Breaking News

आवश्यकता है “बेखौफ खबर” हिन्दी वेब न्यूज़ चैनल को रिपोटर्स और विज्ञापन प्रतिनिधियों की इच्छुक व्यक्ति जुड़ने के लिए सम्पर्क करे –Email : [email protected] , [email protected] whatsapp : 9451304748 * निःशुल्क ज्वाइनिंग शुरू * १- आपको मिलेगा खबरों को तुरंत लाइव करने के लिए user id /password * २- आपकी बेस्ट रिपोर्ट पर मिलेगी प्रोत्साहन धनराशि * ३- आपकी रिपोर्ट पर दर्शक हिट्स के अनुसार भी मिलेगी प्रोत्साहन धनराशि * ४- आपकी रिपोर्ट पर होगा आपका फोटो और नाम *५- विज्ञापन पर मिलेगा 50 प्रतिशत प्रोत्साहन धनराशि *जल्द ही आपकी टेलीविजन स्क्रीन पर होंगी हमारी टीम की “स्पेशल रिपोर्ट”

Saturday, April 19, 2025 6:49:18 AM

वीडियो देखें

राष्ट्रवाद की चाशनी में लिपटा कॉर्पोरेटी और चुनावी जुमलेबाजी वाला बजट, 16 फरवरी को ‘छत्तीसगढ़ ग्रामीण बंद’ का आह्वान : किसान सभा

राष्ट्रवाद की चाशनी में लिपटा कॉर्पोरेटी और चुनावी जुमलेबाजी वाला बजट, 16 फरवरी को ‘छत्तीसगढ़ ग्रामीण बंद’ का आह्वान : किसान सभा

 

रायपुर। अखिल भारतीय किसान सभा से संबद्ध छत्तीसगढ़ किसान सभा ने आज विधान सभा में पेश वर्ष 2024-25 के बजट को राष्ट्रवाद की चाशनी में लिपटा कॉर्पोरेटपरस्त और चुनावी जुमालेबाजी वाला बजट करार दिया है, जिसमें प्रदेश के कृषि संकट से निपटने के लिए कोई कारगर कदम नहीं उठाये गए हैं। किसान सभा ने केंद्र और राज्य सरकार की किसान विरोधी और कॉर्पोरेटपरस्त नीतियों के खिलाफ 16 फरवरी को ‘छत्तीसगढ़ ग्रामीण बंद का आह्वान किया है।

 

आज यहां जारी एक बयान में किसान सभा के राज्य संयोजक संजय पराते, सह-संयोजक ऋषि गुप्ता व वकील भारती ने कहा है कि कल पेश आर्थिक सर्वेक्षण ने प्रदेश में खेती-किसानी और किसानों की दुर्दशा को सामने लाया था। इससे निपटने के लिए कृषि क्षेत्र में सार्वजनिक निवेश बढ़ाने की जरूरत थी, लेकिन इसकी पूरी तरह उपेक्षा की गई है, जो भाजपा की नीतियों के अनुरूप ही है।

 

उन्होंने कहा कि बजट में ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नाम पर 2887 करोड़ रुपए आबंटित किए गए हैं, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति परिवार औसतन 32 दिनों का ही रोजगार सृजन होगा, जबकि मनरेगा मांग के आधार पर न्यूनतम 100 दिनों के रोजगार की गारंटी देता है। मनरेगा में रोजगार पाने के लिए जो नए नियम बनाए गए हैं, उससे प्रदेश के 17 लाख ग्रामीण परिवार पंजीयन कार्ड होने के बावजूद मनरेगा में रोजगार की पात्रता से वंचित कर दिए है।

 

किसान सभा नेताओं ने कहा कि कृषि उन्नति योजना के अंतर्गत आबंटित 10000 करोड़ रुपयों की राशि से केवल 100 लाख टन धान खरीदी के मूल्य अंतर की ही भरपाई हो पाएगी, जबकि इस वर्ष ही 145 लाख टन की खरीदी हुई है और 2 लाख से अधिक किसानों का 30 लाख टन धान खरीदा नहीं गया है। इस मद में कम -से कम 18000 करोड़ रुपयों का प्रावधान किया जाना चाहिए था। इससे इस योजना के जारी रहने पर ही प्रश्न चिन्ह लग गया है। वैसे भी भाजपा की केंद्र सरकार किसानों को बोनस या इनपुट सब्सिडी देने के खिलाफ है।

 

भूमिहीन कृषि मजदूरों को प्रति वर्ष 10000 रूपये की सहायता देने की योजना का भी यही हाल है। प्रदेश में कृषि मजदूरों के 6 लाख परिवार है, लेकिन बजट आबंटित किया गया है केवल 500 करोड़ रुपए ही। इससे 10% कृषि मजदूरों तक भी इस योजना का फायदा नहीं पहुंचेगा।

 

किसान सभा ने कहा है कि जितनी लोक लुभावन घोषणाएं बजट में की गई है, उसका असली उद्देश्य आम जनता को फायदा पहुंचाना नहीं, केवल चुनावी लाभ बटोरना है। इसलिए इन योजनाओं में पात्रता के नाम पर ऐसी शर्तें थोपी जा रही हैं, जिससे अधिक से अधिक लोग इन योजनाओं के दायरे से ही बाहर हो जाए। वैसे भी भाजपा का चरित्र वादों को पूरा का करने का नहीं, जुमलेबाजी करने का ही है। छत्तीसगढ़ के इस बजट की अधिकांश घोषणाएं भी जुमलेबाजी साबित होने जा रही है। इस प्रदेश के प्राकृतिक संसाधनों की जो कॉरपोरेट लूट हो रही है, बजट इस बारे में पूरी तरह चुप्पी साध ली गई है और तकनीक के उपयोग के नाम पर कॉरपोरेट पूंजी के प्रवेश के रास्ते ही खोले गए हैं।

 

किसान सभा ने कहा है कि भाजपा की किसान विरोधी कॉरपोरेटपरस्त नीतियों और किसान विरोधी बजट के खिलाफ संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर 16 फरवरी को छत्तीसगढ़ ग्रामीण बंद का आयोजन किया जाएगा।

 

व्हाट्सएप पर शेयर करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *