उत्तर प्रदेश के सोनभद्र स्थित ओबरा तापीय परियोजना के बी थर्मल पॉवर स्टेशन (बीटीपीएस) की केबल गैलरी में रविवार सुबह 3.45 बजे आग लग गई। हादसा बारहवीं इकाई से उत्पादन लेने के प्रयास में हुआ। इस कारण परियोजना की नौवीं, 10वीं और 11वीं इकाई भी ट्रिप हो गई। घटना के चलते दो-दो सौ मेगावाट की चारों इकाइयों से उत्पादन बंद हो गया। इससे उत्तर प्रदेश के कई जिलों के अलावा कुछ अन्य प्रदेशों में भी बिजली आपूर्ति ठप हो सकती है। हालांकि सोनभद्र के किसी भी इलाके में रविवार की देर शाम तक आपूर्ति प्रभावित नहीं हुई थी। करीब 12 घंटे में आग पर काबू पाया जा सका। घटना की वजह का पता नहीं चल सका। हादसे में करोड़ों का नुकसान बताया जा रहा है। अभी सभी इकाइयों से उत्पादन चार दिन तक ठप रहने की आशंका है। शनिवार की रात करीब 12.50 बजे ट्रिप हुई 12वीं इकाई को लाइटअप करने के बाद उससे उत्पादन लेने के प्रयास के दौरान करीब 3.45 बजे भोर में वाल मिल 12वीं चलाने पर माइनस चार केबल में धमाका हो गया। इससे 12वीं इकाई के केबल पूरी तरह और 11वीं इकाई की आंशिक रूप से जल गईं। सूचना पर डीएम अमित कुमार सिंह, एसपी किरीट राठोड़, सीडीओ सुनील कुमार, एसडीएम सदर शादाब असलम पहुंच गए। उत्पादन निगम के प्रबंध निदेशक सैंथिल पांडियान सी रविवार की शाम करीब साढ़े छह बजे ओबरा परियोजना पहुंचे। यहां उन्होंने जिलाधिकारी अमित कुमार सिंह के साथ ही परियोजना के अधिकारियों के साथ बैठक कर घटना के बारे में जानकारी ली। ओबरा तापीय परियोजना में रविवार की भोर में लगी आग से उत्पादन ठप हो गया है। इससे उत्तर प्रदेश के कई जिलों के अलावा कुछ अन्य प्रदेशों में भी बिजली आपूर्ति ठप हो सकती है। हालांकि सोनभद्र के किसी भी इलाके में रविवार की देर शाम तक आपूर्ति प्रभावित नहीं हुई थी। ओबरा तापीय परियोजना की नौवीं, 10वीं, 11वीं इकाई से शनिवार की रात तक 462 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा था। शनिवार की रात करीब 12वीं इकाई के ट्रिप होने पर उसकी मरम्मत हो रही थी। उसे उत्पादन पर लाने के प्रयास के दौरान केबल ब्लास्ट होने से लगी आग के बाद उत्पादन शून्य हो गया है। इस समय किसी भी इकाई से उत्पादन नहीं हो रहा है। इससे यूपी के कुछ जिलों के साथ ही अन्य प्रदेश में बिजली आपूर्ति ठप हो सकती है। बताया जा रहा है कि ओबरा परियोजना से बिजली ग्रिड को दी जाती है और ग्रिड से यूपी के राबर्ट्सगंज, सेवापुरी, सारनाथ, सुल्तानपुर के साथ ही अन्य कुछ प्रदेशों में भी आपूर्ति की जाती है। परियोजना से जुड़े अधिकारियों के अनुसार जब आठ सौ मेेगावाट की सभी इकाइयां ट्रिप हो गई हैं और उत्पादन शून्य हो गया है तो कहीं न कहीं बिजली की आपूर्ति प्रभावित ही होगी।
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