बहराइच। प्रदेश के आर्थिक रूप से पिछड़े विशेषकर लघु तथा सीमान्त गन्ना किसानों एवं अन्य वर्ग के कृषकों के हित के प्रति सजग प्रदेश सरकार के मुखिया योगी आदित्य नाथ के निर्देश पर ‘‘किसानों की आय दोगुना‘‘ किये जाने की महत्वाकांक्षी योजना को साकार करने हेतु तत्पर प्रदेश के गन्ना विकास विभाग द्वारा अनेक कदम उठाये गये हैं। जिसके अन्तर्गत गन्ना खेती की लागत को कम करने के लिए आधुनिक कृषि यंत्रों के प्रयोग एवं सिंचाई हेतु ‘‘ड्रिप इरीगेशन‘‘ विधि को बढावा देने के प्रयास किये जा रहे हैं। प्रदेश के गन्ना एवं चीनी आयुक्त के हवाले से जिला गन्ना अधिकारी ने बताया कि दिन-प्रतिदिन जल स्तर में हो रही कमी में सुधार हेतु प्रदेश में भू-जल संचयन, उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि के दृष्टिगत ड्रिप सिंचाई पद्धति को बढ़ावा दिया जा रहा है जिससे पौधों को सीधे उनकी आवश्यकता के अनुसार जल उपलब्ध कराकर गुणवत्तायुक्त उत्पादन के साथ जल व ऊर्जा की बचत के साथ-साथ खेत में खरपतवार में कमी भी आती है। गन्ना आयुक्त के हवाले से गन्ना अधिकारी ने बताया कि वर्ष 2019-20 में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना ’’पर ड्राप मोर क्राॅप (माईक्रोइरीगेशन) अन्तर्गत आर्थिक रूप से पिछड़े लघु व सीमान्त कृषकों हेतु 90 प्रतिशत अनुदान दर पर 7,665 हेक्टेयर एवं अन्य वर्गो हेतु 80 प्रतिशत अनुदान दर पर 2,335 हेक्टेयर कुल 10,000 हेक्टेयर क्षेत्रफल में गन्ने की फसल हेतु लक्ष्य निर्धारित करते हुए उक्त के सापेक्ष उद्यान विभाग द्वारा 3,105 हेक्टेयर क्षेत्रफल में ड्रिप सिंचाई संयन्त्र स्थापना हेतु दिये जाने वाले अनुदान के लिए रू. 2,884.19 लाख अवमुक्त कर दिये गये हैं। जो पात्र कृषकों के खाते में डी.बी.टी. के माध्यम से उद्यान विभाग द्वारा प्रेषित किये जायेंगे। गन्ना अधिकारी ने बताया कि विभाग द्वारा इस योजना के सफल संचालन हेतु विषेष प्रयास किये जा रहे हैं। पात्र लाभार्थियों का विवरण आवश्यक अभिलेख यथा आधार, खतौनी, बैंक विवरण, कृषक का नाम, पता एवं मोबाईल नम्बर सहित अन्य सूचनाएं संकलित कर सम्बन्धित जिला उद्यान अधिकारी को पंजीकरण करने एवं डी.बी.टी. के माध्यम से भुगतान हेतु उपलब्ध कराने के निर्देश जारी कर दिये गये हैं। इस कार्यक्रम में अब तक 957 कृषकों का चयन हो चुका है। उल्लेखनीय है कि ड्रिप ंिसचाई से उर्वरकों एवं कीटनाशकों की खपत में उल्लेखनीय बचत होती है, फलस्वरूप गन्ने की उत्पादन लागत में उल्लेखनीय कमी आती है और गन्ना उत्पादन तथा कृषकों की आय में 20 प्रशित तक वृद्धि होती है।
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