मासूमों में बचपन से ही पुलिस का खौफ पैदा कर दिया जाता है। मां कहती है कि बेटा सो जाओ, वरना पुलिस पकड़ ले जाएगी, जबकि बच्चों को सिखाना चाहिए कि कोई खतरा नजर आए तो पुलिस को कॉल करना। पुलिस चौबीसों घंटे उपलब्ध रहती है। ये बातें बृहस्पतिवार को लखनऊ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दीपक कुमार ने इरम पब्लिक कॉलेज में एक अखबार के कार्यक्रम में आयोजित ‘पुलिस की पाठशाला’ में कही। इस दौरान उन्होंने छात्र-छात्राओं को पुलिस के बारे में बताया और उनके सवालों के जवाब देकर भ्रांतियां दूर कीं। सवाल : मेरे पिता पुलिस में थे। चार साल पहले ड्यूटी के दौरान मौत हो गई। भाई नौकरी के लिए चक्कर काट रहा है, पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है। क्या हमें न्याय मिलेगा?
– सृष्टि सिंह, कक्षा : नौ
जवाब : एसएसपी दीपक कुमार ने कहा कि उससे संबंधित सारे कागज हमको दे दो, अगर संभव होगा तो एक दिन में समस्या का समाधान करवा दूंगा। कई बार कई वजहों से ऐसे मामलों में देरी होती है। इसमें केवल महकमे का ही दोष नहीं है। सवाल : अगर अनजान नंबर से कॉल करके कोई अभद्रता करे तो?
– शशि कुमारी, कक्षा-10
जवाब : 1090 और डॉयल 100 नंबरों पर शिकायत करें। 1090 पर शिकायतकर्ता अपनी पहचान छुपा सकता है, जबकि डॉयल 100 पर कॉल करके अभद्रता करने वाले को जेल की हवा खिलवाई जा सकती है। उत्पीड़न का शिकार महिला की पहचान पुलिस उजागर नहीं करती। सवाल : पुलिस साथ न दे तो क्या करें?
जवाब : मेरा नंबर नोट कर लो, मैं हमेशा तुम्हारे साथ खड़ा हूं। सवाल : कैसे दर्ज होती है एफआईआर?
– इशिका कश्यप
जवाब : यह एक बहुत ही आसान प्रक्रिया है। क्षेत्राधिकारी गाजीपुर की तरफ मुखातिब होकर बोले कि किसी दिन बच्चों को थाने बुलाकर पुलिस के कामकाज का तरीका समझाओ ताकि इनके मन से पुलिस के प्रति भय खत्म हो सके। उनके इस प्रस्ताव पर बच्चों ने भरपूर तालियां बजा कर समर्थन किया। सवाल : पुलिस अपराध के बाद ही क्यों सक्रिय होती है?
जवाब : समाज विकृत रूप में आ चुका है। रिश्तों की मर्यादा खत्म हो चुकी है। लालच या दूसरी छोटी-छोटी बातों पर लोग एक-दूसरे का कत्ल कर देते हैं। ऐसे में पुलिस से ये अपेक्षा रखना कि हर अपराध वाली जगह पर पहले से मौजूद हो, संभव नहीं है। सवाल : संवेदनहीन क्यों होती है पुलिस?
– उत्कर्ष दुबे छात्र ने एसएसपी से पूछा सवाल
जवाब : कई ऐसे मामले आए हैं, जिसमें हमारे अधिकारियों को संवदेनशीलता बरतनी चाहिए थी जो उन्होंने नहीं दिखाई। ऐसे मामलों को संज्ञान लेकर पुलिस जनता के बीच अच्छी छवि बनाने को लेकर काम कर रही है। सवाल : पॉक्सो एक्ट में बालक भी पा सकते है इंसाफ?
– एएस खान, शिक्षक
जवाब : हां, इंसाफ पा सकते हैं। अक्सर लोग सोचते हैं कि पॉक्सो एक्ट में केवल बालिग ही कवर होते हैं, जबकि हकीकत में ऐसा नहीं है। पॉक्सो एक्ट में नाबालिग बालक-बालिका से संबंधित अपराधों में कार्रवाई का प्रावधान है।
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