बहराइच 29 अक्टूबर। जिला कृषि रक्षा अधिकारी राम दरश वर्मा ने बताया कि बीज/भूमि जनित रोगों से बोई जाने वाली फसल के बचाव हेतु बीज/भूमि शोधन का अत्याधिक महत्व है। इसे फसल की रोगों से सुरक्षाकर अधिक पैदावार ली जा सकती है। उन्हांेने आमजन से अपील की है कि आगामी रबी फसल में बेहतर उत्पादन के लिए बीजशोधन अवश्यक करें। बीज शोधन के अभाव में फसलों में कई फफंूदजनित/जीवाणु जनित रोगों का प्रकोप देखा जाता है। रोगकारक फफूंदी व जीवाणु बीज से लिपटे रहते हैं या भूमि में पड़े रहते हैं। उन्हांेने बताया कि बीज बोने के बाद फफूंदी अपने स्वभाव के अनुसार नमी प्राप्त होते ही उगते बीज, अंकुर या पौधों के विभिन्न भागों को संक्रमित करके रोग उत्पन्न करते हैं। रोगों से फसलों को बचाने के लिए बीज उपचार/बीज शोध नही एकमात्र सरल सस्ता व सुरक्षात्मक उपाय है। बीज शोधन के लिए फफूंदीनाशक रसायनों जैसे थीरम 75 प्रति अथवा कार्बण्डाजिम 50 प्रतिशत अथवा कार्बाक्सिन 37.5 प्रति को 2-3 ग्रमा रसायन प्रति किग्रा बीज की दर से एवं बायोपेस्टीसाइड जैसे ट्राईकोडर्मा हारजेनियम 04 ग्रा/किग्रा अथवा सूडोमोनास 10 ग्रा./किग्रा. बीज की दर से उपचारित कर बुवाई करना चाहिए। उन्होंने बताया कि गेहूं की फसल में स्मट रोग से बचाव हेतु एवं मटर, मंसूर, मिर्च, चना, अरहर में उकठा रोग तथा सरसो/राई में मिल्ड्यू पाउडरी रोग से बचाव हेतु बोने से पूर्व बीज को तीन ग्राम थीरम अथवा 2 ग्राम कार्बण्डाजिम प्रति किग्रा. बीज की दर से बीज शोधन करना चाहिए। बीज शोधन हेतु कृषि रक्षा रसायन थीरम कार्बण्डाजिम, ट्र्राकोडर्मा हारजेनियम, स्टेप्टोमाइसिन सल्फेट आदि जनपद की सभी कृषि रक्षा इकाईयों पर 75 प्रतिशत अनुदान पर उपलब्ध है। उन्हांेंने बताया कि किसी भी फसल किसानों सुझाव दिया कि किसी भी फसल में कीट/रोग के प्रकोप की दशा में अविलम्ब जिला कृषि रक्षा अधिकारी के दूरभाष नं. 8429031663 पर सम्पर्क कर कीट/रोग के नियंत्रण के सम्बन्ध में सलाह प्राप्त कर सकते हैं। कीट/रोग से बचाव हेतु आवश्यक कृषि रक्षा रसायन जनपद के सभी कृषि रक्षा इकाईयों पर अनुदादित मूल्य पर उपलब्ध है, परन्तु अनुदान सीमित होने के कारण प्रथम आवक प्रथम पावक के आधार पर प्राप्त कर सकते हैं।
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