथाम के लिए ‘‘सुपोषित गाॅव’’ बनाये जाने का निर्णय लिया गया है जो ‘‘कुपोषण मुक्त गाॅव’’ की संकल्पना का संशोधित रूप है। सुपोषित गाॅव बनाये जाने के लिए शासन द्वारा 02 कोर तथा 09 आवश्यक मानक निर्धारित किये गये हैं। ‘‘कोर मानक’’ आउटकम आधारित हैं तथा इनका फोकस कुपोषण तथा एनीमिया की दर में कमी लाना है। किसी भी गाॅव को ‘‘सुपोषित गाॅव’’ घोषित करने के लिए इन मानकों की पूर्ति अनिवार्य होगी। जबकि आवश्यक मानक गतिविधि आधारित होंगे तथा विभिन्न कन्वर्जेन्स विभागों से जुड़े होंगे। इस सम्बन्ध में दी गयी व्यवस्था के तहत ‘‘सुपोषित गाॅव’’ की प्रगति को कुल 100 अंकों के आधार पर मापा जायेगा। कोर मानकों की पूर्णतया अनिवार्य होंगे तथा आवश्यक मानक के कुल 100 अंक होंगे जिसमें से 80 अंक प्राप्त करना होगा। ‘‘सुपोषित गाॅव’’ नये राजस्व गाॅव हो सकते हैं या फिर पूर्व में विभिन्न विभागीय अधिकारियों द्वारा गोद लिये गये राजस्व गाॅव भी हो सकते हैं। सुपोषित गाॅव का राजस्व गाॅव व खुले में शौच मुक्त होना अनिवार्य होगा। राजस्व गाॅव के अन्दर एक से अधिक गाॅव आ सकते हैं, इसलिये मुख्य गाॅव का सुपोषित गाॅव होना आवश्यक है। ‘‘सुपोषित गाॅव’’ बनाने की कार्यवाही के तहत कोर मानक अन्तर्गत ऐसे राजस्व गाॅव जहाॅ 0-5 वर्ष का कोई भी बच्चा सैम अथवा मैम (वज़न की लाल/पीली श्रेणी) की श्रेणी में नहीं आता हो तथा ऐसे राजस्व गाॅव जहाॅ 90 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं ने गर्भावस्था के प्रथम त्रैमास में अपना पंजीकरण कराया हो तथा आखिरी त्रैमास में 10 प्रतिशत से अधिक गर्भवती महिलाएं एनिमिया से ग्रसित नहीं हों। इन सभी मानकों की पूर्ति अनिवार्य होगी। इसी प्रकार आवश्यक मानक अन्तर्गत ऐसे राजस्व गाॅव जहाॅ 90 प्रतिशत सैम, मैम व कुपोषित बच्चों के घर प्रत्येक माह आॅगनबाड़ी कार्यकत्री द्वारा भ्रमण किया गया हो, सैम एवं मैम बच्चों का हर त्रैमास में कम से कम एक बार स्वास्थ्य जाॅच हुई हो और उन्हें स्वास्थ्य विभाग से आवश्यक परामर्श अथवा इलाज प्राप्त हुआ हो, ऐसे गाॅव जहाॅ 90 प्रतिशत लाभार्थी (गर्भवती महिलाओं तथा 0-5 वर्ष तक के बच्चे) का एस.सी.पी. कार्ड पूर्ण रूप से भरा गया हो, ऐसे राजस्व गाॅव जहाॅ 90 प्रतिशत स्कूल जाने वाली व स्कूल न जाने वाली किशोरियों ने पिछले छः माह में कम से कम 24 आयरन गोलियाॅ विटामिन सी युक्त साद्य पदार्थों के साथ ली गयीं हों। ऐसे गाॅव जहाॅ स्थानीय खाद्य पदार्थों जैसे गुड़, चना, सहजन, आॅवला आदि का सेवन प्रोत्साहित करने के लिए आॅगनबाड़ी कार्यकत्री द्वारा गतिविधियाॅ सम्पादित की गयीं हों। इसी प्रकार ऐसे राजस्व गाॅव जहाॅ आॅगनबाड़ी केन्द्र पर 90 प्रतिशत लाभार्थियों को पुष्टाहार प्रत्येक माह नियत तिथि पर निर्धारित मात्रा में वितरित किया गया हो, ऐसे गाॅव जहाॅ 90 प्रतिशत सैम, मैम एवं कुपोषित बच्चों के परिवारों को प्रत्येक माह में निर्धारित मात्रा में राशन मिला हो, ऐसे गाॅव जहाॅ 50 प्रतिशत सैम, मैम एवं कुपोषित बच्चों के परिवारों को मनरेगा के अन्तर्गत नियत रोज़गार मिला हो तथा ऐसे गाॅव जहाॅ पर पिछले छः माह में कम से कम 30 सामुदायिक गतिविधियों का आयोजन केन्द्र पर हुआ हो। प्रत्येक मानक के लिए दी गयी व्यवस्था के तहत अंक प्राप्त करना अनिवार्य होगा। सुपोषित गाॅव बनाने की अवधि छः माह की होगी। किसी भी गाॅव को सुपोषित गाॅव घोषित करने से पूर्व कम से कम 2 माह तक उस गाॅव के मानकों में स्थिरता होनी चाहिए। सुपोषित गाॅव का प्रथम सत्यापन मुख्य सेविका के स्तर से, द्वितीय सत्यापन के लिए कन्वर्जेन्स विभागों की समिति तथा तृतीय सत्यापन यूनीसेफ, टी.एस.यू., टाटा ट्रस्ट व पीरामल आदि के प्रतिनिधियों द्वारा किया जायेगा। इस पूरी कवायद की थीम यह होगी कि ‘‘सुपोषित गाॅव’’ एक माॅडल की तरह विकसित किये जायेंगे, परन्तु कुपोषण की दरों में कमी लाने का प्रयास प्रत्येक गाॅव में किया जायेगा।
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