Breaking News

आवश्यकता है “बेखौफ खबर” हिन्दी वेब न्यूज़ चैनल को रिपोटर्स और विज्ञापन प्रतिनिधियों की इच्छुक व्यक्ति जुड़ने के लिए सम्पर्क करे –Email : [email protected] , [email protected] whatsapp : 9451304748 * निःशुल्क ज्वाइनिंग शुरू * १- आपको मिलेगा खबरों को तुरंत लाइव करने के लिए user id /password * २- आपकी बेस्ट रिपोर्ट पर मिलेगी प्रोत्साहन धनराशि * ३- आपकी रिपोर्ट पर दर्शक हिट्स के अनुसार भी मिलेगी प्रोत्साहन धनराशि * ४- आपकी रिपोर्ट पर होगा आपका फोटो और नाम *५- विज्ञापन पर मिलेगा 50 प्रतिशत प्रोत्साहन धनराशि *जल्द ही आपकी टेलीविजन स्क्रीन पर होंगी हमारी टीम की “स्पेशल रिपोर्ट”

Wednesday, February 12, 2025 3:45:19 AM

वीडियो देखें

93 गांवों में जल प्रदूषण और सीवरेज व्यवस्था के मामले में एनजीटी ने ग्रेनो को लगाई फटकार

93 गांवों में जल प्रदूषण और सीवरेज व्यवस्था के मामले में एनजीटी ने ग्रेनो को लगाई फटकार

 सुनपुरा निवासी प्रदीप डाहलिया और कर्मवीर नागर प्रमुख द्वारा याचिका पर सुनवाई करते हुए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण क्षेत्र के 93 गांवों में सीवरेज नेटवर्क को जोड़ने के काम की गति पर नाराजगी व्यक्त करते हुए प्राधिकरण को फटकार लगाई। एनजीटी में उपस्थित प्राधिकरण के वकील द्वारा ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण की ओर से प्रस्तुत प्रगति रिपोर्ट के अनुसार अब तक केवल 39 गांवों को सीवरेज से जोड़ा गया है।

कर्मवीर नागर प्रमुख और प्रदीप डाहलिया द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की मुख्य पीठ में न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और डी आर शामिल थे। विशेषज्ञ सदस्य ए. सेंथिल वेल ने कहा कि जल अधिनियम 1974 के प्रावधानों के तहत ग्रेनो प्राधिकरण क्षेत्र के गांवो में खुले में सीवेज के लिए प्राधिकरण के अधिकारी उत्तरदायी हैं। *ए सेंथिल विल ने कहा अगर खुले में सीवेज बह रहा है तो ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारी अपराध कर रहे हैं।*

एनजीटी ने दिनांक 15 जुलाई 2024 तक 30 जून 2024 की स्थिति दिखाते हुए एक और प्रगति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया गया है।

इसके अतिरिक्त विश्लेषण रिपोर्ट में एसटीपी में सीवेज के निर्वहन के कुल सीवेज उत्पन्न द्विभाजन, उपचार मानकों और मापदंडों आदि के संबंध में अन्य विवरण भी शामिल हैं। 76 गांवों में सीवर डालने और घरों को जोड़ने की प्रगति की जानकारी उक्त रिपोर्ट के साथ दी जाएगी।

पीठ ने यूपीपीसीबी के कार्य को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि *”यह भी वास्तव में दुर्भाग्यपूर्ण है कि उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इस मामले में उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ कोई उचित कार्रवाई नहीं की है। क्योंकि यह जल अधिनियम का उल्लंघन है। यूपीपीसीबी द्वारा न तो किसी पर्यावरणीय मुआवजे का आकलन किया गया है और न ही दंडात्मक, निवारक और उपचारात्मक कार्रवाई की गई है, जिसके लिए हम सदस्य सचिव, यूपीपीसीबी को मामले को देखने और निष्क्रियता के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई सहित उचित कार्रवाई करने का निर्देश देते हैं।”*

प्रदीप डाहलिया और कर्मवीर नागर प्रमुख द्वारा दायर याचिका में शिकायत की गई थी कि ग्रेटर नोएडा के 93 गांवों में खुली भूमि, सड़कों, आंतरिक गलियों और बरसाती जल नालियों में भारी मात्रा में सीवेज का निर्वहन होता है। दायर याचिका में यह भी शिकायत की थी कि इन गांवों में बरसाती पानी की नालियों में ठोस अपशिष्ट, प्लास्टिक कचरा, निर्माण और विध्वंस अपशिष्ट या अन्य प्रकार के कचरे के कारण नालियों के अवरुद्ध होने के कारण सीवेज/अपशिष्ट पानी सड़क पर फैल जाता है, जिससे वे बार-बार टूट जाते हैं और जिससे सड़कों पर बार-बार टूट-फूट होती रहती है। ग्रामीण अपने सीवेज/अपशिष्ट जल से भरी नालियों को स्वयं साफ करने और प्रदूषित पानी पीने के लिए मजबूर हैं क्योंकि अधिकांश ग्रामीण आरओ जैसी शुद्धीकरण प्रणाली का खर्च वहन नहीं कर सकते हैं। अब इस मामले की अगली सुनवाई 19 जुलाई 2024 को नियत की गई है।

व्हाट्सएप पर शेयर करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *