यूपी पुलिस हमेशा अपने उलटे सीधे कारनामों के लिए चर्चा में बनी रहती है. लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि किसी थानेदार ने अपने ही थाने में अपने ही खिलाफ शिकायत दर्ज की हो? मामला मेरठ के खरखोदा थाने का है. जहां एक थानेदार ने अपने काम में अपनी लापरवाही मानते हुए अपने ही थाने की जीडी (जनरल डायरी) में अपने खिलाफ तस्करा (शिकायत) दर्ज कर डाला. मामला सामने आने के बाद पुलिस महकमे में यह घटना चर्चा का विषय बनी हुई है.बता दें कि राजेन्द्र त्यागी मेरठ के थाना खरखौदा के थानाध्यक्ष हैं. उन्होंने कुछ दिन पहले ही थाने का चार्ज लिया है. चार्ज लेते समय थानेदार ने अपने और सभी पुलिसवालों के लिये सख्त नियम बना दिया था कि किसी भी क्षेत्र में चोरी होने पर उस क्षेत्र के बीट कॉन्स्टेबल की जिम्मेदारी होगी. लूट होने पर बीट कॉन्सटेबल और इलाके के हल्का प्रभारी या फिर चौकी प्रभारी (दरोगा) की जिम्मेदारी होगी.जघन्य अपराध जैसे डकैती, गोकशी या हत्या आदि होने पर उसकी जिम्मेदारी बीट कॉन्स्टेबल, हल्का प्रभारी-चौकी इंचार्ज (दरोगा) और खुद थानाध्यक्ष की होगी. जिसकी भी लापरवाही पाई जाएगी, उसके खिलाफ थाने के खास रिकॉर्ड जीडी में तस्करा दाखिल किया जाएगा. अगर यह लापरवाही दो बार से ज्यादा पाई गई, तो उस पुलिसकर्मी चाहे वह खुद थानाध्यक्ष ही क्यों न हो, उसकी शिकायत आला अफसरों को भेजी जाएगी. इसके बाद आला अफसर उस पर कार्रवाई करेंगे.खरखौदा के थाना अध्यक्ष राजेंद्र त्यागी के बताया कि थाने में उनके चार्ज लेने के बाद से अबतक उनके क्षेत्र में छह छोटी-छोटी चोरियां हो चुकी हैं जिनमें उन्होंने 6 कांस्टेबल के खिलाफ जीडी में तस्करा दाखिल किया है. लेकिन आज उनके क्षेत्र में गौकशी हुई जिसमें बीट कांस्टेबल, हल्का प्रभारी और स्वयं अपने आप को जिम्मेदार मानते हुए उन्होंने अपने ही थाने के जीडी में अपने, बीट कांस्टेबल अनिल तेवतिया, हल्का प्रभारी प्रेम प्रकाश, एसआई चंद किशोर, रात्रि प्रभारी दरोगा सुनील, कॉन्स्टेबल आजाद और नीलेश के खिलाफ जीडी में तस्करा दाखिल किया है.
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