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Tuesday, June 3, 2025 10:41:31 PM

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सिलगेर में धरनारत आदिवासियों पर लाठीचार्ज की निंदा की माकपा ने, कहा : लोकतांत्रिक आंदोलन के साथ सभ्य तरीके से पेश आये कांग्रेस सरकार

सिलगेर में धरनारत आदिवासियों पर लाठीचार्ज की निंदा की माकपा ने, कहा : लोकतांत्रिक आंदोलन के साथ सभ्य तरीके से पेश आये कांग्रेस सरकार
से बेखौफ खबर के लिए स्वतंत्र पत्रकार संजय पराते की रिपोर्ट

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने आदिवासियों की जमीन छीनकर वहां सैन्य कैम्प बनाये जाने के खिलाफ शांतिपूर्ण ढंग से धरना दे रहे सैकड़ों आदिवासियों को तितर-बितर करने के लिए आज उन पर लाठीचार्ज किये जाने की कड़ी निंदा की है तथा कहा है कि कांग्रेस सरकार को शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक आंदोलनों के साथ सभ्य तरीके से पेश आना चाहिए। इस लाठी चार्ज के कारण महिलाओं सहित कई लोगों के घायल होने की खबरें आ रही हैं।

आज यहां जारी एक बयान में माकपा राज्य सचिवमंडल ने कहा है कि बस्तर की प्राकृतिक संपदा की कार्पोरेटी लूट को सुनिश्चित करने के लिए विकास की जिस अवधारणा को कांग्रेस सरकार आदिवासियों पर थोपना चाहती है, वह इस क्षेत्र की जनता को स्वीकार नहीं है और न ही संविधान इसकी इजाजत देता है। यही कारण है कि बस्तर के आदिवासी अपने अधिकारों के लिए लगातार आंदोलित है, लेकिन सरकार उसे बंदूकों के बल पर कुचलने पर आमादा है। सरकार के इस रुख से नक्सलवाद को ही बढ़ावा मिलेगा।

माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने कहा है कि सिलगेर के आंदोलनकारी आदिवासियों का असली मुद्दा 17 मई को हुए गोलीकांड में एक गर्भवती महिला सहित मारे गए चार आदिवासियों के लिए न्याय सुनिश्चित करना और बलपूर्वक बनाये जा रहे सैन्य कैम्प को हटाना है। लेकिन वर्चुअल बैठक में ठीक इसी मुद्दे को गायब कर दिया गया। कांग्रेस पार्टी ने विधायकों की जो समिति आंदोलनकारियों से मिलने के लिए भेजी थी, उसकी भी जांच रिपोर्ट को आज तक सार्वजनिक नहीं की गई है। इस रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग करते हुए उन्होंने इन मौतों को ‘राज्य प्रायोजित हत्या’ करार देते हुए इसकी उच्चस्तरीय न्यायिक जांच कराए जाने तथा प्रथम दृष्ट्या दोषी अधिकारियों को तुरंत निलंबित किये जाने की पार्टी की मांग को पुनः दुहराया है।

माकपा नेता ने कहा है कि यदि कांग्रेस सरकार बस्तर में वाकई शांति चाहती है, तो उसे पूर्ववर्ती भाजपा राज की दमनकारी नीतियों से अपने को अलगाना होगा तथा वनाधिकार कानून, पेसा कानून और पांचवीं अनुसूची के प्रावधानों को ईमानदारी से लागू करते हुए इस क्षेत्र में कॉरपोरेटों की घुसपैठ को रोकना होगा। इसके साथ ही आदिवासियों का विश्वास जीतने के लिए पूर्व भाजपा राज में आदिवासियों पर हुए दमन की पुष्ट रिपोर्टों पर जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ उदाहरणीय कार्यवाही करने का साहस दिखाना होगा।

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