इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज किये जाने के मामले में यूपी सरकार की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नाम बदले जाने के मामले में योगी सरकार से कैबिनेट बैठक के मिनट्स समेत मामले से जुड़े सभी रिकॉर्ड तलब कर लिए हैं. चीफ जस्टिस गोविंद माथुर की अगुवाई वाली डिवीजन बेंच ने योगी सरकार को मामले से जुड़े रिकॉर्ड्स कोर्ट में पेश करने के लिए सिर्फ तीन दिनों की मोहलत दी है. अदालत इस मामले में चार दिसम्बर को दोपहर दो बजे से फिर से सुनवाई करेगी. हाईकोर्ट इस मामले में पहले ही लखनऊ बेंच में दाखिल पीआईएल की फ़ाइल भी तलब कर चुकी है. आज की सुनवाई के दौरान अदालत ने यह माना है कि योगी सरकार ने इलाहाबाद का नाम बदलने में ज़रूरी प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया है.इलाहाबाद हेरिटेज सोसाइटी समेत बारह पूर्व अफसरों- जन प्रतिनिधियों व प्रोफेसरों द्वारा दाखिल की गई पीआईएल में यूपी रेवेन्यू कोड की उस धारा 6 को चैलेंज किया गया है, जिसके तहत इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज किया गया है. अर्जी में कहा गया है कि लोगों की आपत्ति के बिना ही जिला बदलने का अधिकार दिए जाने वाली रेवेन्यू कोड की यह धारा असंवैधानिक है. इसलिए इसे ख़त्म कर दिया जाना चाहिए और इसके तहत इलाहाबाद का नाम बदले जाने की प्रक्रिया को भी रद्द कर देना चाहिए. याचिकाकर्ताओं की वकील सैयद फरमान अब्बास नकवी की तरफ से कोर्ट में यह भी दलील दी गई है कि रेवेन्यू कोड की जिस धारा के तहत नाम बदला गया है, उसमे भी प्रस्ताव के बाद लोगों से आपत्ति मंगाने और उसे दूर करने के पैंतालीस दिनों के बाद ही नाम व सीमा बदलने का नियम है, लेकिन योगी सरकार ने सिर्फ कैबिनेट बैठक से ही यह फैसला ले लिया.गौरतलब है कि यूपी की योगी सरकार ने इसी साल सोलह अक्टूबर को कैबिनेट से प्रस्ताव पास कराने के बाद अठारह अक्टूबर को नोटिफिकेशन जारी कर इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया था. हालांकि नाम बदले जाने के फैसले के खिलाफ दाखिल एक अर्जी को हाईकोर्ट खारिज भी कर चुका है, लेकिन इस अर्जी को अदालत ने सुनवाई के लिए मंजूर करते हुए योगी सरकार से जवाब तलब कर लिया है. मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस गोविन्द माथुर और जस्टिस वाई के श्रीवास्तव की डिवीजन बेंच कर रही है. नाम बदले जाने के मामले में जैक सेवा ट्रस्ट, एडवोकेट सुनीता शर्मा और एडवोकेट शाहिद सिद्दीकी समेत पांच अन्य लोगों ने भी अर्जी दाखिल की हुई है.
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