1. शिक्षकों पर दबाव बनाकर जबरन दी जाती है ड्रेस। 2. गत वर्ष दादा आटो सेल्स के पैड पर क्षेत्र में ड्रेस की हुई है सप्लाई। 3. ड्रेस का कपड़ा अत्यन्त रफ टप और बेकार होने तथा सिलाई खराब होने के कारण एक ही धुलाई में ड्रेस का होता है अन्तिम संस्कार। नानपारा- स्कूल खुलते ही परिषदीय स्कूलों में ड्रेस की ठेकेदारी करने वाले नेता सक्रिय हो गये नानपारा क्षेत्र के सभी परिषदीय स्कूलों में ड्रेस की जबरन सप्लाई चालू हो गई। कई शिक्षक शिक्षकायें अपना नाम न लिखने की शर्त पर बताती है कि स्कूलों में ड्रेस जबरन दिया जाता है। यदि कोई शिक्षक लेने से मना करता है तो उसे स्थानारण और कार्यवाही की धमकी दी जाती है। गत वर्ष भी यही हाल रहा और ड्रेस सप्लाई करने वाले सत्ता पक्ष के ठेकेदारों ने दबाव बनाकर स्कूलों को ड्रेस जबरन दे दिया गया और दबाव बनाकर स्कूलों से ड्रेस के चेक वसूल कर जिये गये। बताते चले कि वर्तमान समस्त प्राइमरी और जूनियर स्कूलों में प्रबन्धकीय समिति बनी हुई है। प्रबन्ध समिति और स्कूलों के प्रधानाध्यापक के माध्यम से कपड़ों क्रय करके बच्चों की नाप देकर बच्चों की नाप से ड्रेस सिलवाकर बच्चों में वितरित करना है। ड्रेस का कपड़ा क्रय करने एवं सिलाई कराने तथा वितरित करने की सम्पूर्ण जिम्मेदारी के साथ कपड़े की क्वालिटी और सिलाई का भी वही जिम्मेदार होता है। सप्लाई की गई ड्रेस की जहां कपड़ों की क्वालिटी रफ टप और खराब है वहीं सिलाई भी बिना नाप की रहती है। जिससे 10 प्रतिशत बच्चा को ड्रेस नाप कर सही बैठती है 90 प्रतिशत बच्चों के ड्रेस हैंगर में लटके मालूम पड़ते है। बताते चले कि बेसिक शिक्षा मंत्री का गृह जनपद होने के बाद इस जनपद में जब यह स्थिति है तो अन्य जनपदों में क्या होगी। हां यह भी बताते चले कि अगर कोई प्रधानाध्यापक ड्रेस लेने से मना करता है तो ड्रेस के ठेकेदार शिक्षा विभाग के माध्यम से उसे परेशान करना शुरू कर देते है। फिलहाल क्षेत्र मे ड्रेस की ठेकेदारी सत्ता पक्ष के नेताओं द्वारा जारी है। शिक्षकों को इससे कब मुक्ति मिलेगी। यह भविष्य के गर्भ में है।
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