बहराइच। निकाय चुनाव से पूर्व नगर पालिका परिषद् में लाखों के हुवे कम्बल घोटाले का फैसला हुवे बिना ही मामला न जाने भ्रष्टाचार की किन गलियों में भटककर इंसाफ का रास्ता तलाश रहा है। लेकिन यदि हम पूरी दमदारी से घोटाले से पर्दा उठाने वाले सामाजिक कार्यकर्त्ता की बात करें तो अब तक सच के रास्तों में भ्रष्टाचार को ही हावी होते देखा गया है। उक्त मामला मीडिया,प्रशाशन,शाशन व राज्य सुचना आयोग के संज्ञान में आने के बाद भी सिर्फ बड़बोलेपन का शिकार होता रहा है। मामले में पूर्व नगर पालिका अध्यछ हाजी रेहान व अधिशाषी अधिकारी सहित कई के ऊपर आरोप लगने के बाद भी लोगों को यही प्रतीत हो रहा है की घोटाले से पर्दा उठाने वाले लोगों ने ही घोटाले को हजम करने का ठेका ले रक्खा है। मालूम हो की जनपद का यह चर्चित कम्बल घोटाला प्रकरण भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ उस समय तार तार होता नज़र आया जब मामले को उठाने वाले सामाजिक कार्यकर्त्ता को सूचित किये बगैर ही राज्य सूचना आयोग द्वारा बताई गई पेशी की तिथि से पहले ही घोटाले का निस्तारण कर दिया गया,जिसे लोगों द्वारा कूट रचित तरीके से मामले को हजम करने की प्रक्रिया बताई जा रही है। क्योंकि पूर्व से चल रही सुनवाई के दौरान जिस घोटाले की सुनवाई 26.02.2018 को होनी थी आयोग द्वारा वादी को बगैर सूचित किये ही प्रतिवादी की मौजूदगी में 11.01.2018को ही सुनवाई कर मामले का निस्तारण कर घोटाले पर ही पूर्ण विराम लगा दिया गया। जब इस बात की जानकारी सामाजिक कार्यकर्त्ता को हुई तो उसके द्वारा लिखा पढ़ी करने के बाद,मुख्य सूचना आयुक्त राज्य सूचना आयोग,उ0प्र0लखनऊ को भी मामले से अवगत करवाते हुवे लिखा गया कि कम्बल घोटाले में तमाम सुबूतों व साच्छ्यों के बाद भी सूचना आयुक्त द्वारा प्रतिवादी से मिलीभगत कर साजिशन व जानबूझकर निर्धारित तिथि से पूर्व सुनवाई करते हुवे लंबित प्रकरण पर जबरिया मनमाना निर्णय लेकर प्रतिवादी पर बगैर कोई दंड लगाय ही घोटाले के सभी मामलों को ही ख़त्म कर दिया गया। यह भी लिखा कि मुझे मामले में निस्तारण होने की जानकारी तब मिली जब मैं और मामलों में चल रही पेशी में आयोग पहुंचा। सामाजिक कार्यकर्त्ता द्वारा की गई शिकायत में सूचना आयुक्त को तलब कर उनके द्वारा सूचना के कानून को खिलवाड़ बनाने व उक्त कानून से खिलवाड़ करने के साथ साथ वादी को परेशान करने व प्रतिवादियों को बचाय जाने को लेकर उनके विरुद्ध नोटिस जरी कर उचित कार्यवाही की मांग करने के साथ घटित मामलों की पुनः सुनवाई करने की बात कही गई है। अब उक्त घोटाले के मामले में पुनःसुनवाई होगी या नहीं यह तो समय के गर्भ में है लेकिन नगरपालिका में हुवे लाखों के कम्बल घोटाले मामले में घोटालेबाजों द्वारा अपने धन व बल का स्तेमाल कर अपने ताकत का एहसास वादी को कराने के साथ साथ बड़बोले कानून को भी करवा दिया है। बाउजूद मामला डीएम के संज्ञान में आते ही जाँच के आदेश दिए जाने के बाद भ्रष्टाचारियों द्वारा दबाया गया उक्त मामला एक बार फिर चर्चा का विषय बनता सुनाई पड़ रहा है।
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