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Saturday, February 8, 2025 7:10:34 PM

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नैनी जेल में बंद मास्टर माइंड ने करोड़ों की ठगी की साजिश रची थी, दो गिरफ्तार

नैनी जेल में बंद मास्टर माइंड ने करोड़ों की ठगी की साजिश रची थी, दो गिरफ्तार

कुंभ के नाम पर पर्यटन विभाग की फर्जी निविदा निकाल कर करोड़ों की ठगी के दो आरोपियों को लखनऊ की गोमतीनगर पुलिस ने रविवार को गिरफ्तार किया है। जालसाजों ने मुंबई के एक फिल्म निर्माता को भी मोदी व योगी के ड्रीम प्रोजेक्ट के नाम पर 35 लाख का चूना लगाया था। नैनी जेल में बंद मास्टर माइंड ने करोड़ों की ठगी की साजिश रची थी। खेल का भंडाफोड़ होने पर तीन आरोपी प्रदेश के बाहर छिपे है। प्रभारी निरीक्षक देवी प्रसाद तिवारी ने बताया कि पर्यटन विभाग की फर्जी निविदा निकालकर करोड़ों की ठगी के मामले में प्रतापगढ़ के महेशगंज थाने के नरिगांव निवासी अनुज त्रिपाठी और अंतु थाने के रामपुर उमरी निवासी राजेंद्र कुमार पांडेय उर्फ नीरज पांडेय को गिरफ्तार किया गया है। उनके खिलाफ दो अभियोग दर्ज हैं। पूछताछ में खुलासा हुआ कि अनुज त्रिपाठी के भाई मनोज तिवारी पर तीस मुकदमे दर्ज हैं। हिस्ट्रीशीटर मनोज तिवारी नैनी जेल में बंद है। उसने अनुज त्रिपाठी, राजेंद्र कुमार पांडेय, दारागंज थाने के बक्शी खुर्द निवासी उमाशंकर तिवारी, प्रयागकुंज निवासी आलोक मिश्रा और गौरव उपाध्याय के साथ मिलकर साजिश रची थी। राजेंद्र ने उसे जेल में मोबाइल फोन व सिमकार्ड उपलब्ध कराया। इसके बाद कुंभ के नाम पर सोशल मीडिया पर निविदा निकालकर लोगों को जाल में फंसाना शुरू किया। धोखाधड़ी का शिकार बने मुंबई के फिल्म निर्माता संतोष उपाध्याय ने 29 जुलाई को प्राथमिकी दर्ज कराई थी। प्रभारी निरीक्षक ने बताया कि उपनिरीक्षक कृष्णबली सिंह की टीम ने अन्य आरोपियों की तलाश में उनके ठिकानों पर छापामारी की। कानपुर के शारदानगर में उमाशंकर तिवारी के किराए के मकान में दबिश देने पर फर्जी नंबर प्लेट लगी कार बरामद हुई। उसे कब्जे में लिया गया है। पता चला है कि उमाशंकर तिवारी, आलोक मिश्रा और गौरव उपाध्याय प्रदेश के बाहर किसी स्थान पर छिपे हैं। उनकी तलाश की जा रही है। संतोष उपाध्याय ने पुलिस को जानकारी दी कि मनोज तिवारी ने उन्हें कॉल करके डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाने के बारे में बातचीत की और आलोक मिश्रा से संपर्क करने को कहा। कुछ देर बाद आलोक ने फोन किया। उसने पर्यटन विभाग के एमडी अखंड प्रताप सिंह से करीबी संबंध बताकर लखनऊ बुलाया। एयरपोर्ट से सीधे पर्यटन भवन पहुंचे संतोष उपाध्याय से आलोक मिश्रा ने मुलाकात की। कान में बाली पहने व्यक्ति का परिचय एमडी अखंड प्रताप सिंह के रूप में कराया। चपरासी बुलाकर संतोष को ग्रीन-टी पिलाई और मोदी व योगी के ड्रीम प्रोजेक्ट पर नौ डॉक्युमेंट्री फिल्म बनानेे की बात करने के साथ कंपनी के लेटरपैड पर अनुरोध पत्र देने को कहा। कागजी खानापूरी करके संतोष उपाध्याय मुंबई लौट गए। चार दिन बाद आलोक मिश्रा ने कॉल की और लखनऊ आकर अनुबंध करने के निर्देश दिए। संतोष उपाध्याय का कहना है कि वह नौ मार्च को पर्यटन भवन पहुंचे। एमडी के कक्ष में छपे हुए अनुबंधपत्र पर हस्ताक्षर कराने के साथ दस हजार रुपये जमा कराए गए। इसके बाद उनसे 36 लाख की मांग हुई। अगले दिन उन्होंने दक्ष इंटरप्राइजेज के खाते में 25 लाख रुपये ट्रांसफर करने के साथ दस लाख रुपये नगद दिए। जालसाजों ने आश्वासन दिया था कि 30 जून तक पांच प्रतिशत पर वैल्यू के 46 करोड़ रुपये एडवांस मिल जाएंगे। तिथि बीतने के बाद भी रकम न मिलने पर उन्होंने कॉल की। इस बीच पर्यटन विभाग में फर्जी निविदा सूचना प्रकाशित करके ठगी की खबर पढ़कर संतोष उपाध्याय ने केस दर्ज कराया।

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