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Monday, February 10, 2025 11:06:37 PM

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जल संसाधनों का बेहतर प्रबन्धन समय की आवश्यकता: जिलाधिकारी

जल संसाधनों का बेहतर प्रबन्धन समय की आवश्यकता: जिलाधिकारी

बहराइच 31 दिसम्बर। राज्य पेयजल एवं स्वच्छता मिशन अन्तर्गत पेयजल एवं स्वच्छता सहयोग संगठन उत्तर प्रदेश द्वारा विकास भवन सभागार में समुदाय आधारित पाईप पेयजल योजनाओं के संचालन एवं अनुरक्षण से सम्बन्धित जनपद स्तरीय एक दिवसीय कार्यशाला का मुख्य अतिथि जिलाधिकारी माला श्रीवास्तव ने माॅ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारम्भ किया। कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए जिलाधिकारी ने कहा कि जनपद के कई क्षेत्र आर्सेनिक व फलोराइड से प्रभावित है। इस स्थिति में पेयजल परियोजनाओं की महत्ता और बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि भू-जल के दोहन पर दबाव बढ़ने से हमारे देश में ही कई ऐसे क्षेत्र हैं जहाॅ पानी दूर-दूर से लाना पड़ता है। कार्यशाला का उद्देश्य यह है कि हम सभी को ऐसे महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा करने का अवसर मिल रहा है। जिलाधिकारी ने कहा कि जल संसाधन के लिए हमें सिंगापुर जैसे देश से सबक सीखना होगा। जहाॅ पर पेयजल का एक मात्र साधन नदी थी। उन्हें मलेशिया से पानी लेना पड़ता था। सिंगापुर ने बेहतर जल प्रबन्धन को अपना कर मात्र एक नदी के स्रोत से मिलने वाले पानी को रिसाईक्लिंग कर अपनी सभी ज़रूरतें पूरी कर रहा है। जिलाधिकारी ने कार्यशाला में मौजूद ग्राम प्रधानों का आहवान्ह किया कि ग्राम पंचायत के मुखिया के नाते अपने क्षेत्र में जल संसाधनों के बेहतर प्रबन्धन के लिए कारगर कार्ययोजना तैयार करें। उन्होंने कहा कि इस धरती पर जल के असीमित संसाधन नहीं हैं जीवन के लिए जल का कोई विकल्प भी नहीं है। जल से सम्बन्धित ज़रूरतों को पूरा करने के लिए हमें बेहतर प्रबन्धन के साथ-साथ विवेकपूर्ण तरीकों स ेजल को खर्च करना होगा। उन्होंने कहा कि खेती किसानी के कार्य में भी जल के बेहतर प्रबन्धन के लिए टपक व स्प्रिंकलर जैसी परियोजनाएं प्रारम्भ की गयी है ताकि हम ज़रूरत के हिसाब से ही जल को खर्च करें। जिलाधिकारी ने कहा कि आज आवश्यकता इस बात की है कि हम जल के साथ-साथ प्राकृति के अंधाधुंध दोहन से परहेज़ करें। उन्होंने कहा कि ऐसा न हो कि हमसे बहुत देर हो जाये और हम आने वाली नस्लों के लिए कुछ छोड़ कर न जा सकें। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि हम संसाधनों के निःशुल्क प्रयोग करने की आदत को धीरे-धीरे छोड़ दें। उन्होंने कहा कि हमें पेयजल के लिए कुछ न कुछ धनराशि का भुगतान करना होगा। डीएम ने कहा कि ऐसी योजनाओं के माध्यम से हम आने वाली पीढ़ी के लिए कुछ बेहतर कर सकते हैं और हमें इस अवसर को हाथ से नहीं जाने देना है। उन्होंने ग्राम प्रधानों को निर्देश दिया कि हस्तगत होने वाली पेयजल परियोजनाओं का संचालन शासन की मंशानुरूप करायें। जिला विकास अधिकारी वीरेन्द्र सिंह ने कार्यशाला आयोजन के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। जबकि अधि.अभि. जल निगम आर.बी. राम ने पाइप पेयजल के महत्व, पानी की गुणवत्ता, पेयजल के लिए निर्धारित शुल्क, परियोजना के रख-रखाव तथा जनपद में पानी की स्थिति इत्यादि के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी प्रदान की। अधि.अभि. ने कहा कि पाइप पेयजल से प्राप्त होने वाला पानी खुले स्रोतो से प्राप्त होने वाले पानी से कई मायनों में बेहतर है। उन्होंने कहा कि दूषित जल का उपयोग करने से व्यक्ति कई प्रकार की बीमारियों विशेषकर पेट से सम्बन्धित बीमारियों की चपेट में आ जाता है। उन्होंने कार्यशाला में मौजूद सभी ग्राम प्रधानों से अपील की कि अपने ग्राम पंचायत में पेयजल परियोजना का बेहतर ढंग से संचालन और रख-रखाव कर लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने में सहयोग प्रदान करें। कार्यशाला के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में समुचित मात्रा में कम कीमत पर पाईप पेयजल उपलब्ध कराने में आने वाली चुनौतियों, पाईप पेयजल के संचालन, अनुरक्षण एवं रख-रखाव सम्बन्धित विषयों पर सामाजिक सहभागिता को बढ़ावा देने, ग्राम पंचायत स्तर पर जल स्वच्छता समिति द्वारा रखे जाने वाले विभिन्न अभिलेखों तथा ग्राम पंचायतों में निर्माण में पायी जाने वाली कमियों पर चर्चा की गयी तथा प्रोजेक्टर के माध्यम से विभिन्न विषयों पर प्रस्तुतिकरण भी किया गया। कार्यशाला के दौरान राज्य स्तरीय प्रशिक्षक राम शंकर त्रिपाठी ने कार्यक्रम का संचालन किया तथा पेयजल के संचालन एवं रख-रखाव की जानकारी तथा जिला परियोजना प्रबन्धन इकाई के संदीप कुमार ने पाईप पेयजल के तकनीकी पहलुओं तथा लेखाकार अनिल कुमार त्रिपाठी ने जीपीडब्लूएससी के तहत रखे जाने वाले अभिलेखों तथा बजट निर्माण के सम्बन्ध में जानकारी उपलब्ध करायी। उन्हांेने बताया कि 50 परियोजनाएं ग्राम पंचायतों को हस्तगत कराये जाने के लिए तैयार हैं जिसमें राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम की 33, सांसद आदर्श ग्राम की 01, प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम 05 तथा शेष नीर परियोजना अन्तर्गत 12 परियोजनाएं हैं। कार्यशाला में मुख्य विकास अधिकारी राहुल पाण्डेय, उपायुक्त मनरेगा शेषमणि सिंह सहित अन्य जिला स्तरीय अधिकारी, खण्ड विकास अधिकारीगण, राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम, सांसद आदर्श ग्राम, प्रधानमंत्री जल विकास कार्यक्रम तथा शेष नीर परियोजना अन्तर्गत चयनित ग्रामों के ग्राम प्रधान, पंचायत सचिव व जल स्वच्छता समिति के पदाधिकारी मौजूद रहे।

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