क्षेत्रीय लोगों ने जब भू माफियाओं की शिकायत उच्च अधिकारियों से किया तो जांच करने आए अधिकारी करोडों रुपये खाकर चले गए,
लगातार जारी है प्लाट की बिक्री, तेजी से चल रहा है कई स्थानों पर दुकान व मकान का निर्माण कार्य, तहसील के जिम्मेदार अधिकारी से लेकर प्रदेश स्तर तक के अधिकारी मौन
65 बीघा सरकारी भूमि का मालिकाना हक का दावा करने वाले गोपाल हवेलियां की कोरोना कॉल के दौरान हुई मौत, उनके मौत से फिलहाल भूमि बैनामा का कार्य रुका
रुपईडीहा बहराइच।भारत- नेपाल सीमावर्ती क्षेत्र रुपईडीहा कस्बे में नेशनल हाईवे एन एच 927 पर स्थित अरबों रुपये की ग्राम पंचायत केवलपुर की 65 बीघा भूमि पर भू माफियाओं ने कब्जा कर लिया है। जिसको प्लॉट बनाकर अच्छी कीमत पर भूमि को बेच रहे हैं।भूमाफियाओं द्वारा कई दुकानों और मकानों का निर्माण किया जा चुका है।जो किराए पर चलवा रहे है। अभी भी लगातार कई स्थानों पर दुकान और मकानों का अवैध निर्माण चल रहा है। इस अवैध निर्माण को न तो पुलिस प्रशासन न हीं तहसील प्रशासन रोकने को तैयार नहीं है। भू माफिया जितनी कीमत में यहां भूमि बेच रहे हैं इतनी कीमत राजधानी लखनऊ में भी नहीं है।अभी तक दर्जनों लोगों का बैनामा भी नानपारा तहसील में भू माफियाओं द्वारा करवा दिया गया है। परंतु अभी तक दाखिल खारिज नहीं हुई है।
उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनते ही राज्य से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ग्राम पंचायत की जमीनों, तालाबों, पोखरा, चारागाह, कब्रिस्तान व श्मशान घाट आदि भूमि पर अवैध कब्जा हटवाने के सख्त निर्देश प्रदेश के विभिन्न मंडलों के मंडलायुक्ततो व जिलाधिकारियों को तत्काल ही दे दिए थे। शुरू में तो सरकारी आदेश का अनुपालन होता दिखाई दिया। परंतु जैसे-जैसे समय बीतता गया इन मामलों में संबंधित अधिकारियों भी भ्रष्टाचार में लिप्त हो गए और भारी भरकम रकम लेकर मुख्यमंत्री के सारे आदेश भूल गये और भू माफियाओं के साथ मिलकर बंदरबांट करना शुरू कर दिया। इसका एक जीता जागता मामला नेपाल सीमावर्ती ग्राम पंचायत केवलपुर के मजरा रुपईडीहा कस्बा में देखने को मिला। जहां रुपईडीहा के चकिया रोड से सटे नेपालगंज जाने वाली राष्ट्रीय राजमार्ग पर 927 पर स्थित नई सरकारी भूमि श्रेणी 6/ 2 खातों की विभिन्न गाटाओं की करीब 65 बीघा जमीन वर्ष 1966 के पूर्व से आज तक श्रेणी 6 (2( में सरकारी आबादी में दर्ज चली आ रही है। जिसको अवैध तरीके से नानपारा तहसील के अधिकारियों से मिलीभगत करके अवैध रूप से बेची जा रही है। इस संबंध में केवलपुर ग्राम पंचायत के पूर्व प्रधान मोहम्मद जुबेर फारुकी द्वारा न्यायालय बहराइच में एक वाद प्रस्तुत किया गया। जोकि काफी दिनों तक चलता रहा। परंतु भू माफियाओं ने उनको भी लाली पाप दे दिया। जिससे उन्होंने मुकदमा वापस ले लिया। पूर्व प्रधान द्वारा दायर मुकदमा सक्षम न्यायालय में चल रहा था। तब तक भू माफियाओं द्वारा इस लगभग 65 बीघा ग्राम सभा की जमीन न तो बिक्री कर पा रहे थे न ही इस भूमि के चारों ओर दीवाल उठा पा रहे थे। पूर्व ग्राम प्रधान द्वारा सक्षम न्यायालय में मुकदमा हटाते ही भू माफियाओं द्वारा ग्राम सभा की भूमि की बिक्री चालू कर दी गई ।इस सरकारी भूमि की कीमत भू माफियाओं द्वारा ₹4000 हजार रुपए से लेकर ₹5000 हजार रुपये स्क्वायर फुट हिसाब से बेचना शुरू कर दिया गया है। जबकि इतनी महंगी भूमि उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भी नहीं है।
भूमाफिया द्वारा सुनियोजित ढंग से सैकड़ों से अधिक दोहरी नागरिकता भारत नेपाल वाले लोगों को बेचा जा चुका है। बताया जाता है की ग्राम प्रधान द्वारा मुकदमा वापस लेने के बाद क्षेत्र के आधा दर्जन से अधिक लोगों ने इस संबंध में कई बार जिला अधिकारी पुलिस अधीक्षक मंडलायुक्त व मुख्यमंत्री आदि को प्रार्थना पत्र दिया परंतु जांच करने वाले अधिकारी ही भ्रष्ट निकले भू माफियाओं से मोटी रकम लेकर मामले को रफा-दफा करते रहे। रुपईडीहा कस्बे के नागरिकों ने इस पूरे प्रकरण की न्यायिक जांच मुख्यमंत्री से कराए जाने की मांग की है। कुछ सालों पहले जब आप पार्टी उत्तर प्रदेश में अपने पैर जमा रही थी उस समय कुछ ईमानदार व समाज के युवा नेताओं ने पार्टी के बैनर तले इस मामले को जिलाधिकारी बहराइच के सक्षम उठाया था और जिलाधिकारी कार्यालय पर प्रदर्शन भी किया गया।परंतु जल्दी वह पार्टी के युवा नेता इस मामले मे कुछ फायदा देखते हुए अपना मुंह फेर लिया। इस संबंध में मुख्यमंत्री को दिए गए प्रार्थना पत्र दिया गया था जिसमें उल्लेख था कि ग्राम पंचायत केवलपुर के मजरा रुपईडीहा कस्बे के मुख्य मार्ग चकिया रोड के पास स्थित ग्राम सभा की सरकारी जमीन जोकि 65 बीघा है। इस भूमि पर गोपाल हवेलिया पुत्र माधवलाल हवेलिया निवासी वारिदहाल ग्राम कुआं वाला पोस्ट हर्रावाला थाना डोईवाला जनपद देहरादून उत्तराखंड अपना कब्जा दिखाकर बहराइच न्यायालय में कुछ लोगों पर मुकदमा किया था। परंतु अज्ञात कारणों से अपने आप उसने न्यायालय से मुकदमे को उठा लिया और नानपारा के एक भू माफियाओं को इस शर्त पर यह भूमि देकर यहां से चला गया कि इस भूमि के लिए तुम जब 5,/6 ग्राहक तय करोगे तो मैं आकर नानपारा तहसील में बैनामा कर दिया करेंगे। सूत्र बताते हैं कि यह भूमि नवीन परती आबादी श्रेणी 6 दो में सरकारी अभिलेखों में दर्ज है। यह जमीन किसी भी आदमी को कानूनन नहीं दी जा सकती है। यह भूमि भारत सरकार के अधीन मानी जाती है। इसके बावजूद श्रेणी 6 दो की काफी जमीन नेपाल के नागरिकों को कुछ रुपईडीहा क्षेत्र के लोगों को भूमाफिया द्वारा बेची जा चुकी है। और बाकायदा रजिस्ट्री कार्यालय नानपारा में रजिस्ट्री करा दी गई है। इस समय भूमि पर लोग कब्जा करके अपना निर्माण भी करना शुरू कर दिया है। कुछ लोग तो अपना मकान वह दुकान भी बना चुके हैं। सूत्र बताते हैं कि इस जमीन पर तहसील नानपारा के अधिकारियों द्वारा साठगांठ करके भू माफियाओं ने धारा 33/ 39 एलआर एक्ट तहत अवैध रूप से कार्रवाई करा कर अपने नाम करा लिया जो नियमानुसार मान्य नहीं है। इसी के आधार पर यह भू माफियाओं ने जमीन की बिक्री शुरू कर दी जबकि इस श्रेणी की सरकारी भूमि की बिक्री करने का इन भू माफियाओं को किसी भी तरह का अधिकार नहीं है। इस तरह इस सरकारी भूमि की बिक्री करने का रास्ता साफ हो गया और अब तक करीब दर्जनों से अधिक लोगों का सरकारी भूमि का बैनामा किया जा चुका है। जिससे अरबों रुपए की राजकीय क्षति पहुंचाई गई है। सरकारी भूमि पर हो रहे दुरुपयोग पर तत्काल प्रतिबंध लगाना जाये और जो लोग इस पर निर्माण कर रहे हैं उन्हें तत्काल राज राष्ट्रहित में रोका जाये। तथा इस पूरे मामले की विशेष जांच समिति गठित कर जांच कराई जाये। दोषी भू माफियाओं के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करा कर सरकारी भूमि खाली कराई जाये। आम जनमानस में चर्चा है कि इसी तरह नानपारा तहसील अंतर्गत नानपारा देहाती ग्राम नील कोठी में भी सरकारी भूमि पर भूमाफिया द्वारा अरबों रुपयों का बंदरबांट किया है। आदि तत्काल उक्त प्रकरण के संबंध में शासन प्रशासन निष्पक्ष संज्ञान नहीं लेता है तो अरबों रुपए की सरकारी संपत्ति का भू माफियाओं द्वारा नुकसान कर दिया जाएगा।
सूत्रों से मिली जानकारी के के अनुसार इस ग्राम पंचायत की भूमि पर अपना मालिकाना हक दिखाने वाले गोपाल हवेलिया पुत्र माधवलाल हवेलिया निवासी जनपत देहरादून उत्तराखंड की अभी हाल में कोरोना काल के दौरान मृत्यु हो चुकी है। जिससे भूमि बैनामा का कार्य रुका हुआ है। इस ग्राम पंचायत की सरकारी भूमि का वारिस कौन होगा यह तो आने वाला वक्त बताएगा।
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