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Monday, February 17, 2025 7:03:49 AM

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स्कूल वाहनों के संचालन में सर्वोच्च न्यायालय के दिशा निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करायें: डीएम

स्कूल वाहनों के संचालन में सर्वोच्च न्यायालय के दिशा निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करायें: डीएम

बहराइच 11 मई। स्कूलों द्वारा संचालित वाहनों के दुर्घटनाओं पर प्रभावी नियंत्रण के उद्देश्य से वृहस्पतिवार को विद्याालय संचालकों के साथ देर शाम कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित बैठक के दौरान जिलाधिकारी माला श्रीवास्तव ने स्पष्ट निर्देश दिया कि स्कूली बच्चों के परिवहन के लिए उपयोग में लाये जाने वाले वाहनों के संचालन में मा. सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी दिशा निर्देशों का अक्षरशः अनुपालन सुनिश्चित करायें। अन्यथा की स्थिति में बच्चों की सुरक्षा के मद्देनज़र जिला प्रशासन को कठोर से कठोरतम कार्यवाही के लिए विवश होना पड़ेगा। उन्होंने वाहनों के प्रवर्तन कार्य के लिए जिम्मेदार परिवहन व पुलिस विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया कि सघन जाॅच अभियान संचालित कर मा. सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी दिशा निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करायें तथा अनुपालन में हीला-हवाली करने वालों के विरूद्ध दण्डात्मक कार्यवाही भी अमल में लायें।  
मा. सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी दिशा निर्देशों की जानकारी देते हुए एआरटीओ प्रशासन वीरेन्द्र सिंह ने बताया कि स्कूलों के लिए संचालित वाहनों की यांत्रिक एवं भौतिक दशा के अन्तर्गत वाहन का फिटनेस वैध होना चाहिये, वाहन पीले कलर का एवं उस पर स्पष्ट रूप से स्कूल वाहन अंकित हो तथा स्कूल का फोन नम्बर व नाम एवं परिवहन विभाग की हेल्पलाइन भी इंगित होना चाहिये, वाहन की खिड़कियों में जाली, सीसीटीवी कैमरा, स्पीड गवर्नर, अग्निशमन यंत्र, फ्रस्टेड बाॅक्स अनिवार्य रूप से होना चाहिये।  श्री सिंह ने बताया कि स्कूल वाहन चालक का ड्राइविंग लाइसेंस 05 वर्ष पुराना एवं वैध लाइसेंस होना चाहिये, स्कूल वाहन में एक अटेंडेन्ट होना चाहिये। ड्राइवर एवं अटेंडेन्ट की निर्धारित वर्दी एवं पहचान पत्र होना चाहिये तथा वाहन चलाते समय चालक मोबाईल फोन/एयरफोन का प्रयोग कदापि नहीं करेगा। इसके अलावा स्कूल वाहन परमिट से अच्छादित होनी चाहिये, वाहन की सीटिंग क्षमता के अनुसार ही बच्चांे को बैठाया जाये, स्कूल बस 15 वर्ष से अधिक पुरानी न हो तथा स्कूल प्रबन्धक/प्रधानाचार्य को स्कूल वाहन के चालकों को ऐनकेन प्रकारेण समय से पहुचने के लिय बाध्य न किया जाये। जिलाधिकारी ने सभी स्कूल प्रबन्धकों से कहा कि जब आप बच्चों के भविष्य निर्माण की दिशा में कार्य कर रहें हैं तो उनकी सुरक्षा को लेकर कतई तौर से किसी स्तर पर गैर जिम्मेदार न रहें। उन्होंने कहा कि कुशीनगर दुर्घटना से मुख्यमंत्री सहित सम्पूर्ण प्रदेश के लोगों को काफी दुख पहुॅचा है। इसलिए सभी लोगों की जिम्मेदारी है कि बच्चों के परिवहन के लिए उपयोग में लाये जाने वाले वाहन यांत्रिक व भौतिक रूप से फिट हों। उन्होंने विद्यालयों को यह भी सुझाव दिया कि बच्चों के ब्लड ग्रुप की जानकारी कर लें तथा यह भी सुनिश्चित करें कि विद्यालय परिसर के आस-पास छुट्टा जानवरों जैसी कोई समस्या न रहे। ऐसी कोई समस्या संज्ञान में आये तो नगर निकाय को तत्काल सूचित करें। सभी विद्यालयों को यह भी सुझाव दिया गया कि प्रत्येक विद्यालय के किसी टीचर को वाहन के लिए नोडल अधिकारी नामित कर दिया जाय। जिलाधिकारी ने समस्त स्कूलों/काॅलेजों के प्रबन्धकों/प्रधानाचार्यांे को निर्देशित किया कि जिन वाहनों का फिटनेस न हो अथवा परमिट समाप्त हो गये हांे वे तत्काल परिवहन विभाग से सम्पर्क कर फिटनेस व परमिट की कार्यवाही पूर्ण कर लें। उन्होंने बताया कि उपरोक्त निर्देशों का अनुपालन न किये जाने पर ऐसे वाहनों को मोटर वाहन अधिनियम के अन्तर्गत निरूद्ध कर प्रवर्तन कार्यवाही के साथ-साथ अभियोगात्मक कार्यवाही की जायेगी। साथ ही मा. सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का उल्लंघन मानते हुए ऐसे वाहनों के पंजीयन चिन्ह निरस्त कर दिया जायेगा तथा असुरक्षित स्कूली छात्रों के परिवहन के अभियोग हेतु सक्षम स्तर से अनुमति लेते हुए एफआईआर दर्ज करायी जायेगी। जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी सम्बंधित स्कूलों/काॅलेजों के प्रबन्धकांे/प्रधानाचार्यों की होगी। बैठक के दौरान अपर जिलाधिकारी राम सुरश वर्मा, नगर मजिस्ट्रेट प्रदीप कुमार यादव, पुलिस क्षेत्राधिकारी नगर सिद्धार्थ तोमर, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी डा. अमर कान्त सिंह, एआरटीओ प्रवर्तन अशोक कुमार, आरआई दया शंकर, माध्यमिक शिक्षा अभियान के जिला समन्वयक एल.सी. सिंह, क्षेत्र पंचायत प्रमुख जरवल नूर हुसैन सहित अन्य विद्यालयों/कालेजों के प्रबन्धक/प्रधानाचार्य मौजूद रहे।

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