बहराइच 25 मई। जिला कृषि रक्षा अधिकारी आर.डी. वर्मा ने जानकारी दी है कि अनेक कीटों की प्रावस्थाए व भूमिजनित रोगो के कारक भूमि में पाये जाते है जो फसलो को विभिन्न प्रकार से क्षति पहुचाते हैं। जिसमें प्रमुख रूप से दीमक, सफेद गिडार, कटवर्म, सूत्रकृृमि, लेपिडाप्टेरस आदि अनेक कीटों तथा फफूदी/जीवाणु रोगो के भी भूमि जनित कारक प्रावस्थाए भूमि की संरचना के अनुरूप मिट्टी में पाये जाते हैं जो अनुकूल परिस्थितियो में पौधे की विभिन्न प्रावस्थाओ को संक्रमित कर फसल उत्पादन में बाधक बन हानि पहुचाते हंै। इन कीट व्याधियांे की रोकथाम के लिए कृषि रक्षा रसायनों का आवश्यकतानुसार प्रयोग करना उपयोगी है अन्यथा की स्थिति में अधिक व्यय के कारण उत्पादन लागत मंे वृृद्वि हो जाती है।
श्री वर्मा ने किसानों को सुझाव दिया है कि बीज बोने व पौध रोपण के पूर्व समय से संस्तुत कृृषि रक्षा रसायनों तथा जैविक रसायनांे (बायोपेस्टीसाइड) से भूमिशोधन द्वारा सम्भावित क्षति प्रारम्भ में ही रोककर स्वस्थ फसल से गुणवत्तायुक्त उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं इससे उत्पादन लागत में भी कमी आयेगी। श्री वर्मा ने बताया कि भूमि शोधन हेतु कृृषि रक्षा रसायनो जैसे क्लोरपायरीफाॅस 20 प्रति0 ईसी 2.5 ली./हे. की दर से एवं बायोपेस्टीसाइड जैसे ट्राइकोडर्मा अथवा व्यूबेरिया बेसियाना अथवा सूडोमोनास 2.5 किग्रा./हे. की दर से 200 किग्रा. गोबर की खाद में मिलाकर एक सप्ताह छायादार स्थान पर रखने के बाद भूमि उपचारित करना चाहिए। जिससे भूमिजनित रोग जैसे-जीवाणु झुलसा, पत्तीधारी रोग, उकठा, जड/तना सडन, बैक्टीरियल बिल्ट, डाउनी मिल्डयू एवं फाल्स स्मट/स्मट आदि से बचा जा सकता है।
जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने बताया कि किसी भी फसल में कीट/रोग के प्रकोप की दशा में किसान भाई अविलम्ब अधोहस्ताक्षरी के दूरभाष न. 9839206867 पर सम्पर्क कर कीट/रोग के नियन्त्रण के सम्बन्ध में सलाह प्राप्त कर सकते हैं। कीट/रोग से बचाव हेतु आवश्यक कृषि रक्षा रसायन जनपद के सभी कृृषि रक्षा इकाईयों पर अनुदानित मूल्य पर उपलब्ध है, परन्तु अनुदान सीमित है अतः प्रथम आवक प्रथम पावक के आधार पर प्राप्त कर सकते है। किसान सुझाये गये कृषि रक्षा रसायन प्राप्त कर कीट/रोगो से अपनी फसल का बचाव/उपचार करते हुए अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते है।
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