रिपोर्ट : रियाज अहमद
बाबागंज बहराइच। पृथ्वी को हरी भरी व शुद्ध वातावरण के लिए सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर के वन विभाग के तहत पौधशाला पर पैसा खर्चा करतीं हैं, जहां अब्दुल्ला गंज में पौधशाला में लगभग नौ से दस लाख पौधे तैयार करवा के जंगल में रिक्त स्थान पर व ग्रामीण क्षेत्रों में पौध रोपड़ प्रतिवर्ष करवाया जाता है कि पर्यावरण का संतुलन बना रहे और पृथ्वी भी हारी भरी रहें और हर जीव को शुद्ध वातावरण भी मिलता रहें। यही नहीं आरक्षित अब्दुल्ला गंज रेंज में लगभग चार पौधशाला हैं एक शिशैया में दूसरी दर्जी गांव तीसरा व चौथा इटहवा भाग एक व दो क्षेत्र फल एक हेक्टेयर में जिसमें लगभग छः वन माली हमेशा कार्यरत रहते हैं जों की इन पौधशाला में सागवान, जामुन, अमरुद, गुडेल, पाकड़, कन्ज, शीशम बरगद, नीम जैसे विभिन्न प्रजातियों के पौधों की उगाईं का खर्चा सरकार द्वारा लगभग पन्द्रह से बीस लाख तक पौधा उगाने में खर्च करती है। जो इन पौधों को पौधशाला में दिसम्बर माह से पौधे रोपाई के लिये पौधे तैयारी करवाने में लग जाते हैं फिर शासन के आदेश अनुसार जुलाई माह से पौधे रोपित किये जाने लगते विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से ताकि पृथ्वी हरी भरी रहे। लेकिन कुछ लापरवाह विभागीय अधिकारियों के वजह कुछ पौधों तो सुख जाते हैं और जंगल में आग की आगोश में नौधे पौधे जल कर सुख जाते हैं और उनकी जीवन लीला समाप्त हो जाती है।जहां सरकार एवं समाजसेवी लोग ग्रामीण क्षेत्रों सहित नदी, नाला, तालाब पोखरा, झील, के किनारे पर्यावरण का अलख जगा कर विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से विभिन्न प्रजातियों के पौधे रोपित करवाते रहते हैं। लेकिन कुछ लक्कड़ कट्टे ठेकेदार वन विभाग के अधिकारियों से सांठगांठ कर ग्रामीण क्षेत्रों के फलदार पौधों को फल हीन रोग ग्रस्त जैसे बता कर परमिट जारी करवा लेते या फिर अधिकारियों से मिली भगत कर के काटते रहते हैं और फिर शिकायत होने पर एक आध पेड़ पर जुर्माना करके रफ़ा दफा कर दिया जाता है। जंगल में भी कुछ विभागीय अधिकारी का ये हाल रहता है की सरकार द्वारा झाड़ी साफ-सफाई और पौधा निराई गुड़ाई का पैसा आता है लेकिन उस पैसे को बच बचा कर ग्रामीणों से बेगार लेकर उसके बदले में जंगल से उन्हें मोटी मोटी लड़कियां कटवा दी जाती और बेगार वाले मजदूर उस लड़कीयों लाकर नजदीक ईंट भट्ठे पर बेंच देते हैं और उस के बदले में पैसा लेकर मजदूरी का औसत निकल लेते हैं। जहां अब ग्रीष्म ऋतु होते ही ज़िम्मेदारों के लापरवाही से जंगल आग के आगोश में धधकने लगातीं है जहां आरक्षित अब्दुल्ला गंज रेंज के खरहनिया गांव के पास में कम्पार्ट नंबर 6 में व निम्निहारा बिट में दुसरे दिन कम्पार्ट नंबर 7,10,11 सांखू सागवान बैच आनसिंक 12 आग आगोश में जल उठा जो की आग की लपट इतनी तेज थी की जंगल के बाहर किसानों के खेतों तक पहुंच गई और आस पास आम की बाग को भी अपने आगोश में ले लिया जिसकी सुचना ग्रामीणो ने डायल 100 नंबर सहित अग्नि यंत्र को दिया तथा अस्थानिये समाजसेवी यो ने जिलाधिकारी व प्रभागीय वनाधिकारी संजीव कुमार को दी जो की आग पर काबू देर शाम को बड़ी ही कड़ी मशक्कत पर पाया गया था जिसमें एक वाचर साबित राम थोड़ा बहुत झुलस भी गया था जिस का उपचार भी अस्पताल में कराया गया।
लेकिन अब इस आग की आगोश से वन्य जीव नये रोपित नौध पौधा एवं वन्यजीव का कितना नुकसान हुआ आखिर इसका जुम्मेवार कौन होगा। जब अब्दुल्ला गंज रेंज के क्षेत्रीय वन अधिकारी पंकज कुमार साहू से बात किया गया तो बताया की कुछ किसान जंगल से स्टे अपने खेत में गेहूं का डंठल जलाये थे जिसके कारण से जंगल में आग लग गई और तेज हवा होने से तथा पर्याप्त संसाधन न होने के कारण से जल्दी आग पर काबू नहीं पाया जा सका और न ही अग्नि यंत्र की गाड़ी जंगल के भीतर जा सकती थी। वहीं जब प्रभागीय वनाधिकारी संजीव कुमार से बात किया गया तो बताया की आग लगने की सुचना मिली है जल्द ही आग पर काबू पाया जायेगा, लेकिन एक दुसरे दिन जंगल में आग लगना एवं ग्रामीण क्षेत्रो में बिना परमिट के हो रहे हरे भरे पेड़ों के कटान पर आखिर इसका जिम्मेदार कौन यह यक्ष प्रश्न है।
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