सूबे के स्कूलों में बच्चों को दिए जाने वाले मिड डे मील की योजना में करोड़ों का खेल सामने आया है. यह खेल प्रदेश के करीब 1 हजार स्कूलों में चल रहा है. प्रदेश के 971 स्कूलों ने 1 जुलाई से 18 सितंबर तक मिड डे मील बांटने से जुड़ी जानकारी मिड डे मील प्राधिकरण को नहीं दी है. वहीं 27 स्कूल ऐसे हैं, जिन्होंने इस दौरान मिड डे मील बांटा ही नहीं. मिड डे मील प्राधिकरण ने इस मामले में कार्रवाई के लिए अपर मुख्य सचिव के यहां पत्र भेजा है.सभी स्कूलों को रोजाना कितने बच्चों को मिड डे मील दिया गया, इसकी जानकारी आईवीआरएस (इंटरेक्टिव वॉयस रिस्पॉन्स सिस्टम) से देनी होती है. लेकिन प्रदेश में करीब 1000 स्कूल यह जानकारी नहीं दे रहे हैं. ऐसे में इस आशंका जताई जा रही है कि यहां बड़े पैमाने पर मिड डे मील बांटने में घपला हो सकता है.मिड डे मील प्राधिकरण की मॉनिटरिंग में यह सामने आया है. फिलहाल जो बातें सामने आ रही हैं, उनसे तो यही लगता है कि एमडीएम योजना में बच्चों का पेट खाली रखकर स्कूलों में जिम्मेदार करोंड़ों रुपये डकार रहे हैं. विभागीय सूत्रों की मानें तो इस मामले में बेसिक शिक्षा निदेशालय ने मिड डे मील प्राधिकरण से नामवार उन स्कूलों की सूची मांगी है, जो मिड डे मील की जानकारी नहीं दे रहे हैं. इस सूची के मिलने के बाद जिम्मेदारों पर कार्रवाई होगी. बड़ी बात यह भी है कि मिड डे मील की जानकारी न देने वाले सर्वाधिक 71 स्कूल राजधानी लखनऊ के ही हैं.मिड डे मील की जानकारी छुपाने वाले टॉप 10 जिले- लखनऊ, हरदोई, जौनपुर, इलाहाबाद, बाराबंकी, गोंडा, सिद्धार्थनगर, गोरखपुर, मथुरा और बरेली.1 जुलाई से 18 सितंबर तक 971 स्कूलों ने नहीं दी मिड डे मील बांटने की जानकारी
27 स्कूलों में 1 जुलाई से 18 सितंबर तक मिड डे मील बांटा ही नहीं गया
औसतन एक स्कूल में 75 छात्र मान लें तो एक हजार स्कूलों में कुल 75 हजार छात्र
कक्षा 1 से 5 तक प्रति दिन प्रति छात्र 4.13 रुपये मिड डे मील के नाम पर बजट
कक्षा 6 से 8 तक प्रति दिन प्रति छात्र 6.18 रुपये मिड डे मील के नाम पर बजट
प्रतिदिन औसतन करीब 4 लाख रुपये के बजट का हिसाब नहीं.सवाल- कहां गया 1 जुलाई से 18 सितंबर तक 3 करोड़ से अधिक का बजट?
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