भिलाई। मोदी सरकार की कॉर्पोरेटपरस्त और नवउदारवादी नीतियों के खिलाफ लड़ने और निजीकरण के खिलाफ संघर्ष में भिलाई क्षेत्र के असंगठित मजदूरों को बड़े पैमाने पर लामबंद करने के आह्वान के साथ हिंदुस्तान इस्पात ठेका श्रमिक यूनियन (सीटू) का चौथा सम्मेलन कल 3 अक्टूबर को सेक्टर-5 स्थित जाट भवन में संपन्न हुआ। सम्मेलन में 370 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। यूनियन की गठित नई कार्यकारिणी में शांतनु मरकाम अध्यक्ष, श्रीमती ज्योति सोनवानी कार्यकारी अध्यक्ष, योगेश सोनी महासचिव, उमरावसिंह पुरामे कोषाध्यक्ष और नागेश्वर ठाकुर सहायक कोषाध्यक्ष निर्वाचित किये गए।
सम्मेलन की शुरूआत सीटू उपाध्यक्ष उमरावसिंह पुरामे द्वारा ध्वजारोहण, प्रतिनिधियों द्वारा शहीद वेदी पर पुष्पांजलि अर्पित करने और शोक प्रस्ताव स्वीकार करने के साथ हुई। सम्मेलन का उदघाटन सीटू के राज्य महासचिव एम के नंदी ने किया। अपने संबोधन में उन्होंने मोदी सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों और इसके चलते असंगठित और ठेका मजदूरों की आजीविका के लिए उत्पन्न चुनौतियों का जिक्र किया। देश की 6 लाख करोड़ रुपयों की सार्वजनिक संपत्ति को कॉरपोरेटों के हाथों बेचने के मोदी सरकार के फैसले की कड़ी आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि आज़ादी के संघर्षों के दौरान और उसके बाद मजदूरों ने जो अधिकार हासिल किए हैं, आज वे सब खतरे में है। इन अधिकारों को बचाने की लड़ाई लड़कर ही देश की रक्षा की जा सकती है। उन्होंने आरएसएस-भाजपा द्वारा देश में सांप्रदायिक उन्माद फैलाने की कोशिशों की भी कड़ी निंदा की।
छत्तीसगढ़ किसान सभा के राज्य अध्यक्ष संजय पराते ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए देश में बढ़ती असमानता तथा इसके कारण आम जनता की बदहाल होती जिंदगी की ओर मजदूरों का ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कहा कि कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था में जब तक किसानों को उनकी उपज का लाभकारी दाम सुनिश्चित नहीं किया जाता, तब तक घरेलू बाजार में मांग नहीं बढ़ेगी। इसका असर मंदी के रूप में दिखेगा, कारखाने बंद होंगे और मजदूर बेटोजगार। उन्होंने कहा कि अपनी जीवन दशा को सुधारने के लिए मजदूर और किसानों दोनों को मिलकर मोदी सरकार की कॉर्पोरेटपरस्त नीतियों का मुकाबला करना होगा।
सीटू के जिला संयोजक शांत कुमार, दलित शोषण मुक्ति मंच के वकील भारती, एटक के विनोद सोनी, इंटक के संजय साहू और एक्टू के अशोक मिरी ने भी सम्मेलन की सफलता के लिए अपनी शुभकामनाएं दीं। प्रतिनिधि सत्र में योगेश सोनी ने रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसे बहस के बाद सर्वसम्मति से पारित किया गया। सम्मेलन ने आगामी तीन वर्षों के लिए 51 सदस्यीय कार्यकारिणी का गठन किया।
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