बहराइच। भारत-नेपाल सीमा पर पिछले डेढ दशक से बाल अधिकारों व मानव तस्करी के विरूद्ध काम कर रही स्वैच्छिक संस्था-डेवलपमेंटल एसोशिएसन फार ह्यूमन एडवांसमेंट- देहात के हाथ एक और सफलता हाथ लगी जब संस्था की “स्वरक्षा” परियोजना के कार्यकर्ताओं को सूचना मिली कि भारत-नेपाल सीमा के बरदिया जिले की ओर से कुछ मानव तस्कर कुछ युवतियों को लेकर जाने वाले हैं।
इसकी सूचना पर सशस्त्र सीमा बल के अधिकारी भी सजग हो गये और सीमा पर सशस्त्र सीमा बल की 70वीं वाहिनी के क्राइम एन0सी0ओ0 संजय कुमार की अगुआई में सतर्कता के साथ निगरानी बढा दी गयी।
तभी नेपाल के बर्दिया जिले की ओर से सीमा स्तंभ संख्या-690/3 से एक युवक के साथ तीन युवतियां आते दिखाई दिये। सीमा चौकी संख्या-82 के जवान व देहात संस्था की टीम के लोग सतर्क हो गये और उन्हें रोककर पूछताछ शुरु की।
पहले पकडे गये नेपाली युवक दीपेन्द्र -22 वर्ष ने बताया कि युवतियों में से एक उसकी पत्नी व दो उसकीउसकी पत्नी की बहने हैं और सभी उत्तर प्रदेश के बहराईच जिले के कारीकोट मेला दर्शन हेतु जा रहे हैं।
किंतु जब अलग अलग पूछताछ की गयी तो पता लगा कि मेले के बहाने युवक दीपेन्द्र व एक अन्य युवती सोनप्यारी -33 वर्ष, अन्य दो युवतियों क्रमश: सीता व सुनीता (बदले हुए नाम) नामक युवतियों को दिल्ली की ओर ले जा रहे थे, जहां से उन्हें अन्यत्र अथवा खाडी के देशों में बेचे जाने की योजना थी।
इसके पश्चात नेपाल पुलिस व नेपाली स्वैच्छिक संस्था- सना हातहरू के अधिकारियों को बुलाकर लिखा पढी करते हुए, अभियुक्तों व मुक्त कराई गयी युवतियों को सौंप दिया गया।
अनुश्रवण के लिये देहात संस्था के पदाधिकारी नेपाल की पुलिस व संस्थाओं के संपर्क में हैं।
देहात संस्था के मुख्य कार्यकारी जितेन्द्र चतुर्वेदी ने बताया कि भारत-नेपाल सीमा के रूपैडीहा बार्डर पर सशस्त्र सीमा बल व देहात संस्था की बढती चौकसी के कारण अब मानव तस्कर थाना सुजौली क्षेत्र के बिछिया इलाके का रूख कर रहे हैं, किंतु इनके नापाक मंसूबो को नाकाम करने के लिए देहात संस्था ने मानव तस्करी के विरूद्ध एक विशेष अभियान “स्वरक्षा” चलाकर अपना नेटवर्क न केवल सीमा के मुख्य रास्तों पर बल्कि सीमावर्ती गांवों में भी विस्तारित कर दिया है।
इस दौरान देहात संस्था के सामुदायिक कार्यकर्ता विजय यादव, गीता प्रसाद व समन्वयक-रामनारायण कुमार की भूमिका अहम रही।
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