बहराइच। बच्चों को सही पोषण मिले इसके लिए जरूरी है उन्हें अलग से कटोरी और चम्मच से आहार दिया जाय। परिवार के सदस्यों की थाली से खाना खिलाने की परंपरा में यह अनुमान लगाना कठिन होता है कि बच्चे को पर्याप्त आहार मिला अथवा नहीं। यह जानकारी देते हुए जिला पोषण विशेषज्ञ संतोष कश्यप ने बताया कि 01 सितम्बर से चल रहे पोषण माह के दौरान छः माह की आयु पूरी कर चुके बच्चों को अक्सर परिवार के सदस्य अपनी थाली में ही खाना खिलाते हैं। जिससे इस बात का ठीक से अनुमान नहीं लगाया जा सकता कि बच्चे का पेट भरा है अथवा नहीं। इस उम्र में बच्चे चंचल होते हैं और थोड़ा आहार लेने के बाद वह खेलने में व्यस्त हो जाते है। ं इस दौरान परिवार के सदस्य अपनी थाली का पूरा खाना चट कर जातें हैं। थाली में भोजन न होने की वजह से बच्चा दुबारा कोई मांग नहीं करता और खाली पेट रह जाता है। पुनः भूंख लगने पर वह माँ के दूध पर ही निर्भर रहता है। हमारी इस परंपरा की वजह से बच्चों को पर्याप्त आहार नहीं मिलता और वह कुपोषण के शिकार हो जाते हैं। कुपोषण की वजह से बच्चों की लंबाई और वजन दोनों उनके उम्र के हिसाब से नहीं बढ़ती। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2016 के अनुसार जनपद बहराइच मे 65 फीसद बच्चों की लंबाई उम्र के अनुसार कम है वहीं 44 फीसद बच्चों का वजन उनके उम्र के अनुसार कम है तथा 13.7 फीसद ऐसे बच्चे हैं जिनका वजन उनके लंबाई के अनुसार कम है। जनपद को कुपोषण की समस्या से निजात दिलाने के लिए प्रत्येक माह अनप्राशन दिवस पर आंगनवाड़ी कार्यकर्ता छः माह की आयु पूरी कर चुके बच्चों को कटोरी चम्मच से पहला ऊपरी आहार खिलाती है। आशा एवं आगनवाड़ी कार्यकर्ता गृह भ्रमण के दौरान माँ एवं परिवार के सदस्यों को कटोरी चम्मच से खाना खिलाने के महत्व को समझाती हैं। कटोरी और चम्मच से बच्चों को आहार खिलाने से बच्चे को प्रयाप्त मात्रा मे आहार मिलता है, बच्चे के लिए अलग से पौष्टिक आहार बनाकर दिया जा सकता है, बच्चे ने कितनी बार आहार लिया इसकी जानकारी रहती है और बच्चे को सही समय पर आहार भी मिलता है। पोषण विशेषज्ञ द्वारा परामर्श दिया गया है कि छह माह के बच्चे को माँ के दूध के साथ ऊपरी आहार भी देना चाहिए इसके लिए घर का बना हुआ मसला और गाढ़ा ऊपरी आहार जैसे कद्दू, लौकी, गाजर, पालक, दाल और यदि मांसाहारी हैं तो अंडा, मांस व मछली देना चाहिए। बच्चे के खाने मे ऊपर से एक चम्मच घी, तेल या मक्खन मिलाएँ, बच्चे के खाने मे नमक, चीनी और मसाले का उपयोग कम करें, बच्चे का खाना रुचिकर बनाने के लिए अलग अलग स्वाद व रंग शामिल करना चाहिए तथा बच्चे को बाजार का बिस्कुट, चिप्स, मिठाई, नमकीन और जूस जैसी चीजें न खिलाएँ इसमे बच्चे को सही पोषक तत्व नहीं मिल पाते। बच्चों को कितनी मात्रा में आहार खिलाएं इसके बारे में बाल रोग विशेषज्ञ डा. सोमनाथ मौर्या ने बताया कि छः माह से आठ माह तक के बच्चे को अलग से कटोरी में भोजन दें, दिन में दो बार आधी-आधी कटोरी (लभभ 250 ग्राम की कटोरी) अर्ध ठोस आहार एवं एक से दो बार पोषक नाश्ता भी देना बेहतर है। गाढ़ी दलिया और अच्छी तरह से मसले हुए खाने से शरूआत करें, एक बात का अवश्य ध्यान रखें कि बच्चा जब खाना बंद कर दे तब भी कुछ खाना कटोरी में बचा रहना चाहिए।
व्हाट्सएप पर शेयर करें
No Comments






