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Saturday, May 24, 2025 10:42:13 PM

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बीजेपी सरकार भ्रष्टाचार पर अंकुस लगाने में नाकाम, DSO साहब क्या बगैर पैसों के असंभव है दोषियों पर कार्यवाही?

बीजेपी सरकार भ्रष्टाचार पर अंकुस लगाने में नाकाम, DSO साहब क्या बगैर पैसों के असंभव है दोषियों पर कार्यवाही?

( रिपोर्ट : सिराज अहमद खान )केंद्र और राज्य की बीजेपी सरकार भले ही भ्रष्टाचार पर अंकुस लगाने के लाख दावे कर रही हो परन्तु सरकार के अधिकारी उन्ही दावों को खोखला साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे है। अब ऐसे में अगर सरकार के मुखिया यह कहने लगे की भ्रष्टाचार मुक्त देश और प्रदेश बनाने में हम कामयाब रहे है,तो क्या यह मानने वाली बात होगी? क्या कह भर देने से ही देश से भ्रष्टाचार मिटाया जा सकता है?
सरकारें योजनाओं का बखान तो खूब करती है पर कमीशन खोरी के मामलों में खुदको साफ सुतरा ही बताती है। मौजूदा सरकार में भी भ्रष्टाचार अपनी चरम सीमा पर है. जिसकी बानगी देखने के लिए बस आपको उत्तर प्रदेश के जनपद बहराइच के जिलापूर्ति विभाग की कार्य प्रणाली पर नजर डालनी होगी। बात मौजूदा दौर में मजुदा अधिकारी की कार्य प्रणाली की करें तो जिलापूर्ति विभाग के मुखिया राकेश कुमार है जिनके खिलाफ हमारी टीम ने पहले ही कई खुलासे किये है। जैसे की जनपद में अवैध तरीके से पेट्रोल पम्प चलना, मिटटी के तेल के गोदामों से कोटेदारो को कम तेल मिलना, कोटेदारो से प्रति कुंतल की दर से अवैध धन उगाही करना, पैसे लेकर कर ही पीड़ितों को न्याय देना आदि समस्याएँ शामिल है। कहते है की मुखिया दुरुस्त हो तो विभाग भी दुरुस्त होता है, परन्तु यदि मुखिया ही भ्रष्ट हो जाये तो आम जनता को न्याय कैसे मिले?
मौजूदा हालात पर नजर डाले तो कोटेदारों से प्रति कुंतल तीस रुपये सप्लाई इन्स्पेक्टर द्वारा अवैध वसूली की जाती है,गोदामों पर प्रति कोटेदारों से पांच सौ से हजार रुपये तक की अवैद वसूली की जाती है और इन सबका बोझ बेबस कार्ड धारको पर लाद दिया जाता है। आपको बता दें की यही सब बता कर कोटेदार प्रति यूनिट पांच की जगह तीन और चार किलो तक ही कार्ड धारको को खाद्यान देता है। जिसकी हकीकत कभी भी किसी भी कोटेदार के वितरण समय में देखा जा सकता है।
इतना ही नहीं कोटेदार और इंस्पेक्टर की मिली भगत से पुरे माह का खाद्यान हड़पने तक के आरोपी पात्र भी सीएम योगी तक भेजा गया है। परन्तु जिलापूर्ति अधिकारी राकेश कुमार के कानो में जूं तक नहीं रेंगी है। जबकि की ऐसे मामलो में आसानी से ये पता लगाया जा सकता है कि आरोपी पत्रों की हकीकत क्या है। आपको बता दे कि कोटों पर वितरण के समय कार्ड पर कोटेदार द्वारा रिसीविंग चढ़ाई जाती है, साथ ही गोदाम से खाद्यान उठान के समय स्टॉक भी दर्ज किया जाता है, जिसकी मिलान ही काफी होती है हकीकत बयां करने के लिए परन्तु महोदय से इतना भी नहीं हो पाता है। बताते चले की इस माह से शहरो की तरह ग्राम सभाओं में भी कोटों पर मशीनों से खाद्यान वितरण किया जायेगा। परन्तु सोचने की बात यह है की जब शहर में नेट्वर्किंग प्राब्लम, मशीन गड़बड़ी आदि समस्या बता कर कोटेदार खुलेआम चोरी कर रहे है। तो ग्राम सभाओं में मानक अनुसार मशीनों से वितरण कैसे संभव होगा?
आपको बता दे कि आज से वितरण कार्य शुरू हो चूका है परन्तु अधिकतर कोटो पर वितरण कार्य समय अनुसार नहीं किया जा रहा है। सब जानते हुए भी महोदय अपनी आँख, कान, मुह बंद किये हुए है,जबकि पीड़ित लोग प्राथना पात्र दे दे कर थक चुके है। अब ऐसे में यह कैसे मान लिया जाये कि केंद्र और राज्य की बीजेपी सरकार भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में कामयाब रही है।

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