(डी0पी0श्रीवास्तव) बहराइच। हमेशा की तरह एक बार फिर चन्द रोज़ पहले मानो विश्व पर्यावरण दिवस का कोरम पूरा कर दिया गया हो। तमाम नेताओं सामाजिक संस्थाओं व अधिकारियों को पौधा रोपित करते देखा गया। चर्चा और तकरीरों के बीच वह खास दिन भी बीत गया। और एक बार फिर यह विषय शासन और प्रशासन के ठंडे बस्ते में जा बैठा। लेकिन इसी जिले में गत वर्ष रोपित किए गए लाखों पौधे व पिछले काफी समय से हरे भरे पेड़ों के हो रहे कत्ल पर चर्चा व कार्यवाही की जहमत शायद ही कभी पूरी संवेदनशीलता के साथ उठाई गई हो। और शायद इन्हीं सब कारणों से बेमौसम बरसात, बेमौसम गर्मी,लगातार जल स्तर का नीचे गिरना, देश के कई भागों में पानी का गहरा संकट, नदियों का सूखना, तालाबों का पतन होना,व भूजल स्रोतों का समाप्त होना आदि जैसी समस्याओं से हम सबको प्रकृति की नसीहत भरे थपेड़ों से दो चार होना पड़ रहा है। ऐसा भी नहीं है कि ऐसे खास दिवस पहले नहीं मनाए जाते थे बावजूद यदि ऐसे विषयों पर कथनी से ज्यादा करनी करने पर बल दिया जाता तो धीरे धीरे साल-दर-साल इसकी विभीषिका में बढ़ोत्तरी के बजाय साल दर साल इनमे कमियां देखने को मिलती। जिससे यह भी प्रमाणित होता है कि तमाम आडंबरों के बाद भी हम पर्यावरण सुधार में मुख्य भूमिका निभाने वाले हरे भरे पेड़ों के अति संवेदनशील मसले पर चिंतित हैं ही नहीं। और यदि हम बात जिले की करें तो जिले की तेज तर्रार,कर्तव्यनिष्ठ व अपनी ईमानदार छवि के लिए चर्चित जिलाधिकारी माला श्रीवास्तव के द्वारा अपने अधीनस्थों को तमाम नसीहतें देने के बाद भी अपने अधीनस्थों का साथ ना मिल पाने के कारण समस्याओं पर लगाम नहीं लग पा रहा है। क्योंकि यहां भी पिछले काफी अरसे से हरे एवं फलदार वृक्षों पर खुलेआम आरा, कुल्हाड़ी चलाने व पर्यावरण का क़त्ल कर हरे भरे एवं फलदार पेड़ों की शहादत के बाद भी जिम्मेदारों द्वारा ऑक्सीजन के महत्व को नहीं समझा जा रहा है। मामला चाहे राजकीय पॉलिटेक्निक में हुवे कागजों के चक्रव्यूह में गुमराह कर हरे व बेशकीमती पेड़ों के काटे जाने का रहा हो या अन्य या फिर नगर छेत्र के मल्हीपुर चौराहे स्थित मुख्य मार्ग के समीप जिले के ही चर्चित नेता के नाम का धौंस व उनके घर की संपत्ति बताकर हरे भरे एवं फलदार आम के पेड़ों के काटे गए सैकड़ों पेड़ों के साथ-साथ एक बार फिर उसी के समीप सैकड़ों पेड़ों के काटे जाने का मामला हो किसी में भी प्रशासन की तरफ से सार्थक कार्यवाही देखने को नहीं मिली। और तो और जब उक्त प्रकरण पर विश्व पर्यावरण दिवस पर बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने वाले डी०एफ०ओ० बहराइच से बात की गई तो नगर क्षेत्र में अवैध रूप से हो रही इतनी बड़ी कटान का उन्हें संज्ञान तक नहीं था। जबकि उनके विभाग के एक जिम्मेदार द्वारा 286 पेड़ों के परमिट होने की बात स्वीकार की गई। लेकिन यहां बड़ा सवाल यह भी है कि जब हरे पेड़ों खासकर फलदार पेड़ों वह भी आम के पेड़ों के कटान का कोई प्रावधान है ही नहीं तो आखिर किन परिस्थितियों में उक्त पेड़ों की परमिट दी गई और यदि पेड़ों को साजिशन निष्प्रयोज्य करार दिया गया तो वर्तमान परिस्थितियों में पेड़ हरे भरे क्यों थे? वह भी तब जब पिछले काफी दिनों से केंद्र व प्रदेश सरकार की पेड़ बचाओ देश बचाओ के अभियान के प्रति कृति संकल्पित जिलाधिकारी माला श्रीवास्तव उक्त विषयों पर पूरी ईमानदारी से अमल करती देखी जा रही हैं। बावजूद विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर डी0ऍफ़0ओ0 द्वारा जिलाधिकारी को पौधे भेंट किया जाना व हरे पेड़ों के कटान के उक्त तीनों प्रकरण पर उनके द्वारा जताई गई अनभिज्ञता पेड़ों के प्रति क्या उनके दोहरे चरित्र की ओर इशारा नहीं करती। हालाँकि बातचीत के दौरान उनके द्वारा तत्काल मामले की जानकारी कर ऍफ़0आई0आर0 दर्ज करवाने तक की बात कही गई।
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