अपनी नाकामी छुपाने के लिए व्यकित को कुछ न कुछ बहाना बनाना पड़ता है सच्चाई कहो तो फर्जी तरीके से फसाना धमकाना पुरानी आदत है। अपनी नाकामी को अब पत्रकार को शिकार बना रहे है। उत्तरप्रदेश में भाजपा सरकार बनी सरकार को किसानों को बड़ी उम्मीद थी की सरकार बदली है महगाई बढी है तो किसान आय बढ़ेगी और सरकार ने कई कदम उठाये भी है चाहे वह गेहू का समर्थन मूल्य हो बढ़ाया है लेकिन सरकारी श्रावस्ती चीनी मील की हालत बीमार किये बैठे हैं चीनी मिल हमेशा घाटे में रही है चाहे अगेती प्रजाति का गन्ना ही क्या न ले जिस तरह चीनी मिल को घाटे में दिखाकर अपनी जेब भरने में लगे हो सका अंदाजा पिछले साल के घाटे से लगाया जा सकता है पिछले साल का घाटा करीब 39 करोड़ का है। किसानों की माने तो चीनी मील में बैठे ऊँचे अधिकारी अपनी ऊँची पकड़ और रौब के कारण किसानों की समस्याओ के तरफ देखना पसंद नहीं कर रहे है। मील में न तो किसानों की अपनी पर्ची देखने के लिये कंप्यूटर सुबिधा और ना ही किसानों की समस्या समाधान के लिए कोइ उपयुक्त कर्मचारी किसान बेबस मील को ताक कर चला जाता है। आज जब एक पत्रकार ने किसानों की पीड़ा प्रधान प्रबंधक के सामने उठाने की कोशिश की तो उसे फर्जी पत्रकार बताकर प्रताड़ित करना शुरू किया लेकिन बात में बात नहीं बनी तो सरेंडर होकर जाने दिया पचासों किसान कोइ अपनी पर्ची की तारीख बढ़वाने कोइ कई महीनों से जमा पर्ची को पता लगाने कोइ अपनी पर्ची पूछने आया लेकिन चीनी मिल में सबका टोटा है है तो बस गन्ना माफियो को बढ़ावा देना उसी में तैनात कर्मचारी के लड़कों को संविदा कर्मचारी कहकर गलत तरीके से काम करवा रहे हैं पूरी तरीके से गन्ना विकास अधिकारी और हलकान का ताना बाना बना है और किसान चूजा बना हुआ है। पूरा सीजन हो गया है सभी चीनी मिल का पूरा डाटा ऑनलाइन हो गया है ताकि किसान अपनी पर्ची अपने घर पर अपनी पर्ची की जानकारी कर सके लेकिन नानपारा चीनी मिल पूरा सीजन हो गया है कोइ ऑनलाइन की व्यवस्था नहीं है। चुपके चुपके गन्ना माफियो को बढ़ावा दिया जा रहा है। गन्ना किसान छोटनने,नफीस,कलीम ने बताया की मेरी पर्ची जनवरी में आयी थी लेकिन तबियत खराब के कारण जमा कर दिया की बाद में जारी हो जाएंगी लेकिन पर्ची यही रक्खी रही आज मैं जब चीनी मिल आया हूँ तब जाकर मिली है और अब अधिकारी तारिख बढ़ाने के लिए नहीं कह रहे है। मैं ही ऐसी समस्या से पीड़ित नहीं बल्कि कई सैकड़ो किसान है जिनकी पर्ची जमा तो हुई लेकिन दुबारा दी नहीं गयी अब हम लोग की समस्या सुनने को कोइ तैयार नहीं है। इसी में गन्ना माफियो को बढ़ावा दिया जा रहा है गन्ना लेकर आवो मील के अंदर ही खरीददार मिल जा रहे है सब इन्ही की मिली भगत से हो रहा है। नेवादा पूरे कस्वाती के बदलूराम,कपिलदेव,रामनाथ,मुन्नेलाल,सत्यनाम,बालकुमारी,सुनीता,रामनारायण,अवधेश,राम अबिलाख,रामनरेश,सुधरा,ओमप्रकाश,रामनारायण,राहुल,रामलखन,जगसेन, गोमाता,रामकिंकर आदि बढ़ोत्तरी में सर्वे जिला गंनाधिकारी के कड़े निर्देश के बाद भी बहुत से किसानों का सर्वे छोड़ दिया है और ग्रामीडो ने बताया की एक दशक से एक ही गन्ना ग्रामसेवक होने के नाते बड़ी असुविधा होती है शिकायत हुई लेकिन आपसी मिली भगत के कारण इनके आगे किसान की आवाज बेबस है कोइ कार्यवाही नहीं। उत्तरप्रदेश के बहराइच जिले में दो दो मंत्री होने के नाते भी इन अधिकारियो को ज़रा भी डर नहीं और अपना काम खुले तौर पर जारी किये है। कुछ पूछो तो फर्जी मुकदमा और दबाव बनाने के लिए पुलिस के हवाले करने की धमकी देते है। आखिर कब तक योगी सरकार में किसानों के उलार जुल्म होते रहेंगे क्या सरकारी बदलती रहेंगी और क्या इनकी जडे इतनी मजबूत है की इनका कोई कुछ नहीं कर सकता। आखिर किसान कब तक खून के आँसू रोएगा।
व्हाट्सएप पर शेयर करें
No Comments






