उत्तर प्रदेश सरकार लाख दावे करती रहे कि 20 मिनट के अंदर एंबुलेंस पहुंच रही है लेकिन जमीन पर असलियत कुछ और ही है. बेहतर चिकित्सा सुविधा के साथ मुफ्त एंबुलेंस देने का दावा राजधानी लखनऊ से सटे बाराबंकी जिले में ही दम तोड़ता नजर आ रहा है. दरअसल बाराबंकी जिले में इंसानियत को शर्मसार करने वाली एक बेहद दर्दनाक तस्वीर सामने आई है. मामला निंदुरा ब्लाक के घुंघटेर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का है. यहां स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही की कीमत दो बेटों को चुकानी पड़ी.दरअसल पास के ही गांव के रहने वाले पूरन लाल की तबीयत खराब थी. पूरन लाल के दो बेटे बाबू और बच्चे लाल, उन्हें डॉक्टर के पास ले जाना चाहते थे, ताकि बेहतर इलाज कराया जा सके. लेकिन अस्पताल ले जाने के लिए सरकार की तरफ से दी जाने वाली एम्बुलेंस 108 सेवा उन्हें धोखा दे गई. एंबुलेंस न मिलने पर दोनों बेटों ने अपने बीमार पिता को ठेले पर लादकर 5 किलोमीटर दूर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए. वहां भी डाक्टर नदारद मिले. थक-हारकर वह दोनों अपने पिता को बिना इलाज के ही घर वापस ले आए.जानकारी के मुताबिक पूरन लाल की आंख का ऑपरेशन हुआ था, जिसमें कुछ समस्या हो रही थी. उसी को दिखाने के लिए बेटों ने 108 एम्बुलेंस सेवा को फोन किया. बेटों के मुताबिक दो बार फोन करने के बाद भी एम्बुलेंस सेवा नहीं मिल पाई. जिसके बाद मजबूरी में पिता को ठेले पर बिठाकर 5 किलोमीटर दूर सीएचसी ले जाना पड़ा. वहीं इस पूरे मामले में बाराबंकी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ रमेश चंद्रा ने जांच कराने की बात कही है. सीएमओ ने बताया कि उन्होंने सीएचसी प्रभारी को फटकार लगाते हुए उनसे मामले में स्पष्टीकरण मांगा है.
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