बहराइच। इन दिनों प्रदेश सरकार की योगी सरकार अपने कार्यकाल का एक वर्ष पूरा होने का जश्न मन रही है। और यह भी दावा कर रही है की बीते इस कार्यकाल में अपराध व भ्रष्टाचार पर काफी हद तक अंकुश लगा दिया है। प्रदेश सरकार अपनी इन उपलब्धियों को जन जन तक पहुंचाने के लिए बड़े बड़े विज्ञापनों व सरकारी तंत्र के माध्यमों से लोगों तक पहुंचा रही है। हालाँकि अपराधों पर अंकुश के दावे कुछ हद तक सही भी हो सकते हैं मगर भ्रष्टाचार के मामलों में फिलहाल कमी होती नहीं दिख रही है। जनपद में ऐसे कई विभाग व अधिकारी हैं जिनके ऊपर समय समय पर भ्रष्टाचार व अनियमितता जैसे बड़े बड़े आरोप लगते रहे हैं। आरोपों के इस क्रम को यदि सूची बद्ध किया जाय तो जिले में जिला विद्यालय निरीच्छक व उनके कार्यालय पर भ्रष्टाचार को लेकर निरंतर उँगलियाँ उठती रहीं हैं। आरटीआई कार्यकर्ताओं से लेकर जनपद की मीडिया ने भी जिला विद्यालय निरीच्छक व उनके कार्यालय पर नियम विपरीत नियुक्तियों को लेकर समय समय पर जिला प्रशाशन सहित मुख्यमंत्री व पीएम् तक को अवगत करा चुके हैं। पूर्व जिलाधिकारी अजय दीप सिंह के कार्यकाल के दौरान डीआइओएस द्वारा नियुक्त प्रकरण महीनों तक लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी रही। मगर जनपद के मुखिया ने किन्हीं राजनैतिक कारणों के चलते ऐसी विवादित नियुक्तियों में शामिल श्री पांडे को अभय दान दे दिया। पिछले सप्ताह जनपद की बागडोर सम्हालने आई जिलाधिकारी माला श्रीवास्तव के कार्यशैली को लेकर मीडिया कर्मी भी यह कयास लगा रहे हैं की क्या भ्रष्टाचार के लिए बदनाम हो चुके डीआइओएस व उनके कार्यालय में भ्रष्टाचार में लिप्त कुछ कर्मियों की खोई छवि को साफ करने के लिए कोई कठोर कदम उठा सकती हैं?यह कयास इसलिए भी लगाय जा रहे हैं कि श्रीमती श्रीवास्तव द्वारा जिले का चार्ज थामने के बाद यह दावा किया गया था कि बहराइच को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए हर संभव प्रयास किये जायेंगे। जबकि जिले के माध्यमिक शिछा विभाग में तैनात जिला विद्यालय निरीच्छक राजेन्द्र कुमार पांडे व आश लिपिक हरेन्द्र सिंह करोड़ पती व अरबपती बनने की चाह में भ्रष्टाचार के नए नए ताने बाने बुनकर विभाग में अपना हुकूमत चलाने का प्रयास करना क्या नवागत जिलाधिकारी के लिए कोई नई चुनौती पेश करेगी। मालुम हो कि पिछले काफी अरसे से डीआइओएस के गले की फांस बना राहत जनता इंटर कॉलेज नानपारा बहराइच में हुई अवैध नियुक्तियों के मामले में किये जाने वाले खेल की भनक लगते ही एक समाजसेवी मनोज शर्मा व भाजपा के पूर्व जिला अध्यछ द्वारा निवर्तमान जिलाधिकारी अजय दीप सिंह के कार्यालय पर लिखित रूप से विरोध दर्ज करवाने व हमारे जिला प्रभारी द्वारा मामले को लेकर पहला प्रकाशन करवाये जाने के बाद डी0एम्0 द्वारा सख्त कदम उठाते हुवे सभी नियुक्तियों पर रोक तो लगा दी गई जिसकी जानकारी बाद में डीआइओएस द्वारा उ0प्र0 शाशन को भी दी गई लेकिन सूत्रों की माने तो अवैध नियुक्तियां करवाने के माहिर खिलाडी उक्त दोनों कर्मियो ने न जाने किन परिस्थितियों में नियुक्तियां हो जाने दी। जो मामला अभी ठंडा भी नहीं हुवा था की इससे पूर्व आर्यकन्या इंटर कॉलेज के प्राथमिक विभाग में लोगों द्वारा की जा रही तीन और अवैध नियुक्तियों की पुष्टि के बाद एक बार फिर डीआइओएस संदेह के घेरे में बैठे नजर आने लगे। वो भी तब जब नवागत जिलाधिकारी माला श्रीवास्तव द्वारा जिले को भ्रष्टाचारमुक्त बनाये जाने के क्रम में मीडिया कर्मियों से एक भेंटवार्ता कर अपराधियों व भ्रष्टाचारियों को सुधरने का एक सन्देश भी पहुंचाया गया है। बावजूद डीआइओएस श्री पांडे से उक्त नियुक्तिओं के बारे में जब भी पूछा जाता तो वे मामले कोेे अपने कार्यकाल के समय की न होने की बात कहकर सच्चाइयों को हजम कर जाते थे। हालाँकि उक्त अवैध नियुक्तियों का खेल भ्रष्टाचार में लिप्त पूर्व डीआइओएस रविन्द्र सिंह के कार्यकाल में ही खेला गया था लेकिन उनके निलंबित होते व गेंद श्री पांडे के पाले में आते ही भ्रष्टाचार के ताने बाने नए सिरे से बुने जाने लगे। जिस खेल में आर्यकन्या इंटर कॉलेज के पूर्व प्रबंधक व तात्कालीन प्राचार्या को बली का बकरा बनाकर नियोक्ताओं द्वारा जबरिया उपस्थिति पंजिका रजिस्टर में हस्ताछर बनवाया जाने लगा था जो अब वर्तमान में भी पूरी तटस्थता के साथ डीआइओएस के दम पर हुंकार भर रही हैं। जिनकी नियुक्तियों के प्रमाण आरटीआई के अंतर्गत पूछें गए सवाल के जवाब में मिल चुके हैं। हालांकि सूत्रों की बातों पर गौर करें तो पहले यह खेल डीआइओएस व कार्यालय आ रहे एक लिपिक द्वारा खेलने की कोशिश की गई थी लेकिन पूरे खेल में कार्यालय ना आ रहे एक आशु लिपिक की दमदार उपस्थिति के कारण उसे भी साथ लेकर यह खेल खेला गया जबकि कार्यालय ना आ रहे आशु लिपिक अपने शातिर दिमाग के कारण मामले में अमृत पीकर गायब हो गए। और मामले की कतहकीकात करने पर मामले से सम्बंधित जिम्मेदार द्वारा यही बताया गया की हुई उक्त नियुक्तियों में पंद्रह पंद्रह लाख रुपयों का चढ़ावा भी चढ़ाया गया था। बाउजूद पैर छूने पर लंबी चौड़ी बातें कर पैर न छूने के लिए कार्यालय पर लिस्ट चिपकवाने वाले डीआइओएस वर्षों से अपने ऊपर लग रहे भ्रष्टाचार के आरोपों को कभी अपने पछ में मोड़ते नजर नहीं आये। विश्श्वस्निय सूत्र यह भी बताते है कि चाहे शारदा बैराज सहायक इंटर कॉलेज में फर्जी मार्कशीट पर नौकरी करने का मामला हो,राहत जनता इंटर कॉलेज में हुई नियुक्तियों का मामला हो,आर्यकन्या इंटर कॉलेज में हुई नियुक्तियों का मामला हो या अन्य,सब के सब डीआइओएस राजेन्द्र कुमार पांडे के संरछण में ही हुवे हैं। क्योंकि लोगों का भी यही मानना है कि बगैर इनके अप्रूवल के नियुक्तियां हो कैसे गई। और भला गांधी इंटर कॉलेज के प्राचार्य को इनके द्वारा जबरिया हटाने के मामले को कौन भूला होगा जहाँ इनके द्वारा मानक विहीन प्राचार्य की जबरिया तैनाती भी कर दी गई थी वो तो भला हो कोर्ट के उस आदेश का जहाँ प्राचार्य द्वारा इन्हें औंधे मुह चित कर एक लंबी लड़ाई के बाद अपनी कुर्सी बरक़रार रक्खी गई थी। जबकि आर्यकन्या इंटर कॉलेज में हुई फ़र्ज़ी नियुक्तियों में शिच्छिकाओं के जबरिया हस्ताछर बनाये जाने को लेकर तत्कालीन प्रधानाचार्या द्वारा उस पर रोक लगाने हेतु पुलिस अधिच्छक को एक पत्र भी लिखा गया था बाउजूद वर्तमान जिला विद्यालय निरीच्छक द्वारा उस पर कोई भी उचित कार्यवाही ना करते हुवे फर्जी नियुक्तियों को हरी झंडी दे दी गई। और पत्रकारों के पूछने पर नियुक्तियों से इनकार करते रहे। जिसका दूसरा अध्याय डीआइओएस वा आशु लिपिक हरेन्द्र सिंह के डायरेक्शन में शाशन को भ्रमित कर राहत जनता इंटर कॉलेज नानपारा,बहराइच में हुई नियुक्तियों के रूप में पढ़ने को मिला। अब तक शिच्छक संघ के कई पदाधिकारियों,सामाजिक कार्यकर्ताओं वा खुद विभागीय लोगों द्वारा डीआइओएस व आशु लिपिक पर लगातार भ्रष्टाचार के आरोप लगाने व मामले उठाने के बाद भी ऊँची पहुँच रखने वाले इन धाकड़ों पर किसी प्रकार का कोई फर्क नहीं पड़ रहा है बल्कि इनके खिलाफ मामला उठाने वाले लोगों की आवाजों को धमकाने का प्रयास किया जा रहा है। सूत्र यहाँ तक कह रहे है की विभाग को दीमक की तरह चाटने वाले उक्त दोनों कर्मी एक विभाग में बैठकर व दूसरा कार्यालय से दूर रहकर पूरी दादागीरी के साथ सुनियोजित तरीके से बोर्ड परीच्छाओं से लेकर अवैध नियुक्तियों व भ्रष्टाचार का खेल,खेल रहे हैं। लोग यह भी बताते हैं की यह दोनों जहाँ भी तैनात रहे हैं वहां वहां भी इनके द्वारा भ्रष्टाचार का नया इतिहास लिखने का काम किया गया। लेकिन अब यहाँ सबसे बड़ा सवाल यह है की कल तक जो डीआइओएस अपना चमकता हुआ चेहरा लेकर समय समय पर अपना काफी समय निवर्तमान जिलाधिकारी की चौखट पर बिताते रहे हैं,क्या वे अब अपनी किताब में अपराध को जीरो टालरेंस की जगह देने वाली तेज तर्रार,ईमानदार व अपने कर्तब्यों के प्रति निष्ठावान नवागत जिलाधिकारी माला श्रीवास्तव के जनपद में उनकी गरिमामयी उपस्थिति के बाद अपना पुराना इतिहास दोहरा पाने में कामयाब हो पाएंगे। यह बात आने वाले समय में देखने को मिलेगा। साथ ही यह भी देखना दिलचप्स होगा कि कार्यालय से दूर रहकर एक साथ कई हस्ताच्छर करने वाले आशु लिपिक हरेन्द्र सिंह अब भी श्रीमती श्रीवास्तव के सामने अपना रुतबा ग़ालिब कर पाएंगे। सनद रहे,जिले के कई भ्रष्ट अधिकारियों की सूचना प्रधानमन्त्री भारत सरकार तक भी पहुंचाई जा चुकी है।
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