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Sunday, February 9, 2025 7:51:11 PM

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जनपद में फैला झोलाछाप डाक्टरों का मकड़जाल, स्वास्थ्य महकमे से नही होती कोई कार्यवाही

जनपद में फैला झोलाछाप डाक्टरों का मकड़जाल, स्वास्थ्य महकमे से नही होती कोई कार्यवाही

बहराइच-जनपद के हर क्षेत्रों में फर्जी झोलाछापों के साथ बंगाल से आये बंगाली डॉक्टर अपना फर्जी निजी क्लिनिक चला रहे है इन पर शिकंजा कसने को स्वास्थ्य महकमा कोई कार आमद पहल नही कर रहा है सूत्र तो यह बताते है कि यह सब फर्जी चिकित्सक स्वास्थ्य महकमे की सरपरस्ती में फल फूल रहे है तथा मरीजों की जिंदगी से खेल रहे है स्वास्थ केंद्र पर मरीजों को ठीक का ठीक से इलाज न होने के कारण और सरकार द्वारा दी जा रही सुविधाओं को मरीजो को न मिल पाने के कारण झोलाछापों की चांदी है इसकी हकीकत से रूबरू होने के लिए हमारी टीम ने जनपद के शिधौरा, अदभुत गांव, बरदाहा बाजार,इमामगंज,नानपारा के ग्रामीण क्षेत्र में सर्वे किया तो शिधौरा गांव में झोलाछाप डॉक्टर भानू यादव,कलीम साई,संतोष, आदि अपनी फर्जी क्लिनिक पर मरीजो का इलाज करते दिखे उनके क्लिनिक में ढेर सारी वैध और अवैध दवाएं नासिली दवाएं रक्खी होइ दिखाई दी अदभुत गांव में राहुल मेडिकल में झोलाछाप अम्बर लाल वर्मा को मरीजों का इलाज करते हुवे देखा गया संवाददाता ने जब उनसे डिग्री में बारे में जानकारी की तो डिग्री दरकिनार मेडिकल का भी लाइसेंस नही था ग्राम बेलवा डगरा संजय घोष नामक बंगाली डॉक्टर अपना क्लिनिक सजाये बैठा था और मरीज देख रहा था इमामगंज बाजार में वी के चौधरी नामक झोलाछाप मरीजो का इलाज करते मिले बरदाहा बाजार में संजीत घोष सहित दर्जनों की संख्या बंगाली डॉक्टरों के साथ अंग्रेजी झोलाछाप दिखाई दिये बहुत से झोलाछाप मीडिया को सुन अपना शटर गिरा भाग लिये बहादुर पुरवा गांव में तो झोलाछाप डॉक्टर हसमत अली एक बच्चे के पेट मे छेद कर डब्बा लगा पानी निकाल रहे थे अब सोचनीय विषय है कि केंद्र,प्रदेश सरकार स्वास्थ्य के क्षेत्र में इतने कार्य कर रही है कि मरीजों को सरकारी अस्पताल में ही सारी सुविधाएं मिल जाये नई नई योजनाएं लागू कर रही है मगर इन झोलाछापों की सुरुवात भी सरकारी डॉक्टरों के कारण ही होइ है सरकारी चिकित्सक अपने कर्तव्य से ज्यादा पैसे को महत्व देता है अपने सरकारी कमरे पर ही परैवेट मरीज देखते है और कम से कम 200 रूपये फीस लेकर बाहर मेडिकल की दवाये लिख देते है इस कारण ग्रामीण लोग झोलाछापों की सरण में आते है कि जितनी फीस सरकारी डॉक्टरों को देनी है उतने में झोला छाप मरीजों का इलाज कर देता है इन झोलाछापों की ऊपर पकड़ भी बहुत मज़बूत होती है इस सर्वे में इसका भी अंदाजा लग गया जब हमारी टीम संजीत घोष नामक बंगाली के यहां से वापस होइ जब यह बंगाली मरीज को इंजेक्शन लगा रहा था तो कैमरामैन ने फ़ोटो खींच लिया इससे यह बौखला गया और पत्रकारों से अभद्रता करने पर उतारा हो गया यहाँ से वापस होने पर इस बंगाली ने कई पत्रकारों,कई नेताओं,यहाँ तक कि दिल्ली और लखनऊ तक के नेताओं का फोन कराया और दबाव बनवाने की कोशिश की ख़बर न लगाई जाये अब इससे यह साबित होता है कि इन झोलाछापों पंर राजनीतिक लोगों और पत्रकारों के साथ ही स्वास्थ्य महकमे के अधिकारियों का भी हाथ होता है तभी यह खुलेआम अपनी फर्जी क्लिनिल चलाते हैं सरकारी डॉक्टरों के साथ ही इन झोलाछापों पंर शासन प्रसासन अंकुश नही लगा पा रहा है

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