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Saturday, February 8, 2025 5:58:57 PM

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क्या मुलायम-शिवपाल के बिना अखिलेश की समाजवादी पार्टी के दिन बेहतर होंगे?

क्या मुलायम-शिवपाल के बिना अखिलेश की समाजवादी पार्टी के दिन बेहतर होंगे?

अखिलेश यादव भले ही समाजवादी पार्टी को राष्ट्रीय स्तर की पार्टी बनाने का दावा कर रहे हैं, पर जिस तरह एक वर्ष पूर्व पार्टी की कमान हाथ में लेने के बाद समाजवादी पार्टी का प्रदर्शन दिन-प्रतिदिन गिरता ही रहा है. उसे देख जानकार और पार्टी नेताओं का मानना है कि बिना मुलायम और शिवपाल यादव के समाजवादी पार्टी के दिन बदलने वाले नहीं हैं.दरअसल सत्ता में रहते हुए यादव परिवार का झगड़ा जब घर से सड़कों पर आय़ा था, तभी सियासी जानकार कहने लगे थे कि समाजवादी पार्टी के दिन बेहतर नहीं होने वाले हैं. 2017 के विधानसभा चुनावों में भी शायद इसलिए सपा को सत्ता से बाहर होना पड़ा. यही नहीं इटावा और मैनपुरी जैसे गढ़ में भी सपा को बुरी तरह हारना पड़ा. जिसके बाद अब पार्टी में ही मुलायम औऱ शिवपाल की भूमिका को लेकर चर्चा तेज होने लगी है.मुलायम सिंह यादव ने 25 सालों की मेहनत के बाद समाजवादी पार्टी को खड़ा किया. लेकिन 2016 से अचानक सपा के लिए सब कुछ बुरा होने लगा. समाजवादी आन्दोलन से जुड़े लोग मानते हैं कि मुलायम सिंह यादव को किनारे कर सपा सत्ता में नहीं आ सकती है. वैसे मुलायम सिंह यादव की भूमिका को अगर देखें तो कभी वो अपने बेटे से खुश हो जाते हैं तो कभी उन पर बरसने लगते हैं. सच्चाई यह भी है कि मुलायम ने पीछे से ही सही, लेकिन अखिलेश का मौन समर्थन किया है.दूसरी तरफ शिवपाल सिंह यादव की बात करें तो संगठन पर जिस तरह से उनकी पकड़ है, उसका खामियाजा सपा को पिछले 4 चुनावों में भुगतना पड़ा है. सपा को 2014 लोकसभा चुनावों में जहां बड़ी हार मिली, वहीं 2017 के विधानसभा चुनावों में सब कुछ ठीक नहीं रहा. निकाय चुनावों और उपचुनावों में भी हालात ज्यादा बेहतर नहीं रहे हैं. जानकार मानते हैं कि शिवपाल को सपा में रखने से पार्टी मजबूत ही होगी.लेकिन सियासी जानकार कहते हैं कि मुलायम सिंह यादव अखिलेश को एक अच्छे नेता के तौर पर देखना चाहते हैं. लेकिन अगर इन सब के बीच शिवपाल यादव को नजरंदाज किया जाएगा तो उसका खामियाजा भी समाजवादी पार्टी को भुगतना पड़ेगा.समाजवादी चिन्तक और पार्टी से 20 सालों से जुड़े रहे दीपक मिश्रा कहते हैं, “सार्वजनिक जीवन में व्यक्ति अपने ही पैरों पर आगे चलता है. समाजवादी पार्टी को कोई भी जीत मिलेगी तो वह सिर्फ समाजवादीयों के कन्धों पर चलकर ही मिलेगी. शिवपाल जी समाजवादी पार्टी का रीढ़ रहे हैं और रहेंगे. उनके बगैर समाजवादी पार्टी की स्थिति एक ऐसे शरीर की होगी जिसका चेहरा भले ही बहुत खूबसूरत हो लेकिन रीढ़ कमजोर होगी, रीढ़विहीन और आत्माविहीन शरीर कौन से उपक्रम में सफल होगा. शिवपाल और नेताजी के सक्रिय आशीर्वाद के बगैर समाजवादी पार्टी का भविष्य बहुत रेखांकित करना मुमकिन नहीं होगा, बेहतर होगा सबको एक साथ लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष आगे बढ़ें. सारे लोग उनकी ताकत रहे हैं, सबने मिलकर उन्हें मुख्यमंत्री बनाया था, सभी मिलकर फिर उन्हें बना देंगे. अब उनकी जिम्मेदारी हैं कि वे सभी को सम्मानपूर्वक साथ लेकर चलें. विचारविहीन समूह गिरोह होता है, विचारयुक्त समुदाय ही दल होता है और वही किसी आन्दोलन को आगे ले जा सकता है. आज ऐसे समय में जब स्याह वातावरण हैं. संक्रमण के दौर से उत्तर प्रदेश और देश की राजनीति गुजर रही है. भाई अखिलेशजी को चाहिए की सबको साथ लेकर आगे बढ़ें. जो सबको साथ लेकर नहीं चलता वह पिछड़ जाता है. पिछले चार चुनाव में बड़ी हार हुई है इसकी उन्मुक्त और खुले विचार से समीक्षा कर लें.”

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