Breaking News

आवश्यकता है “बेखौफ खबर” हिन्दी वेब न्यूज़ चैनल को रिपोटर्स और विज्ञापन प्रतिनिधियों की इच्छुक व्यक्ति जुड़ने के लिए सम्पर्क करे –Email : [email protected] , [email protected] whatsapp : 9451304748 * निःशुल्क ज्वाइनिंग शुरू * १- आपको मिलेगा खबरों को तुरंत लाइव करने के लिए user id /password * २- आपकी बेस्ट रिपोर्ट पर मिलेगी प्रोत्साहन धनराशि * ३- आपकी रिपोर्ट पर दर्शक हिट्स के अनुसार भी मिलेगी प्रोत्साहन धनराशि * ४- आपकी रिपोर्ट पर होगा आपका फोटो और नाम *५- विज्ञापन पर मिलेगा 50 प्रतिशत प्रोत्साहन धनराशि *जल्द ही आपकी टेलीविजन स्क्रीन पर होंगी हमारी टीम की “स्पेशल रिपोर्ट”

Tuesday, March 18, 2025 1:08:25 PM

वीडियो देखें

टिशु कल्चर पद्धति से होगा गन्ना पौध उत्पादन

टिशु कल्चर पद्धति से होगा गन्ना पौध उत्पादन

बहराइच 20 जुलाई। प्रदेश मेें गन्ना किसानों की आय दोगुनी किये जाने हेतु गन्ना विकास विभाग में विविध कार्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं और गन्ना किसानों को अभिप्रेरित किया जा रहा है कि अन्तः फसली खेती के द्वारा फसलों की विविधता सुनिश्चित होती है, जिससे गन्ने की उत्पादन लागत मे कमी आती है। साथ ही दलहन/तिलहन एवं अन्य बाजार में अधिक मांग वाली फसलों की अन्तः फसली खेती से गन्ना कृषकांे की आय में वृद्धि भी सुनिश्चित होती है। इस प्रयोजन के लिये राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन योजना का सुप्रभाव परिणाम के रूप में सामने आ रहा है। योजना में अनुदान दर 8000 प्रति हेक्टेयर से बढ़कर 9000 प्रति हेक्टेयर हो जाने के कारण भी गन्ना किसानों का एन.एफ.एस.एम. योजना के प्रति रूझान बढ़ा है। इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के अन्तर्गत टिशु कल्चर पद्धति से पौध उत्पादन हेतु सहकारी चीनी मिल की इकाईयों का प्रस्ताव भी कृषि विभाग द्वारा स्वीकृत किया गया है। प्रदेश के आयुक्त, गन्ना एंव चीनी श्री संजय आर. भूसरेड्डी द्वारा दिये गये दिशानिर्देशों की जानकारी देते हुए जिला गन्ना अधिकारी शैलेश कुमार मौर्या ने बताया कि विभाग के प्रक्षेत्रीय अधिकारियों द्वारा गन्ना किसानों को जन-शिक्षण कार्यक्रम के दौरान बताया जा रहा है कि शरदकालीन बुवाई के अन्तर्गत अन्तः फसली अत्यंत सुगमतापूर्वक होती है, जिससे कृषकों की आय में सार्थक वृद्धि तो सुनिश्चित होती ही है, डेमोंस्ट्रेशन आन इण्टरक्रापिंग एण्ड सिंगल बड चिप टेक्नाॅलाजी विथ सुगरकेन विधि से दलहनी एवं तिलहनी फसलांे के प्रयोग के कारण नाइट्रोजन की खपत मंे कमी होना भी गन्ने की उत्पादन लागत को न्यून करती है और गन्ने के उत्पादन में भी लगभग 16 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी सुनिश्चित होती है। इतना ही नहीं, इस विधि से गन्ना बुवाई करने पर मात्र 20 से 30 कुंटल बीज की आवश्यकता होती है, जबकि परंपरागत तरीको से बीज की आवश्यकता 60 से 70 कुंटल तक होती है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन कार्यक्रम अन्तर्गत विभाग में कुल 6287 हेक्टेयर का लक्ष्य प्रदेश के 24 गन्ना बहुल जनपदों को प्रस्तावित है, जिसके लिए अनुदान संख्या 83 (अनुसूचित जाति) हेतु रु. 55.91 लाख, अनुदान संख्या-81 (अनुसूचित जनजाति) हेतु रु. 0.26 लाख व लखीमपुर-खीरी को प्रदर्शन हेतु अनुदान संख्या-11 में रु.197.30 लाख के साथ विभागीय प्रशिक्षण सह संस्था गन्ना संस्थान को प्रशिक्षण हेतु रु.11.52 लाख अवमुक्त हुआ है।

व्हाट्सएप पर शेयर करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *