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Thursday, April 17, 2025 7:50:17 PM

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सारस और अरंगा-पार्वती झील में प्रवासी पक्षियों ने दी दस्तक

सारस और अरंगा-पार्वती झील में प्रवासी पक्षियों ने दी दस्तक
/ से बेखौफ खबर के लिए स्वतंत्र पत्रकार शबनम सिद्दीकी की रिपोर्ट

गोंडा : सर्दी में वजीरगंज के अरंगा-पार्वती की झील की रौनक बढ़ गई है। यहां देशी-विदेशी पक्षियों का जमावड़ा लगने लगा है। मध्य एशिया व तिब्बत से लंबी दूरी तय करके आने वाले पक्षियों का कलरव इन झीलों में गूंज रहा है
देश के विभिन्न स्थानों से राम नगरी अयोध्या आने वाले श्रद्धालु भी अरंगा-पार्वती झील में पक्षियों का कलरव देखने जाते हैं, क्योंकि अयोध्या से अरंगा-पार्वती झील मात्र 23 किमी दूर है। वहीं मधवापुर सती अनुसुइया आश्रम को जाने वाले श्रद्धालु भी अरंगा-पार्वती झील में पक्षियों को देखने जाते हैं।
वजीरगंज क्षेत्र में 3 झीलें हैं। इनमें दो झीलों में विदेशी पक्षी आते हैं। जिला मुख्यालय से करीब 30 किमी दूर टिकरी मार्ग पर ग्राम कोठा की झील अरंगा व बहादुरा ग्राम में पार्वती झील एवं वजीरगंज कस्बे से सटी कोंडर झील का अपना विशेष महत्व है।
करीब पांच किमी क्षेत्र में फैली अरंगा-पार्वती झील में अन्य पक्षियों के अलावा सैकड़ों सारस भी अपने-अपने जोड़े के साथ विचरण करते दिखाई पड़ते हैं। तिब्बत से आने वाले पक्षियों में छोटी मुर्गाबी, नकटा, गिर्री व सुर्खाब, मध्य एशिया से आने वाले पक्षियों में काज, चट्टा व लगलग प्रमुख हैं। इसके अलावा स्थानीय व बाहरी पक्षियों में काला तीतर, भूरा तीतर, बटेर, रंगीन बटेर, लक बटेर, पहाड़ी भट तीतर, भट तीतर, जंगली मैना, अगरका, खजन, लाल मोनिया, बया, छपका, नीलकंठ, धनेश, कठफोड़वा, बाज, चील और हरियल आदि पक्षी शामिल हैं
यहां कोंडर झील व पथरी झील भी है, लेकिन पक्षियों का जमावड़ा सिर्फ अरंगा व पार्वती झील में ही रहता है। विदेशी पक्षी मेहमानों का आगमन नवंबर से शुरू हो जाता है और इनका पड़ाव फरवरी तक रहता है।

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