
महाराजगंज से बेखौफ खबर के लिए स्वतंत्र पत्रकार प्रवीण कुमार मिश्र की रिपोर्ट
महराजगंज जनपद के अंतिम छोर पर बसा ठूठीबारी में स्थित नदी झरही उर्फ प्यासी व चन्दन नदी जो नेपाल के पहाड़ से होकर भारतीय मुल्क में सैकड़ों गांवों से होकर बहती है। पहाड़ी नदी से जुड़ी नदी व नाले मानसूनी बारिश के शुरू होते ही कहर बरपाने को तैयार हैं। इसका सबसे बड़ा वजह यह है कि अब तक किसी विभागीय द्वारा नदी-नाले की बाढ़ बचाव के लिए कोई ठोस उपाय नहीं किया गया है। नही कोई तैयारी है। जिसको लेकर नदी के चपेट में आने वाले इलाकों के ग्रामीण काफी दहशत में जी रहे है। जानकारी के अनुसार जून से ही बरसात की मानसून शुरू हो जाती है। लेकिन अभी तक बाढ़ के लिए कोई पुख्ता व्यवस्था नही की गई। बाढ़ को लेकर विभागीय तैयारी जीरो पर है। बरसात के महीने में जिले कई नदियों में बरगदवा में महाव व ठूठीबारी में चंदन, प्यासी उर्फ झरही नदी है। हर वर्ष महाव नाला व चन्दन नदी अपने चरम पर होती हैं। जिससे किसानों के फसल सहित कई गांव जलमग्न हो जाते है। उक्त नदी पर बने पुराने कमजोर व जर्जर बांध पहाड़ी नदियों के बहाव के दबाव को रोक नहीं पाती हैं। जिससे बांध टूट जाता है। सैकड़ों गांव में भारी तबाही होती है। जिससे हर वर्ष भारी नुकसान होती हैं। इस समय पहाड़ो पर हो रही लगातार बारिस से सभी नदियों का जलस्तर बढ़ गया है। नदी का पानी चिन्हित खतरे के निशान के करीब है। बढ़ती जलस्तर से सटे इलाका चटिया, माधवनगर उर्फ तुरकहिया,लक्ष्मीपुर खुर्द,बोदना, बकुलडीहा,सुकरहर,राजाबारी, ठूठीबारी इत्यादि गांव के लोग दहशत में है। अभी चेता नही गया तो ग्रामीणों का काफी नुकसान होगा।
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