( रिपोर्ट : डी0पी0श्रीवास्तव)
मोदी और योगी की सरकारों द्वारा जहाँ रोज देश को भ्र्ष्टाचार मुक्त बनाने के नित नए नए प्रयास किये जा रहे हैं,वहीँ बहराइच का नगर पालिका परिषद भ्रष्टाचार
की सीमा पार कर चुका है। पर बिडम्बना तो यह है कि किसी आला अफसर की निगाह में मामला अबतक क्यो पकड़ में नही आ रहा?
ज्ञात हो कि बहराइच नगर पालिका परिषद में सैकड़ो वाहन वर्षो से चल रहे है जिनमे लोडर से लेकर ट्रैक्टर व छोटे तिपहिया एंव चौपहिया वाहन शामिल हैं, पर किसी भी वाहन पर रजिस्ट्रेशन नंबर नही पड़ा है। जिससे कोई दुर्घटना होने पर किसी को वाहन के नम्बरो का कोई अता पता नहीं होता। अब सवाल यह भी उठता है कि वाहनों पर नम्बर प्लेट क्यों नहीं लगाई गयी और क्या वाहनों का रजिस्ट्रेशन ही नही कराया गया? इससे एआरटीओऑफिस की भूमिका पर भी सवालिया निशान उठने लगे है। बताया यह भी जा रहा है कि सभी वाहनों पर कमर्शियल टैक्स अदा करने के बजाय उसे बचाने के चक्कर मे सरकार को करोड़ो का चूना लगया जा रहा है। और यदि यह सभी संचालित वाहन रजिस्ट्रेशन विहीन हैं तो रजिस्ट्रेशन और इंश्योरेंस का भारी मद का बन्दर बाट होना सम्भव है। और अगर रजिस्ट्रेशन कराया गया तो इन पर नम्बर प्लेट क्यों नही लगाई गई। एक बड़ा सवाल नगर पालिका प्रशासन पर यह भी है कि इसका जिम्मेदार कौन है और इस भ्र्ष्टाचार में सम्मिलित लोगों को आखिर सजा देगा कौन?
क्या पूरे कुएं में भांग पड़ी है और सब मदहोश है या जानबूझ कर किसी साजिश के तहत कोई षड्यंत्र कर भारी भरकम धन का बंदरबांट किया जा रहा है। मालूम हो कि महिषासुररूपी सर उठाए नगरपालिका में उक्त सुनियोजित भ्रष्टाचार में जहाँ सब कुछ सामने होने के बाद भी सबकुछ बड़ी चालाकी से लोगों की नजरों से ओझल होता रहा है वहीँ पालिका प्रशाशन द्वारा नगरीय कार्यों हेतु जो भी वाहन संचालित किए जा रहे हैं उनके मेंटेनेंस के नाम पर नपाप द्वारा लाखों का खेल करने के बाद भी इस विभाग द्वारा कार्यालय सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी के यहाँ न तो ऐसे वाहनों का कोई पंजीकरण करवाया गया है और न ही उसका कोई इंश्योरेंस। लोग यहाँ तक बताते हैं कि उक्त कार्यालय की संलिप्तता व उदासीनता के फलस्वरूप ही यह विभाग पूरी जबरई के साथ जिला प्रशासन व सरकार की आँखों में धूल झोंककर रोड परमिट की चोरी,इंश्योरेंस की चोरी करने के साथ साथ टैक्स की चोरी कर राजस्व कोअब तक न सिर्फ लाखों करोड़ों की छति पहुंचाता रहा है। बल्कि ऐसे वाहनों के मेंटेनेंस जैसे थ्री व्हीलर,ट्रैक्टर, ट्राली,हाफ डाला,लोडर ट्रैक्टर व जेसीबी की बैरिंग,पाइप नाजिल व पम्प आदि पर कम लागत की जगह हजारों का बिल वाउचर बनाकर भ्रष्टाचार में शामिल विभागीय लोगों की जेबों का वजन बढ़ाने के रूप में भी देखा जाता रहा है। बताते हैं कि नपाप की लगभग सैंकड़ों गाड़ियाँ नगरीय छेत्रों में संचालित होने के बाद भी ज्यादातर गाड़ियों में न तो नंबर प्लेटें हैं और न ही ऐसे वाहनों पर कोई नंबर ही अंकित है। और ऐसी परिस्थितियों में यदि उक्त वाहनों से कोई मौत हो जाये तो इसका जिम्मेदार कौन होगा?
आपको यह भी बताते चलें कि यह वही विभाग है जहाँ गरीबों को कंबल न देकर विभागीय दस्तावेजों को कंबल ओढ़ाकर बड़ा भ्रष्टाचार किया गया था जिसकी गूँज आयोग की चौखट तक सुनाई देने के बाद भी मामले में बड़ा नाटक देखने को मिला था। यही नहीं बल्कि जनवरी 2013 से 27 जुलाई 2016 के दौरान रुपया 96,80,14530,00 शाशन की मंशा के विरुद्ध नपाप द्वारा व्यय किया गया था,जो की आज भी आयोग में विभाग और शिकायतकर्ता के बीच उठापटक कर रहा है। एक पक्ष जहाँ रुपयों के दम पर मामले को शांत करने में जुटा है वहीँ दूसरा पक्ष आयोग में खेल होने के बाद मामले का खुलासा करने के लिए हाई कोर्ट व सुप्रीम तक जाने की ठाने बैठा है। यह वही विभाग है जहाँ दोयम दर्जे के सीसी ईंटों से रोड के बगल की पटरियों के साथ साथ नगर में नालों का संजाल अपने चिन्हित ठेकेदारों के माध्यम से बिछवाया गया था जिन्हें बाद में उजाड़कर पक्की ईंटों से निर्माण करवाये जाने के साथ साथ उजड़कर गिर रहे नालों के मरम्मत के रूप में जगह जगह पर देखा भी जा सकता है। लेकिन अब नपाप द्वारा वाहनों में किये जा रहे भ्रष्टाचार का जो अजीबो गरीब मामला आवाम व जिलाप्रशाशन के सामने आया है उसमें जिला प्रशाशन कौन सा कड़ा रुख अपनाता है यह देखना काफी दिलचस्प होगा।
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