लंबे समय से समाजवादी पार्टी में उपेक्षित चल रहे शिवपाल सिंह यादव ने आखिरकार बुधवार को यहां बागी तेवर दिखाते हुए सेकुलर मोर्चा का औपचारिक गठन कर अलग राह चुनने का संकेत दे दिया। उन्होंने मोर्चा के गठन के साथ इससे पुराने व उपेक्षित समाजवादियों तथा छोटे दलों को जोड़ने का एलान किया है। यह भी दावा किया है कि वह मुलायम सिंह यादव को भी जल्द ही मोर्चा से जोड़ेंगे। शिवपाल के मोर्चा गठित करने पर उनके भतीजे और सपा मुखिया अखिलेश यादव ने कहा, ‘नाराज तो मैं भी हूं लेकिन कहां चला जाऊं। ’ शिवपाल के कदम के पीछे भाजपा का हाथ होने के सवाल पर अखिलेश ने कहा कि वह नहीं कहते लेकिन कल से आज तक जो कुछ हुआ उसे देखने पर शक तो इसी तरफ जाता है। दो दिन पहले मुलायम और शिवपाल की मुलाकात के बाद शिवपाल का यह एलान अपने आप में काफी कुछ कह देता है। मोर्चा बनाकर नेता जी का सम्मान वापस दिलाऊंगा
शिवपाल ने कहा कि नेताजी (मुलायम सिंह यादव) कह रहे हैं कि उनको सम्मान नहीं दिया जाता। उनकी उपेक्षा हो रही है। मोर्चा बनाकर नेता जी का सम्मान वापस दिलाऊंगा। खुद भी सम्मान करूंगा और उनसे भी सम्मान करने का आग्रह करूंगा जो अभी उनका सम्मान नहीं कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि नेताजी को भी मोर्चा से जोड़ेंगे। लोकसभा चुनाव लड़ने के सवाल पर कहा कि वह मोर्चा में शामिल सभी दलों और नेताओं से बात करके इस बारे में फैसला करेंगे। हालांकि, शिवपाल ने यह कहते हुए कि वह अब भी परिवार को एक रखना चाहते हैं, एक तरह से समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और अपने भतीजे अखिलेश यादव को आगाह कर दिया है कि पानी अब सिर के ऊपर निकल रहा है। लंबे समय से उपेक्षित रहे हैं शिवपाल सिंह यादव
वैसे शिवपाल ने पिछले वर्ष 5 मई को ही सेकुलर मोर्चे के गठन का एलान किया था। पर, बाद में यह ठंडे बस्ते में चला गया। इसकी वजह मुलायम सिंह यादव की मध्यस्थता और शिवपाल को सम्मानजनक समायोजन का आश्वासन था। पर, न तो शिवपाल का समायोजन हआ और न ही पार्टी में सम्मान दिलाने में मुलायम सफल हो पाए। शिवपाल को न तो पार्टी की बैठकों में बुलाया जाता था और न ही उनसे किसी मुद्दे पर सपा के फोरम पर कोई सलाह ही ली जाती थी। इसी रक्षाबंधन पर शिवपाल ने खुद भी कहा था कि इंतजार करते-करते डेढ़ साल हो गए। आखिर कितनी उपेक्षा बरदाश्त की जाए। सहने की भी कोई सीमा होती है
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