नौतनवा।महिलाओं की शिक्षा व तरक्की की बात करने वाले हमारे पुरुष वर्चस्व समाज में महिलाएं अभी भी पुरुषों की अपेक्षा काफी पीछे है ये कहना शायद अतिशयोक्ति होगी क्योंकि आज हमारे नौतनवा नगर की प्रतिभावान बेटी का नाम यहां भले ही कम लोग जानते हो पर देश के पटल पर वो एक पहेली बनी हुई हैं,लोग उसके बारे में जितना पता करते है उतना ही उनको कम लगता है।नगर की इस काबिल बेटी पर पंडित जवाहर लाल नेहरु द्वारा कहे गए मशहूर वाक्य “लोगों को जगाने के लिये,महिलाओं का जागृत होना जरुरी है,सही बैठती है।
नौतनवा नगर पालिका अध्यक्ष गुड्डू खान जब इस प्रतिभा से मिले तो उसके गुणगान करते हुए कहा कि “हम धन्य है ऐसी प्रतिभावान बेटी को पाकर जिसने नगर ही नही अपितु देश का नाम रोशन किया,जब मैं पहली बार इस बच्ची से मिला तो हमे विश्वास ही नही हो रहा था कि हमारे नगर में भी ऐसी-ऐसी प्रतिभा छिपी हुई हैं, धन्य हो इनके अभिभावक व गुरुजन जिनके शुभाशीष से इस बच्ची ने इतना लम्बा सफर तय किया।
तो आइए मिलते है नौतनवा नगर की प्रतिभावान बेटी सृष्टि श्रीवास्तव से जिसके पित BE का नाम श्री विजय प्रताप श्रीवास्तव जो पेशे से भारतीय जीवन बीमा निगम में वरिष्ठ अभिकर्ता के साथ-साथ गाड्सन ग्रुप ऑफ कम्पनीज के प्रबन्ध निदेशक भी है व माता का नाम श्रीमती इन्दू श्रीवास्तव है जो एक कुशल गृहणी हैं।इस प्रतिभा ने अपनी प्राथमिक स्कूली शिक्षा नौतनवा के एक इंग्लिश मीडियम स्कूल से शुरू की और हायर सेकेंडरी लखनऊ से तथा स्नातक की शिक्षा दिल्ली विश्वविद्यालय से प्राप्त कर रही हैं,शिक्षणरत रहते हुए ये बच्ची 21 वर्ष की उम्र में ही इंडो-ब्राजील यूथ फोरम तथा इंडो-जापान यूथ फोरम की सन 19-20 में सदस्य, ग्लोबल यूथ KNC चैप्टर की पूर्व अध्यक्ष रह चुकी है तथा कॉमन वेल्थ यूथ फोरम की अभी सेक्रेटरी हैं तथा मान0 पीयूष गोयल,मान0 वेंकैया नायडू,मान0 रामनाथ कोविंद जैसे माननीयों व अन्य देशों के राजदूतो के साथ कई बैठकों में भी भाग ले चुकी ये प्रतिभा यही नही रुकी बल्कि संयुक्त राष्ट्र के डिप्टी सेक्रेटरी आमिना जे0 मोहम्मद के साथ हुई बैठकों में भी सम्मलित रही,अभी विगत वर्षों में दिल्ली में हुए विधान सभा चुनाव में डेवलप कंट्रीज रिसर्च सेंटर की तरफ से सर्वेयर के पद पर भी कार्य कर चुकी हैं तथा नेशनल यूथ पार्लियामेंट में हिंदुस्तान प्रेस का प्रतिनिधित्व कर चुकी इस प्रतिभा ने अपने कार्यो का लोहा मनवाते हुए लोकमंच लखनऊ द्वारा द्वितीय पुरस्कार हासिल किया।
इसलिए कहा जाता हैं कि प्रतिभा किसी के रहमो-करम की मोहताज नही होती ठीक उसी प्रकार कि जब नदी का पानी अपने उफान पर होता हैं तो उसे रास्ता नही ढूढना पड़ता बल्कि जिधर वो गुजरता हैं रास्ता खुद ब खुद बनता जाता है।
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