*शहीद राजनारायण मिश्रा जब देश पर जान न्योछावर करने घर से निकले उस समय उनकी पत्नी ने आरती उतारी। पत्नी ने कहा यह हमारे लिए गौरव की बात है आप जाओ और देश के प्रति अपना फर्ज निभाओ*
विशेष प्रस्तुति-गगनमिश्रा //दीपक पांडेय
लखीमपुर खीरी।
शहादत पाने वाले राज नारायण मिश्रा से बड़ा समर्पण उनके परिजनों ने की इसमें देश के लिए अपने पति अपने बेटे को देश पर मर मिटने के लिए प्रेरित किया आज़ादी की लड़ाई के सिपाही राजनारायण मिश्र ने कहा था कि हमें दस आदमी ही चाहिए, जो त्यागी हों और देश की ख़ातिर अपनी जान की बाज़ी लगा सकें. कई सौ आदमी नहीं चाहिए जो लंबी-चौड़ी हांकते हों और अवसरवादी हों।
लखीमपुर खीरी के लोगों ने जिन्हें भुला दिया इस देश की रक्षा करने के लिए इस जनपद का मान सम्मान बढ़ाने के लिए स्वयं अंग्रेजों को भगाने के लिए वानर सेना बनाने लगे वानर सेना बनाते बनाते उन्होंने एक लंबी टोली बनाएं जिस टोली में अनेक नेता बनाएं।
देश के प्रति शहीद होने वाले हमारे गृह जनपद लखीमपुर खीरी के वरिष्ठ नेता 1942 में अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने राजनारायण मिश्र लखीमपुर जनपद के भीखमपुर गांव के निवासी थे अंग्रेजी सरकार के विरुद्ध इन्होंने क्रांति का बिगुल फूंका, एक अंग्रेज अधिकारी की हत्या के जुर्म का मुक़दमा चला, इन्हें संयुक्त प्रांत अर्थात वर्तमान के उत्तर प्रदेश की फैजाबाद जेल में फांसी दी गई। राज नारायण मिश्र की यह फांसी ब्रिटिश उपनिवेश द्वारा भारत में दी गई आख़िरी फांसी थी।वाले 9 दिसंबर 1944 को सुबह 4:00 बजे फांसी दी गई उन्होंने फांसी का फंदा स्वयं गले में लगा लिया और इंकलाब जिंदाबाद इंकलाब जिंदाबाद का जयकारा लगाते हुए अपने आप फंदा लगा लिया
देश के प्रति शहीद होने वाले लखीमपुर खीरी जनपद के पंडित राज नारायण मिश्र जी को इस देश के लोग कभी नहीं भूल पाएंगे उन्होंने मान सम्मान जनपद का कायम रखा इसके लिए युवा पीढ़ी उनका हृदय से आभार व्यक्त करते हैं
ऐसे महान योद्धा को शत-शत नमन भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं ।।
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