बहराइच जिले : में सैनिक किड्स पब्लिक स्कूल अकबरपुरा में पुलिस की पाठशाला का आयोजन किया गया। पाठशाला में छात्राओं ने मुख्य अतिथि नगर कोतवाल आरपी यादव से बेझिझक सवाल किए।
कोतवाल ने कहा कि छात्राएं बेफिक्र होकर पुलिस के सीयूजी व टोल फ्री नंबर पर कॉल करें। पुलिस आपकी सुरक्षा के लिए हर समय तैयार है। समाज में बेटियों व महिलाओं की सुरक्षा पुलिस की जिम्मेदारी है। छात्राओं के सवाल को नगर कोतवाल ने बखूबी समझाते हुए जवाब दिया। अमर उजाला की इस पहल को नगर कोतवाल और स्कूल प्रशासन ने सराहा। इस मौके पर प्रबंधक विजय गौड़ व स्कूल के इंचार्ज दीपांकर मिश्रा आदि मौजूद रहे।
उत्पीड़न का जरूर करें विरोध
बेटियों व महिलाओं को परिवार और गांव में किसी भी उत्पीड़न और अत्याचार का विरोध जरूर करना चाहिए। इसकी चिंता बिल्कुल न करें कि लोग क्या करेंगे, क्योंकि जब आप यही काम करके किसी को न्याय दिला देंगे तो यही लोग आपकी पीठ भी थपथपाने आ जाएंगे। इस बात का जरूर ध्यान रखें कि जुर्म करने वाले से बड़ा गुनहगार जुर्म सहने वाला होता है। आप अपने व समाज के न्याय के लिए आवाज जरूर उठाएं। पुलिस आपके साथ है।
बदल रही है समाज की सोच
समाज में अब पहले जैसी स्थिति नहीं है। लड़कियों व महिलाओं के प्रति लोगों की सोच काफी बदल रही है। सरकार ने जो भी नियम कानून बनाए हैं। हमारी सुरक्षा के लिए बनाए हैं। बस हमें समय पर उसका उपयोग जरूर करना चाहिए। हमें संकोच व झिझक को छोड़कर बुराइयों को मुकाबला बेझिझक करना चाहिए।
इसमें महिलाओं व छात्राओं को बेहतर जानकारी मिल रही है। बेटी की सुरक्षा व बचाने के लिए यह पहल काफी सार्थक है। ऐसी पहल होनी चाहिए।
बेटियों को सुरक्षित रखने का संदेश दे रहा है। इस कार्यक्रम से बेटियों को जानकारी मिल रही है कि अचानक कहीं फंस जाने पर बेटियां कैसे अपने आप को सुरक्षित करेंगी।
आसपास के लोगों से लें सहायता
स्कूल व कॉलेज आते-जाते समय अगर किसी भी छात्रा से कोई छेड़छाड़ करता है तो छात्राएं आसपास के लोगों की सहायता जरूर लें। उसके बाद तत्काल टोल फ्री नंबर या डायल 112 पर कॉल करके पुलिस को सूचना दें। इससे आप सुरक्षित रहेंगी और दूसरों को सुरक्षित रखने में अहम भूमिका निभा सकती है।
इससे बेटियों को जहां सुरक्षित करने की जानकारी दी जा रही है। वहीं महिला सुरक्षा से जुड़ी जानकारियां भी मिल रही हैं। ऐसे अभियान अवश्य होने चाहिए।
बेटियों को आज भी बेटे के बराबर का दर्जा नहीं मिल रहा है। जैसा कि बेटियों को भी बराबर का दर्जा मिलना चाहिए। लोगों को इस बात की जानकारी के लिए जागरूक करना जरूरी है कि बेटे व बेटी का दर्जा बराबर है।
जनता को पुलिस से बहुत सारी उम्मीद रहती हैं, लेकिन कई बार ऐसा देखा गया है कि सूचना के बाद भी पुलिस काफी देर में पहुंचती है। पुलिस को अपनी छवि को बेहतर बनाए रखने के लिए जनता की उम्मीदों पर खरा उतरना चाहिए।
अक्सर ऐसा देखा जाता है कि जब बेटियां या महिलाएं थाने में अपनी समस्या लेकर जाती हैं तो उनसे ही इतने सवाल पूछ लिए जाते हैं कि उनके मन में यह आ जाता है कि लगता हैं कि थाने आकर गलत किया। इस छवि को पुलिस साफ करें।
ऐसे कार्यक्रम हर संगठन को मिलकर चलाना चाहिए। जिससे महिलाओं व बेटियों के अंदर अपनी बात को कहने की हिम्मत मिलेगी और पुलिस द्वारा जानकारी भी।
महिलाओं को छेड़ने वाले अराजक तत्वों को पुलिस जेल भेजने से पहले उनके परिवार को बुलाकर कुछ ऐसा अहसास कराए कि उन्हें यह समझ में आए कि उन्होंने जो किया है। वही उनकी बहन व बेटियों के साथ भी हो सकता है।
स्कूल व कॉलेज जाते समय शोहदों की छींटाकशी झेलनी पड़ती है। पुलिस इनसे निपटने के लिए तो तैयार रहती है, लेकिन ऐसा हो जाता है कि सूचना नहीं दे पाती हैं। ऐसे में छात्राओं को बेटियों को आत्मरक्षा की ट्रेनिंग मिलनी चाहिए।
बेटियों व महिलाओं के साथ हुई घटना पर त्वरित कार्रवाई करना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो पाता है। न्याय पाने के लिए थानों के कई बार चक्कर काटने पड़ते हैं। हर थानों पर बेटियों व महिलाओं की सुनवाई के लिए अलग डेस्क हो, जिस पर तुरंत सुनकर कार्रवाई की जाए।
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