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Sunday, February 9, 2025 9:00:21 PM

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साधु-संतों और महात्माओं ने कहा-राम मंदिर को राजनीतिक चादर से ढक दिया गया है

साधु-संतों और महात्माओं ने कहा-राम मंदिर को राजनीतिक चादर से ढक दिया गया है

काशी में चल रही परम धर्म संसद 1008 के दूसरे दिन के पहले सत्र में राम मंदिर का मुद्दा गरमाया। साधु-संतों और महात्माओं ने एक स्वर में कहा कि राम मंदिर को राजनीतिक चादर से ढक दिया गया है, इसलिए उसको बनाने की बजाय उसको भुनाने का काम किया जा रहा है और यह कभी संभव नहीं। राम मंदिर जब भी बनेगा तब संत महात्माओं के प्रयास और उनकी मेहनत से बनेगा। इसके लिए जगतगुरु शंकराचार्य के सानिध्य की जरूरत है और हम लोग इन के सानिध्य में ही यह पूरा कार्य करेंगे। संतों ने कहा कि सनातन धर्म की आस्था के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। राम हमारे आदर्श और आराध्य है। इसलिए राम मंदिर बनना चाहिए। संतों ने केंद्र सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि यह बीजेपी और आरएसएस द्वारा जो राम मंदिर के नाम पर अब तक जो नारा देते जा रहे हैं इससे आम जनता तो दूर संतों का भी विश्वास अब इन पर नहीं रहा। इसलिए राम मंदिर के लिए एक राम पंचायतन बनाकर इसका निर्माण शीघ्र अति शीघ्र कराया जाना चाहिए। अब तो कोर्ट पर भी भरोसा नहीं रहा। इसलिए संतो की एक कमेटी बने जो राम मंदिर निर्माण का कार्य शुरू कराए। धर्म संसद 1008 में पहले दिन रविवार को जहां देश भर के 543 लोकसभा से सनातनधर्मी धर्मासंद, चारों धाम के प्रतिनिधि, 51 शक्तिपीठों सहित स्पेन और ब्राजील के सदस्य शामिल हुए। ब्राजील से इसाई धर्म के प्रतिनिधि के रूप में चार्ल्स और स्पेन के निवासी और हिंदू धर्म धारण करने वाले अविनाश भी शामिल हुए। मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व सेराज सिद्दीकी ने किया। गूगल ब्वाय के नाम से प्रसिद्घ और स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का शिष्य कौटिल्य भी धर्म संसद में पहुंचा। सभी से कौटिल्य का परिचय कराया गया। वहीं धर्म संसद में जिन 100 देशों में हिंदू रहे रहे हैं, इन सभी के झंडे होर्डिंग के रूप में लगाए गए है। वहीं देश के सभी प्रदेशों नाम और उनके झंडे के अलावा वहां की संस्कृति को भी दर्शाया गया है। आयोजन में शामिल लोगों के लिए यह आकर्षण का केंद्र रहे। उधर, धर्म संसद के लिए जहां संसद भवन की तरह ही टेंट लगाया गया है, वहीं गोशाला भी बनाई गई है। गोशाल में बांधे गए गाय-बछड़ों का श्रद्धालु पूजन कर रहे थे। सभी प्रवेश द्वार का नाम वेदों के नाम पर रखा गया है। शाम को काशी की परंपरा के अनुसार गंगा आरती की तर्ज पर पांच वैदिक ब्राह्मणों ने यहां आरती उतारी। कार्यक्रम स्थल और परिसर के बाहर तीन बड़ी एलईडी स्क्रीन लगाई गई थी, जहां से लोग सजीव प्रसारण देख रहे हैं।

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