बुलंदशहर के स्याना में गोकशी के शक में फैली अफवाह के बाद भड़की हिंसा में इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह समेत दो लोगों की मौत मामले में एसआईटी की जांच रिपोर्ट बुधवार शाम को आएगी. कहा जा रहा है कि पुलिस के कई बड़े अधिकारियों पर गाज गिर सकती है. एसआईटी की जांच रिपोर्ट आज रात तक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंपी जानी है, जिस पर मीडिया के साथ-साथ पुलिस अफसरों की भी नजर है.मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा मंगलवार देर रात की गई कानून-व्यवस्था की समीक्षा बैठक में भी अफसरों को फटकार लगाई गई थी. मुख्यमंत्री ने घटना पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि नाकाम अफसरों को हटाया जाए. जिसके बाद कहा जा रहा है कि जांच रिपोर्ट आने के बाद कई पुलिस अफसरों पर गाज गिरना तय है.बता दें कि जनवरी के बाद से कई ऐसी घटनाएं हुई हैं जिससे पुलिस अधिकारियों ने सरकार की किरकिरी करवाई है. इस साल यूपी में पुलिसिंग और पुलिस का हाल बेहाल रहा है. जनवरी में कासगंज हिंसा से लेकर सोमवार को बुलंदशहर की घटना पुलिस की हर मोर्चे पर नाकामी की कहानी बयान कर रही है. जिसके बाद पुलिस का टॉप नेतृत्व सवालों के घेरे में है. बताया जा रहा है कि बरेली में साध्वी को जलाने का मामला, सीतापुर में रेप में नाकाम होने पर युवती को जलाया गया, लखनऊ में भाजयुमो नेता की हत्या और बुलंदशहर में हुई घटना के बाद अब इन जिलों के कप्तान सीएम योगी के रडार पर हैं.2017 में जिस यूपी पुलिस का डंका बज रहा था 2018 में ही उसकी कलई खुल गई. साल की शुरुआत 26 जनवरी को कासगंज में तिरंगा यात्रा के दौरान भड़की हिंसा से हुई. इसके बाद 2 अप्रैल को भारत बंद के दौरान हुई हिंसा में पुलिस की लापरवाही देखने को मिली. तमाम इनपुट के बावजूद पश्चिम यूपी में बंद के दौरान भड़की हिंसा को पुलिस रोक नहीं पाई.इसके बाद उन्नाव रेप कांड में पुलिस की कर्रवाई से भी खूब किरकिरी हुई. बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के इशारे पर रेप पीड़िता के पिता को फर्जी मुकदमे में फंसकर पुलिस ने जेल भेज दिया. जहां उनकी पिटाई की गई और इलाज के दौरान मौत हो गई. यह मामला देश में चर्चा का विषय बना.इसके बाद मेरठ में हिंदूवादी संगठनों के साथ मिलकर एक मेडिकल की छात्रा को अपमानित करने का मामला भी सुर्ख़ियों में रहा.
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