बहराइच 22 सितम्बर। प्रभागीय वनाधिकारी बहराइच आरपी सिंह ने बताया कि विकास खण्ड हुजूरपुर अन्तर्गत ग्राम मुकाम हरिहरपुर रैकवारी के पास तरबगंज शाखा नहर में मृत अवस्था मंे एक डाल्फिन (जो इनका प्राकृतवास नहीं है), जिसे स्थानीय भाषा में सूंस कहते है पायी गयी। उन्हांेने बताया कि ग्रामीणों की मदद से इसे पानी से निकाल कर बाहर लाया गया तथा मौके पर उपस्थित गवाहों के समक्ष पंचनामा तैयार किया गया। डाल्फिन के शरीर पर कहीं चोट के निशान नहीं पाये गये, जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि इसकी मृत्यु प्राकृतिक रूप से हुई है। डाल्फिन को विभागीय अभिरक्षा में लेकर शव विच्छेदन की कार्यवाही करायी गयी। उन्होंने बताया कि मुख्य पशु चिकित्साधिकारी के निर्देशन मंे गठित पशु चिकित्सकों के पैनेल द्वारा मृत गंगेय डाल्फिन का शव विच्छेदन किया गया। तत्पश्चात मृत डाल्फिन अपने समस्त अंगों सहित शरीर को अग्नि में जलाकर नष्ट किया गया। उन्हांेने बताया कि मृत गंगेय डाल्फिन अपने प्राकृतवास घाघरा/गेरूआ नदी से बाढ़ के पानी में बहकर साइफन के द्वारा नहर में आ गयी थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट वर्तमान में अप्राप्त है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के प्राप्ति के उपरान्त ही मादा गंगेय डाल्फिन की मृत्यु का सही कारण स्पष्ट हो सकेगा। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्रों में बहने वाली मीठे जल की नदियों यथा-गंगा, घाघरा तथा गेरूआ आदि नदियों में पायी जाने वाले गंगेय डाल्फिन वैज्ञानिक नाम गैन्जेटिक डाल्फिन जिसे स्थानीय भाषा मंे संूस भी कहते हैं यह चमकीले भूरे रंग की होती है। केन्द्र सरकार ने 05 अक्टूबर 2009 को गंगा डाल्फिन को भारत का राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया है। गंगा नदी में पायी जाने वाली डाल्फिन एक नेत्रहीन जलीय जीव है जिसकी घ्राण शक्ति अत्यन्त तीव्र होती है जिसके माध्यम से यह अपना भोजन और शिकार तलाशती है। यह एक स्तनधारी मांसाहारी जलीय जीव है। मादा की औसत लम्बाई नर से अधिक होती है। डीएफओ ने बताया कि विलुप्त प्राय इस जीव की वर्तमान मंे भारत में 2000 से कम संख्या रह गयी है। इसकी औसत आयु लगभग 28 वर्ष रिकार्ड की गयी है। गंगा डाल्फिन का गर्भकाल 09 से 10 माह होता है। प्रायः यह 02 से 03 वर्ष में प्रजनन करती है। इसकी प्रजनन के लिए प्रौढ़ अवस्था 10 वर्ष है। जिस तरह बाघ की उपस्थिति जंगल के पारिस्थितिक संतुलन का प्रतीक है उसी प्रकार डाल्फिन गंगा नदी के स्वास्थ्य की निशानी है। गंगा में डाल्फिन की संख्या में वृद्धि ‘मिशन क्लीन गंगा’ का प्रमुख आधार स्तम्भ है।
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