जनपद महराजगंज मे दो विदेशी महिलाएं फर्जी वीजा पासपोर्ट के सहारे भारत से नेपाल जाने के प्रयास में इमीग्रेशन के द्वारा पकड़ी गई थीं. जिसके बाद इन्हें मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया गया था.
भारत नेपाल के सोनौली सीमा पर कोरोना से पहले प्रतिदिन हजारों टूरिस्ट भारत से नेपाल आते-जाते थे. इसमें विदेशी पर्यटक भी काफी संख्या में भारत से नेपाल घूमने जाते थे. इमीग्रेशन टीम द्वारा उनके वीजा एवं पासपोर्ट की जांच की जाती थी. इसी दौरान दो विदेशी महिलाएं फर्जी वीजा पासपोर्ट के सहारे भारत से नेपाल जाने के प्रयास में इमीग्रेशन के द्वारा पकड़ी गई थीं. जिसके बाद इन्हें मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया गया था.
14 फॉरेन एक्ट के तहत भेजा गया था जेल दरअसल, 25 दिसंबर 2018 को भारत-नेपाल के अंतर्राष्ट्रीय सीमा सोनौली पर उज्बेकिस्तान की महिला दिलफरोज नोरोवा अपने दिल्ली निवासी साथी संदीप तिवारी के साथ फर्जी पासपोर्ट आधार कार्ड के सहारे नेपाल जाने के प्रयास में गिरफ्तार हुई थी. पुलिस ने 14 फॉरेन एक्ट के तहत केस दर्ज कर जेल भेज दिया गया था जिसके बाद जिला न्यायालय ने आरोपित दिलफरोज को 2 वर्ष 6 माह की सजा सुनाई थी.
सजा पूरी होने के बाद भी नहीं हुई रिहाई इसी प्रकार 17 जनवरी 2020 को इंडोनेशिया की रोहाना इमाम सुबारी को भी आव्रजन कार्यालय सोनौली की टीम ने फर्जी वीजा पर भारत से नेपाल में घुसने के प्रयास में गिरफ्तार किया था. जिसे न्यायालय ने डेढ़ वर्ष की सजा सुनाई थी. सजा पूरी होने पर दिलफरोज नोरोवा को 17 जून वार रोहोना इमाम सुबारी को 22 जून को जेल से रिहाई मिल गई है.अपने अपराध की सजा पूरी करने के बाद दोनों विदेशी महिला अब करोना के कारण कैदी बनी हुई है. कोरोना के कारण विदेश यात्रा बंद होने से सजा पूरी करने के बाद भी अभी भी दोनों विदेशी महिला महाराजगंज में फंसी पड़ी हैं. वहीं, पुलिस अधीक्षक प्रदीप गुप्ता ने बताया कि दिल्ली स्थित उज्बेकिस्तान और इंडोनेशिया के दूतावास के अधिकारियों को पत्र भेजकर उन को भेजे जाने की प्रक्रिया प्रगति पर है. दूतावास से आदेश मिलते ही उनको उनके दूतावास को सौंप दिया जाएगा.
व्हाट्सएप पर शेयर करें
No Comments






