बहराइच 12 जुलाई। रेशम उद्योग, वस्त्रोद्योग, खादी एवं ग्रामोद्योग, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग एवं निर्यात प्रोत्साहन मंत्री, उत्तर प्रदेश सत्यदेव पचैरी ने लोक निर्माण विभाग, निरीक्षण भवन में आयोजित बैठक के दौरान कहा कि जनपद में रेशम उद्योग की संभावनाओं को देखते हुए यहाॅ पर रेशम धागाकरण इकाई की स्थापना के साथ-साथ जनपद को रेशम उत्पादन के क्षेत्र में माॅडल के रूप में विकसित किया जायेगा। श्री पचैरी ने कहा कि रेशम उद्योग कृषि पर आधारित एक ग्रामीण उद्योग है, जिसमें बेरोज़गार नवयुवक गरीब महिलाओं को घर एवं कृषि का कार्य करते हुए रेशम आधारित उद्योग से जोड़ा जा सकता है। जनपद की भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए रेशम उद्योग के क्षेत्र में जिले को हब के रूप में विकसित किया जा सकता है। रेशम उद्योग के माध्यम से शैक्षिक एवं औद्योगिक रूप से पिछड़े जनपद में लोगों की आय को दोगुना कर बेरोज़गारी की समस्या पर भी विराम लगाया जा सकता है। श्री पचैरी ने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिया कि जागरूकता एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से अधिक से अधिक लोगों को रेशम उद्योग की ओर आकर्षित किया जाये। श्री पचैरी ने निर्देश दिया कि जनपद में ऐसी व्यवस्था की जाय कि एक ही छत के नीचे सभी चयनित लोगों को रेशम उद्योग से सम्बन्धित सभी प्रकार के प्रशिक्षण प्राप्त हों। बैठक के दौरान सहायक निदेशक रेशम ने बताया कि वर्ष 2018-19 में माडल चाकी कीट पालन एवं शहतूत उद्यान की स्थापना योजनान्तर्गत रेशम कोया उत्पादन के लिए निर्धारित लक्ष्य 180622 कि.ग्रा. के सापेक्ष मासान्त जून तक 30575.5 कि.ग्रा. उत्पादन किया गया है। इसके अलावा नर्सरी स्थापना के लिए 1.50 एकड़ तथा वृक्षारोपण के लिए 250 एकड़ का लक्ष्य तय किया गया है। सहायक निदेशक रेशम ने बताया कि बहराइच में डुपियन सिल्क धागा के उत्पादन के लिए कोई भी मशीन स्थापित नहीं है, जिसके स्थापित होने से कृषकों को उनके उत्पादित कोया का धागा तैयार कराकर वैल्यू एडिशन (मूल्य संवर्धन) कराया जाना प्रस्तावित है। इसी प्रकार से विभिन्न प्रकार के सिल्क बाई प्रोडक्ट यथा-सेरीसिन पाउडर के उत्पादन के लिए इकोडिगमिंग मशीन एवं धागाकरण के पश्चात अवशेष प्युपा के उपयोग के लिए प्युपा प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना भी कराया जाना प्रस्तावित है। उन्होंने बताया कि इन मशीनों की स्थापना के पश्चात रेशम कोयों के अवशेषों का पूर्ण उपयोग कर 1.50 से 2 गुना मूल्य समर्थन किया जा सकता है। इन मशीनों की स्थापना के लिए रू.76.62 लाख धनराशि की आवश्यकता होगी। प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम की समीक्षा के दौरान प्रगति संतोषजनक न पाये जाने पर कड़ी नाराज़गी व्यक्त करते हुए उपायुक्त जिला उद्योग केन्द्र को निर्देश दिया कि बैंकों से समन्वय स्थापित पर प्रगति में अपेक्षित सुधार लाया जाये। श्री पचैरी ने निर्देश दिया कि योजनान्तर्गत अभ्यर्थियों के ऋण पत्रावलियों में बैकों द्वारा जो आपत्ति लगायी जाती है उसकी समीक्षा अपने स्तर पर करें और उनका निस्तारण करायें ताकि अधिक से अधिक लोगों को रोज़गार से जोड़ा जा सके। एक जनपद एक उत्पाद योजना की समीक्षा के दौरान उपायुक्त को निर्देश दिया गया कि जनपद के हस्तशिल्पियों की खोजबीन के लिए अभियान संचालित कर उन्हें सूचीबद्ध करने की कार्यवाही करें। श्री पचैरी ने कहा कि हस्तशिल्पियों की खोज के दायरे को मात्र नगरीय क्षेत्रों तक ही सीमित न रखा जाय बल्कि जनपद के दूर-दराज के क्षेत्रों में भी इनकी खोज की जाय। श्री पचैरी ने कहा कि देश व प्रदेश में हस्तशिल्पियों को एक नई पहचान दिलाने तथा उनके पारम्परिक हुनर के साथ उनकी आय में इज़ाफा करने तथा उनके हुनर को एक स्थापित उद्योग का दर्जा दिलाये जाने के उद्देश्य से एक जनपद एक उत्पाद योजना प्रारम्भ की गयी है। उन्होंने बताया कि एक उत्पाद एक योजना के तहत माह अगस्त में लखनऊ में 03 दिवसीय भव्य प्रदर्शनी का आयोजन प्रस्तावित है जिसमें भारत के राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविन्द भी सम्मिलित होंगे। उन्होंने उपायुक्त को निर्देश दिया कि एक जनपद एक उत्पाद योजना अन्तर्गत आयोजित होने वाली प्रदर्शनी में जिले के अधिक से अधिक हस्तशिल्पियों की उपस्थिति सुनिश्चित करायें। बैठक के दौरान श्री पचैरी ने खादी ग्रामोद्योग विभाग द्वारा संचालित योजनाओं की भी समीक्षा करते हुए प्रगति पर संतोष व्यक्त किया। इस अवसर पर भारतीय जनता पार्टी के जिला अध्यक्ष श्यामकरन टेकड़ीवाल, उप मुख्य कार्यपालक अधिकारी, खादी ग्रामोद्योग, देवीपाटन मण्डल हरी राम सिंह, उप निदेशक रेशम देवीपाटन मण्डल सत्येन्द्र सिंह, जिला ग्रामोद्योग अधिकारी आर.एस. श्रीवास्तव, सहायक निदेशक रेशम एस.बी. सिंह, उपायुक्त उद्योग मोहन कुमार शर्मा, सहायक आयुक्त उद्योग बी.के. सिंह सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे।
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