(डी0पी0श्रीवास्तव) बहराइच। परिवार नियंत्रण एवं कल्याण हेतु पहल किट के रूप में केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही अति महत्वपूर्ण योजना का धरातल पर कोई प्रभाव इस जिले में दिखाई नहीं दे रहा है। जबकि जिला प्रशाशन व नौकरी की आखिरी दहलीज पर पहुँच चुके सीएमओ अरुण कुमार पांडे की अंधता के कारण अब तक इस योजना के तहत आये करोङो रूपये का वारा न्यारा बताया जा रहा है। मालूम हो की इस योजना के अंतर्गत नव विवाहित जोड़ों को पहल किट के रूप में एक किट जिसमें परिवार नियोजित करने हेतु उपकरण एवं औषधियों के अतिरिक्त एक पुस्तिका देने का प्राविधान केंद्र सरकार द्वारा परिवार नियोजन स्वास्थ्य विभाग की तरफ से दिये जाते है,जिसमें शहर और गाँव के नवविवाहित जोड़ों को स्वास्थ्य कार्यकत्रियों,आशा बहुवों इत्यादि द्वारा मुहैया करवाकर उन्हें परिवार नियोजन के प्रति जागरूक करना होता है। बाउजूद विडम्बना यह है कि जनपद के विभिन्न छेत्रों में संचालित स्वास्थ्य विभाग की टीमों से पूछने पर ज्ञात हुवा कि उन्हें अब तक पहल किट के दर्शन तक नहीं हुवे हैं। सिर्फ कागजों पर ही नवविवाहित जोड़ों की लिस्ट बनाकर पहल किट की योजना को संचालित किया जा रहा है। जबकि हमारे जिला प्रभारी द्वारा जब कई गांवों में जाकर उक्त योजना की जमीनी तहकीकात कर कई नवविवाहित जोड़ों से बात की गई तो पता यही चला कि न तो उन्हें ऐसी किसी योजना की जानकारी है और न ही अभी तक उन्हें किसी ने पहल किट दिया। और यही हाल शहर का भी दिखाई दिया। कई आशा बहुवों से जब उक्त के सन्दर्भ में जानकारी चाही गई तो वे भी पहल किट के बारे में कोई सार्थक जानकारी नहीं दे सकी। ऐसे में अगर यह कहा जाये कि नवविवाहित जोड़ों के लिए आये धन से पहल किट की खरीदारी न कर सिर्फ कागजों में कोरम पूरा कर करोङो रूपये का बंदरबांट कर इस जिले के जिला चिकित्सालय के भ्रष्टाचार के पन्नो पर एक अध्याय और जोड़ दिया गया है तो शायद गलत नहीं होगा। उक्त योजना के तहत नवविवाहितों को भले ही कोई लाभ न मिला हो लेकिन नीति आयोग द्वारा गठित टीम में सबसे निचले पायदान पर रहे इस जनपद में स्वास्थ्य विभाग अब तक छह पायदान की छलांग लगाते हुवे अच्छे प्रदर्शन का तगमा हासिल कर चुका है जबकि वास्तव में बहराइच जनपद धरातल पर निरंतर नीचे की ओर जाता ही नजर आ रहा है। उक्त के सन्दर्भ में जब हमारे जिला प्रभारी द्वारा सी0एम0ओ0 से जानकारी करने की कोशिश की गई तो उन्हें लगातार तीन दिनों तक फोन करने के बाद भी उनके व उनके अधीनस्थ द्वारा नोडल अधिकारी के साथ मीटिंग की बात कहकर मामले से सम्बंधित सवालों को टाला जाता रहा। डी0पी0श्रीवास्तव बहराइच।
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