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Sunday, March 23, 2025 10:29:47 AM

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प्रदेश की पहली महिला ‘शरई कोर्ट’ खोलने का हुआ निर्णय, निकाह-तलाक और विरासत के मामलों पर होगी सुनवाई

प्रदेश की पहली महिला ‘शरई कोर्ट’ खोलने का हुआ निर्णय, निकाह-तलाक और विरासत के मामलों पर होगी सुनवाई

(रिपोर्ट – रुद्र आदित्य ठाकुर )
कानपुर में प्रदेश की पहली महिला ‘शरई कोर्ट’ खोलने का निर्णय हुआ है। इसका ऐलान पहली महिला शहरकाजियों को बनाने वाली संस्था ख्वॉतीन बोर्ड ने मंगलवार को किया। इस कोर्ट में निकाह-तलाक और विरासत के मामलों पर सुनवाई होगी। इस कोर्ट में सिर्फ महिलाएं ही आवेदन कर सकेंगी। दारुल कजा या शरई पंचायत के नाम से भी पहचान रखने वाली इन शरई कोर्ट में मुफ्ती और काजी विवादों का हल निकालते हैं। इन्हें किसी भी पक्ष पर मानने की बाध्यता नहीं होती है पर सामान्य तौर पर धार्मिक कारणों से दोनों पक्ष फैसले को मान लेते हैं। अपनी बात कह सकेंगी महिलाएं
ख्वॉतीन बोर्ड की सदर सैय्यदा तबस्सुम ने बताया कि आमतौर पर जो शरई कोर्ट हैं अभी वहां महिलाएं अपना पक्ष ठीक से नहीं रख पाती हैं। मर्द काजी और मुफ्ती होने की वजह से उनकी बात आधी-अधूरी रह जाती है। महिला शरई कोर्ट में ये महिलाएं अपना पक्ष ठीक ढंग से रख सकेंगी। दो महिला काजी करेंगी सुनवाई
बोर्ड की सदर ने बताया कि अगले सप्ताह बैठक के बाद ‘शरई कोर्ट’ का पूरा खाका तैयार होगा। महिला शहर काजी प्रो. हिना जहीर और मरियम फजल के साथ शरीयत में अच्छा दखल रखने वाली ख्वातीन को भी पैनल में शामिल किया जाएगा। फरवरी, 2016 में इन शहर काजियों ने शुरुआत की थी। सुन्नी उलमा काउंसिल करेगा सरपरस्ती
सुन्नी उलमा काउंसिल पहली महिला ‘शरई कोर्ट’ की सरपरस्ती करने को राजी हो गया है। काउंसिल के महामंत्री हाजी मोहम्मद सलीस ने बताया कि महिला शहरकाजी बनाने में भी काउंसिल ने सरपरस्ती की थी। ख्वॉतीन मदरसे में काजी का कोर्स
तलाक महल में चलने वाले फातिमतुज जोहरा में 80 बेटियां आलिमा समेत अनेक कोर्सों की पढ़ाई यहां रहकर करती हैं। काउंसिल के महामंत्री हाजी सलीस ने कहा कि यहां लड़कियों को भी काजी का कोर्स कराया जाएगा। आमतौर पर लड़कियों के मदरसों में यह कोर्स नहीं होता है।  
क्या होता है काजी
काजी को इस्लामी हुकूमत में जज कहते हैं। इनके पास असीमित अधिकार होते हैं। पर लोकतांत्रिक व्यवस्था में ऐसा नहीं होता है। मुफ्ती या काजी शादी से जुड़े मामलों और विरासत (संपत्ति में हिस्सा) आदि के शरई मामलों को आपसी बातचीत से सुलझवाने का प्रयास करते हैं। अपराध से जुड़े मामले यहां नहीं सुने जाते हैं। ऐसे कर सकते हैं आवेदन
महिला ‘शरई कोर्ट’ में सादे कागज पर अपनी पीड़ा लिखकर महिलाएं आवेदन कर सकती हैं। कोर्ट के कार्यालय में यह आवेदन सीधे किए जा सकते हैं। इसके लिए एक ई-मेल आईडी भी जारी की जाएगी, जिसके माध्यम से प्रदेश या देश में कहीं से भी कोई महिला अपनी पीड़ा लिखकर भेज सकती है। कौन कर सकता आवेदन
महिला ‘शरई कोर्ट’ में सीधे कोई मर्द आवेदन नहीं कर सकेगा। केवल वह महिलाएं आवेदन कर सकेंगी, जिन्हें किसी अन्य शरई कोर्ट में इंसाफ नहीं मिल सका। ऐसी महिलाएं भी आवेदन कर सकेंगी, जो पीड़ित हैं। उन्हें लगता है कि वह महिला शरई कोर्ट में अपना पक्ष अच्छे से रख सकती हैं। कैसे होता है फैसला
महिला ‘शरई कोर्ट’ में किसी भी महिला का आवेदन आने के बाद उसके आधार पर दूसरे पक्ष को पत्र भेजा जाता है। उसे बताया जाता है कि शरई आधार पर दोनों पक्षों की सुनवाई कर फैसला होगा। फैसला मानना या न मानना दोनों पक्षों पर निर्भर करता है। इसके लिए शरई कोर्ट को जबरन मनवाने का अधिकार नहीं होता है।

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