बुजुर्गों ने सच कहा है कि बेटियां रहमत होती है, जिस घर में जन्म लेती हैं वहां फरिश्ते आते हैं। इसी को सच साबित कर दिया है वजीरगंज की एक बेटी ने जो सिर्फ दस्तखत करना जानती है। इस बेटी ने न केवल पिता को किडनी देकर अपने बाबुल की जिन्दगी बचाई बल्कि दिन रात खिदमत कर बेमिसाल मिसाल भी पेश की है। जी हां ईदुल अजहा यानी बकरीद की कुर्बानी से पहले नोएडा के जेपी हॉस्पिटल में वजीरगंज के अचलपुर की एक बेटी ने, बेटी और बेटा में कोई फर्क न होने की एक अनूठी मिसाल पेश की। पिता अनवारूल हक लम्बे अर्से से बीमार चल रहे थे। तीन साल पहले भी किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह डाक्टरों ने दी थी। लेकिन उस वक्त घर के हालात ठीक नहीं थे। अब इधर जब तकलीफ बढ़ी तो बेटी साहिना बानों जिद करके पिता को नोयडा ले गई और किडनी दान कर पिता को नई जिंदगी दी। हास्पिटल में किडनी ट्रांसप्लांट के बाद बाप बेटी अब घर लौटे हैं तो पूरा इलाका रूखसाना की इस कुर्बानी पर गर्व से अभिभूत है। परिजनों के मुताबिक बाप का ब्लड ग्रुप बेटी के ब्लड ग्रुप से मैच हो गया था, ऐसे में चिकित्सकों ने बेटी को किडनी देने का सुझाव दिया। बेटी भी झट तैयार हो गई। बोले चिकित्सक: जेपी हॉस्पिटल के सीनियर ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. अमित देवरा ने बताया कि गोंडा के अचलपुर के मरीज अनवारुल हक उर्फ लाल बाले की जांच करने पर उनमें क्रॉनिक किडनी रोग पाया गया। उन्हें रीनल एलोग्राफ्ट ट्रांसप्लान्ट के लिए भर्ती किया गया। किडनी ट्रांसप्लांट की सर्जरी सफल रहीं, सर्जरी के बाद डोनर और मरीज दोनों ठीक हैं। किडनीदाता बेटी रुखसाना को सर्जरी के कुछ ही दिन बाद छुट्टी दी गई, वहीं मरीज को ट्रांसप्लांट के 12 दिनों के बाद छुट्टी दी गई। इसी अस्पताल के वरिष्ठ किडनी रोग विशेषज्ञ डॉ. अनिल प्रसाद भट्ट ने कहा कि 53 साल के अनवारुल हक लालबाले की किडनी लगातार हाईब्लड प्रेशर के कारण खराब हो गई थीं। जिसे ट्रांसप्लांट करना जरूरी हो गया था। बेटी ने कहा बाबुल से बड़ा कोई नहीं:
बेटी साहिना उर्फ रुकसाना हिंदी में मात्र अपना हस्ताक्षर कर लेती है। साहिना कहती है कि मां – बाप के कदमों के नीचे जन्नत है। वैसे भी यदि हमारे खून देने व किडनी देने से किसी की जिंदगी बचाई जा सकती है तो अपनी जिंदगी को दांव पर लगाई जा सकती है। तीन साल पहले से ही मेरे वालिद की किडनी खराब थी, लेकिन वे नहीं बदलवा रहे थे। मेरे लिए इससे बढ़कर क्या हो सकता है। वो शादीशुदा और एक बच्चे की मां भी है। बताया कि शौहर ने राजी खुशी इज़ाज़त दे दी। बोले पिता: पिता अनवारुल हक का कहना है कि बेटी हमारे लिए हजार बेटों के बराबर है। ऊपर वाला ऐसी ही बेटी सबको दे। कहते हैं कि पता नहीं क्यों लोग बेटा बेटी में फर्क करते हैं।
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